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CBFC को मिल गई संस्कारी निहलानी से मुक्ति, चचा अपने को तो देखो
नई दिल्ली: पहलाज निहलानी को सेंसर बोर्ड के प्रमुख के पद से हटा दिया गया है। 19 जनवरी 2015 में उन्हें सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था।
पहलाज निहलानी एक ऐसा नाम जिसने अपने पूर्ववर्ती सभी चेयरमैन से अधिक विवाद पैदा किये, न सिर्फ इतना बल्कि उनके कार्यकाल में सबसे अधिक किरकिरी भी सेंसर बोर्ड की हुई। फ़िलहाल उनकी विदाई हो चुकी है, और प्रसून जोशी उनका स्थान ले चुके हैं।
ऐसे में हम आपको बताते हैं, उनसे जुड़े बड़े विवाद जिन्होंने उनको हद दर्जे का बेवकूफ साबित किया है। यहाँ एक बात और बता दें, कि इन साहेब की एक फिल्म आई थी 'अंदाज' जिसके एक गाने ने अश्लीलता की सभी हदें तोड़ दी थीं।
पहलाज ने जितनी भी फ़िल्में बनाई हैं, उनमें से कुछ ही हैं जिन्हें अच्छा कहा जा सकता है। बाकी उनकी फिल्मों में दुआर्थी गाने और सीन ठसाठस भरे होते हैं।
पहले आप वही गाना सुन लीजिए, और अंदाजा लगा लीजिए आखिर निहलानी हीरो से कहलाना क्या चाहते हैं
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अब इधर भी नजरे करम करिए
भईया सिर्फ ये वाला देख लीजिए न, फिर नहीं कहेंगे देखने को
अब पढ़िए चचा के वो बावले निर्णय जिन्होंने साबित किया कि बिल्ली नौ सौ चूहे खा हज को आई है।
शाहरुख़ खान की हैरी मेट सेजल पहलाज निहलानी आखिरी शिकार बनी थी। निहलानी ने टीवी ट्रेलर से 'इंटरकोर्स' शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगा दी। जब विरोध हुआ तो उन्होंने कहा 1 लाख वोट आ जाएं, तो वह इस शब्द के इस्तेमाल की इजाजत दे देंगे। लेकिन बाद में वो अपने इस वादे से मुकर गए।
शाहिद कपूर की चर्चित फिल्म उड़ता पंजाब पर निहलानी निर्माता से मांग कर डाली की 89 कट्स कर फिल्म फिर से उन्हें दिखाई जाए। बाद में बंबई हाईकोर्ट के दखल के बाद फिल्म को सिल्वर स्क्रीन नसीब हो सकी।
समलैंगिकता जैसे ज्वलंत मुद्दे पर बनी अलीगढ़ को निहलानी ने 'ए' सर्टिफिकेट थमा दिया गया। इसके बाद डायरेक्टर हंसल मेहता ने बयान दिया कि सेंसर बोर्ड को समलैंगिकों से नफरत है।
अभी और भी शिकार बाकी हैं
निहलानी को फूहड़ता से भरी सेक्स-कॉमेडी फिल्म 'क्या कूल हैं हम-3' और 'मस्तीजादे' में कोई कमी नजर नहीं आती, और वो टीवी ट्रेलर पास कर देते हैं। जब बवाल हुआ तो जनाब ने कहा हम करें तो गाली, ना करें तो गाली।
ऐसा नहीं की निहलानी ने सिर्फ देश में ही चर्चा बटोरी बल्कि विदेशों में भी काफी नाम कमाया है। जेम्स बांड सीरीज की फिल्म स्पेक्टर में इतने कट्स लगा दिए की कहा जाने लगा कि ये पहला बांड है जो संस्कारी है। विदेशी मीडिया ने इसपर काफी खिल्ली उड़ाई।
फिल्म फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे पर तो इतनी दिक्कत थी, कि यदि निर्माता मान लेते तो थियेटरों में सिर्फ कास्टिंग ही रिलीज हो पाती, इसलिए यह फिल्म रिलीज ही नहीं हुई। फिल्म दम लगा के हईसा में उन्हें 'लेस्बियन' शब्द से परेशानी हो गई।
फिल्म अनफ्रीडम भी उनकी शिकार हुई, और आज तक सिल्वर स्क्रीन नहीं देख सकी। निहलानी को दिक्कत थी कि दो महिलाओं के सेक्स सीन 'अप्राकृतिक भावनाएं' जगा सकती हैं।
अनुष्का शर्मा की फिल्म एनएच-10 पर भी उन्हें आपत्ति थी, लेकिन निर्माताओं के विरोध के बाद फिल्म रिलीज हो ही गई। लेकिन 'ए' सर्टिफिकेट के साथ।