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Bollywood Controversial Movies: पब्लिसिटी के दम पर खूब चलती हैं मूवी, अब तक ये विवादित फिल्में हुईं हिट
Controversial Movies: प्रचार और विवाद आज की बॉलीवुड फिल्मों को परिभाषित करते हैं। किसी भी प्रोडक्ट की तरह फिल्म निर्माता भी चाहते हैं कि उनकी फिल्म का नाम चर्चा में किसी तरह आ जाना चाहिए।
Controversial Movies: भारतीय सिनेमा में ऐसी फिल्मों की कमी नहीं है, जो या तो बड़े विवादों में रहीं या फिर उन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा और वे देश में कभी रिलीज ही नहीं हुईं। दिलचस्प बात यह है कि इन फिल्मों में से कई ने आलोचनात्मक समीक्षाएँ बटोरीं और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में खूब सराही भी गई। लेकिन एक पहलू ये भी है कि प्रचार और विवाद आज की बॉलीवुड फिल्मों को परिभाषित करते हैं। किसी भी प्रोडक्ट की तरह फिल्म निर्माता भी चाहते हैं कि उनकी फिल्म का नाम चर्चा में किसी तरह आ जाना चाहिए। इसके लिए तरह तरह के हथकंडे भी अपनाये जाते हैं। फ़िल्मी दुनिया की पीआर और पब्लिसिटी कम्पनियाँ इनमें माहिर होती हैं।
पब्लिसिटी अच्छी या बुरी
एक पुरानी कहावत है - खराब प्रचार जैसी कोई चीज नहीं होती। लेकिन पब्लिसिटी चाहे अच्छी हो या बुरी, बॉक्स ऑफिस पर फिल्म के प्रदर्शन को बहुत प्रभावित करती है। रिलीज से पहले पब्लिसिटी दर्शकों के बीच रुचि या उत्सुकता की भावना भी पैदा करती है, जिससे इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन बढ़ जाता है। पब्लिसिटी पर खर्च किया गया पैसा फिल्म के बजट का काफी हिस्सा होता है।
ढेरों स्क्रीन पर रिलीज़
फिल्म कैसी भी हो, उसके बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को बढ़ाने के लिए मल्टीप्लेक्स का बहुत बड़ा रास्ता अपनाया जाता है। कुछ दशक पहले तक सिर्फ सिंगल स्क्रीन सिनेमा होते थे सो फिल्म की रिलीज़ काफी सीमित रहती थी लेकिन मल्टीप्लेक्स की बाढ़ आने और सिंगल स्क्रीन सिनेमा बंद होने से फिल्म डिस्ट्रीब्यूटरों और प्रोड्यूसरों का नुक्सान बहुत हद तक कवर हो जाता है। होता ये है कि फिल्मों को, खासकर बड़े बजट की फिल्मों को सैकड़ों स्क्रीन पर एक साथ रिलीज़ किया जाता है। इसके पीछे गणित यह होता है कि सैकड़ों स्क्रीन में दर्शकों की बहुत बड़ी संख्या शुरूआती हफ्ते - दो हफ्ते में मिल जायेगी और बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कलेक्शन मिल जाएगा। इसमें प्री-रिलीज़ पब्लिसिटी या विवाद काफी सहयोग करता है। पठान फिल्म ही देश भर में सैकड़ों स्क्रीन पर रिलीज़ हुई है और तमाम सिनेमा थिएटर में सभी शो इसी फ़िल्म के चलाये जा रहे हैं।
विवाद ने किया हिट
कई उदाहरण हैं कि किस तरह विवाद ने फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर सफलता दिलाई है। 2010 में, शाहरुख खान की 'माई नेम इज खान' परेशानी में पड़ गई थी। असल में, शाहरुख ने आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को शामिल करने के बारे में एक ट्वीट किया जिस पर शिवसेना ने सख्त ऐतराज़ जताया था। शिवसेना ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की, और जो विरोध हुआ, उसके परिणामस्वरूप पहले दिन टिकटों की बिक्री प्रभावित हुई लेकिन बिक्री बाद में बढ़ी। फिल्म ने दुनियाभर में कुल 223 करोड़ की कमाई की थी।
- 2016 में करण जौहर की 'ऐ दिल है मुश्किल' को विरोध का सामना करना पड़ा था। राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने पाकिस्तानी अभिनेता को कलाकारों में शामिल करने पर ऐतराज़ जताया था। करण जौहर को इसके चलते माफी मांगने वाला वीडियो भी बनाना पड़ा था। लेकिन इस विवाद का टिकट बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा बल्कि इससे मदद ही मिली।
- 2016 में 'उड़ता पंजाब' पर काफी विवाद हुआ। ये विवाद बॉलीवुड बनाम सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी में बदल गया। विवाद ने काफी जिज्ञासा पैदा की और फिल्म चल निकली।
- आमिर खान की फिल्म 'पीके' की रिलीज के समय भी जमकर बवाल देखने को मिला था। लोगों ने फिल्म पर उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था। विरोध और विवाद के बाद भी यह फिल्म रिलीज हुई और इस बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन करते हुए 340.8 करोड़ रुपये का कारोबार किया।
- आमिर खान की फिल्म 'दंगल' की रिलीज से पहले भी काफी विवाद देखने को मिला था। दरअसल, आमिर ने कहा था कि उनकी पत्नी किरण का कहना है कि भारत को छोड़ देना चाहिए क्योंकि देश का माहौल ठीक नहीं है। उन्हें अपने बच्चे के लिए डर लगता है। इस बयान की वजह से देशभर में भारी विरोध हुआ लेकिन दंगल फिल्म ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और देश में 387.38 करोड़ रुपये की कमाई की थी।
- रणवीर सिंह, एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर की फिल्म 'पद्मावत' का पोस्टर सामने आने के बाद से ही इस भारी विरोध झेलना पड़ा था। फिल्म के नाम पर भी काफी बवाल किया गया था। विरोध को देखते हुए फिल्म निर्माता को फिल्म के कुछ दृश्यों में बदलाव करने पड़े थे साथ ही इसके नाम को भी बदल दिया था। फिर भी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 302.15 करोड़ रुपये की कमाई की थी।
- आलिया भट्ट की फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' को भी काफी विरोध झेलना पड़ा था। सेक्स वर्कर गंगूबाई के जीवन पर आधारित इस फिल्म पर लोगों ने गलत जानकारी दिखाने का आरोप लगाया था। विरोध के बाद भी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 129.10 करोड़ रुपये कमाए।
हमेशा कॉन्ट्रोवर्सी से नहीं हुआ भला
कई बार कुछ विवाद बैकफायर भी कर जाते हैं। कंगना रनौत की फिल्म 'सिमरन' के साथ ऐसा ही कुछ हुआ। पहले इसकी कहानी के राइटिंग क्रेडिट पर कंगना के नाम आने पर काफी विवाद गर्माया तो, वहीं बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से पिटी इस फिल्म के रिलीज से पहले कंगना का रितिक रोशन पर आया खास विवादित इंटरव्यू भी दर्शकों को थिअटर तक खींच कर नहीं ला सकी।
- अक्षय कुमार की थैंक गॉड और राम सेतु, दोनों ही विवादों का शिकार हुईं। लेकिन कमजोर फिल्म होने के नाते दोनों ही ख़ास बिजनेस नहीं कर पाईं।
- शाहरुख खान, अनुष्का शर्मा और इम्तियाज अली की फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' सेंसर बोर्ड के साथ विवाद में रही। फिल्म में इंटरकोर्स जैसे शब्द के इस्तेमाल को लेकर बोर्ड ने कड़ा ऐतराज जताया था। रिलीज के बाद अपनी कमजोर कहानी के चलते ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर मुंह के बल गिरी।
फिल्में जिन पर काफी विवाद रहा
गर्म हवा (1973)
गरम हवा उर्दू की मशहूर लेखिका इस्मत चुगताई की एक अप्रकाशित कहानी पर आधारित फिल्म है। गरम हवा एक मुस्लिम व्यवसायी की मार्मिक कहानी है जो बंटवारे के समय अपने पूर्वजों की भूमि भारत में रहने या पाकिस्तान में अपने रिश्तेदारों के साथ रहने के बीच उहापोह में फंसा हुआ है। रिलीज होने से पहले इस फिल्म को सांप्रदायिक हिंसा की आशंका के कारण आठ महीने के लिए टाल दिया गया था।
आंधी (1975)
यह फिल्म नाटक एक महिला राजनेता के इर्द-गिर्द केंद्रित है, जिसकी शक्ल प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समान थी। इसके कारण फिल्म को आरोपों का सामना करना पड़ा कि यह उन पर आधारित थी, विशेष रूप से इंदिरा गांधी के अपने पति के साथ संबंधों पर। इसकी रिलीज के बाद भी, निर्देशक को उन दृश्यों को हटाने के लिए कहा गया था, जिसमें मुख्य अभिनेत्री को एक चुनाव अभियान के दौरान धूम्रपान और शराब पीते हुए दिखाया गया था और फिल्म को उस वर्ष बाद में राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था।
किस्सा कुर्सी का (1977)
तत्कालीन सांसद अमृत नाहटा द्वारा निर्देशित यह फिल्म प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी के प्रशासनिक शासन पर व्यंग्य है। 'किस्सा कुर्सी का' फिल्म इमरजेंसी के दौरान पूरी तरह प्रतिबंधित रही थी। इसके मास्टरप्रिंट सहित सभी मूवी प्रिंट को जब्त कर लिया गया था और नष्ट तक कर दिया गया।
बैंडिट क्वीन (1994)
ये फिल्म फूलन देवी के जीवन पर आधारित है। शेखर कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म की गालीगलौज वाली भाषा, यौन सामग्री और नग्नता के अत्यधिक उपयोग के लिए आलोचना की गई थी। बैकलैश के बावजूद, बैंडिट क्वीन ने सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।
कामसूत्र: ए टेल ऑफ़ लव (1996)
मीरा नायर द्वारा निर्देशित इस फिल्म को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया था। तर्क दिया गया था कि फिल्म की यौन सामग्री भारतीय संवेदनशीलता के लिए बहुत कठोर थी। प्रदर्शनकारियों ने फिल्म को अनैतिक और अनैतिक करार दिया, लेकिन इसे व्यापक आलोचनात्मक प्रशंसा मिली।
पांच (2003)
अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी 'पांच' एक अपहरण की साजिश में उलझे पांच बैंड सदस्यों के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। ये फिल्म कभी रिलीज़ नहीं हो पाई। वास्तविक जीवन की घटनाओं से प्रेरित, फिल्म में दर्शाए गए ड्रग्स, हिंसा और सेक्स को भारतीय दर्शकों के लिए अनुपयुक्त माना गया।
हवा आने दे (2004)
हवा आने दे एक इंडो-फ्रेंच फिल्म है जो भारत-पाकिस्तान युद्ध के संवेदनशील विषय पर आधारित है। भारतीय सेंसर बोर्ड ने फिल्म में 21 से अधिक कटौती की मांग की, लेकिन निर्देशक पार्थो सेन-गुप्ता ने इससे इनकार कर दिया। इसलिए हवा आने दे, भारत में कभी रिलीज़ नहीं हुई। इसने डरबन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फिल्म और कॉमनवेल्थ फिल्म फेस्टिवल में बीबीसी ऑडियंस अवार्ड सहित विदेशों में आयोजित फिल्म कार्यक्रमों में कई पुरस्कार जीते।
पानी (2005)
दीपा मेहता की फिल्म वाराणसी के एक आश्रम में विधवाओं के जीवन के माध्यम से महिलाओं की स्थिति को दर्शाती है। ऐसा माना गया था ये फिल्म देश की छवि ख़राब करती है। फिल्म शुरू होने से पहले ही विरोधियों ने फिल्म के सेट को तोड़ दिया और हिंसा की धमकी दी। दीपा मेहता को अंततः शूटिंग श्रीलंका स्थानांतरित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इतना ही नहीं, बल्कि उन्हें पूरी कास्ट बदलनी पड़ी और छद्म शीर्षक रिवर मून के तहत फिल्म की शूटिंग करनी पड़ी।
द पिंक मिरर (2006)
द पिंक मिरर मुख्य धारा की पहली ऐसी फिल्म है जिसमें दो ट्रांसजेंडर नायक के रूप में हैं। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने फिल्म को "अश्लील और अपमानजनक" बताते इसे बैन कर दिया। लेकिन इसने विदेशों में कई अवार्ड जीते।
ब्लैक फ्राइडे (2007)
अनुराग कश्यप की इस फिल्म को अस्थायी प्रतिबंध का सामना करना पड़ा। यह 1993 के मुंबई बम धमाकों से संबंधित फिल्म है। ब्लैक फ्राइडे के सिनेमाघरों में आने तक कश्यप को तीन साल तक इंतजार करना पड़ा। फिल्म को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय दोनों मीडिया से प्रशंसा मिली थी।
परज़ानिया (2007)
परजानिया एक 10 वर्षीय लड़के, अजहर मोदी की सच्ची कहानी से प्रेरित है, जो 2002 के गुलबर्ग सोसाइटी काण्ड के बाद लापता हो गया था। गुजरात में सिनेमा मालिकों को कथित तौर पर परज़ानिया को प्रदर्शित न करने की धमकी दी गई थी और फिल्म को राज्य में एक अनौपचारिक प्रतिबंध का सामना करना पड़ा।
इंशाअल्लाह, फुटबॉल (2010)
ये डाक्यूमेंट्री कश्मीर के एक युवा लड़के के बारे में है जो एक प्रसिद्ध फुटबॉलर बनने का सपना देखता है। लेकिन उसकी महत्वाकांक्षाएं तब कुचली जाती हैं जब उसे विदेश यात्रा की अनुमति नहीं दी जाती है क्योंकि उसके पिता एक कथित आतंकवादी हैं। यह फिल्म भारत में रिलीज के लिए हरी झंडी पाने में विफल रही।
इंडियाज़ डॉटर (2015)
इंडियाज़ डॉटर ब्रिटिश फिल्म निर्माता लेस्ली उडविन की एक डॉक्यूमेंट्री है और यह 2012 में 23 वर्षीय छात्रा के साथ दिल्ली में हुए भयानक सामूहिक बलात्कार और हत्या पर आधारित है। फिल्म में मुकेश सिंह के साथ एक साक्षात्कार शामिल है, जो चार दोषियों में से एक है। भारत की बेटी को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया था क्योंकि आरोपी बलात्कारी कुछ ऐसी बातें कहता है जो देश को खराब रोशनी में दिखाते हैं।
हैदर (2014)
2014 की सबसे चर्चित भारतीय फिल्मों में से एक, हैदर, विशाल भारद्वाज की निर्देशित कृति है। शूटिंग के दौरान इसे स्थानीय लोगों के विरोध और असंतोष का सामना करना पड़ा। कश्मीर और भारत के कुछ अन्य हिस्सों के स्थानीय लोगों ने फिल्म का विरोध किया। उनकी नाराजगी भारतीय सेना के बारे में किये गए चित्रण पर थी। लोगों ने भारतीय सेना द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन को दिखाने वाले दृश्यों और कश्मीरी लोगों के साथ उनके व्यवहार पर आपत्ति जताई।
राम-लीला (2013)
निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म गोलियां की रासलीला: राम-लीला को काफी उथल-पुथल का सामना करना पड़ा था। इसकी रिलीज के समय भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन हुए। विवाद की जड़ फिल्म का शीर्षक और कुछ समुदायों के लिए उत्तेजक संकेत थे। गैर सरकारी संगठनों, चरमपंथी समाज कल्याण कार्यकर्ताओं और कुछ धार्मिक समूहों ने भी फिल्म के प्रति असंतोष दिखाया और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। बाद में भंसाली को फिल्म का शीर्षक बदलना पड़ा।
विश्वरूपम (2013)
विश्वरूपम दक्षिण भारतीय सिनेमा के सुपरस्टार कमल हासन की एक मेगा-प्रोजेक्ट थी। यह बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट रही और करोड़ों की कमाई की। कमल हासन एक मुस्लिम व्यक्ति, विसाम अहमद की भूमिका निभाते हैं, जो एक अंडरकवर आर्मी मिशन के लिए हिंदू होने का ढोंग करता है। फिल्म का कथानक 9/11 के हमलों के बाद आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के युद्ध में भारतीय खुफिया सेवाओं की भागीदारी के इर्द-गिर्द घूमता है। कई मुस्लिम नागरिक संगठनों ने तमिलनाडु में फिल्म की रिलीज का विरोध किया। इसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार द्वारा 15 दिनों के लिए राज्य में फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया। विरोधों के बाद, विवादास्पद दृश्यों को बदल दिया गया।