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रजनीकांत 12वें साउथ इंडियन एक्टर, मिलेगा दादा साहब फाल्के पुरस्कार

रजनीकांत से पहले डॉ. राजकुमार, अक्कीनेनी नागेश्वर राव, के बालाचंदर जैसे लोगों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है।

Ashiki
Published on: 1 April 2021 2:15 PM IST
Rajinikanth
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रजनीकांत (फोटो- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: केन्द्र की मोदी सरकार वर्ष 2019 का दादा साहब फाल्के पुरस्कार दक्षिण के अलावा उत्तर भारत की फिल्मों दर्शकों के दिलों में विशेष जगह बनाने वाले अभिनेता रजनीकांत को देने का फैसला लिया है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को इसका ऐलान किया। उन्होंने एक ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी है।

दादा साहेब फाल्‍के अवॉर्ड पाने वाले 12वें दक्षिण भारतीय

रजनीकांत 12वें दक्षिण भारतीय हैं जिन्हें यह अवॉर्ड मिला है। इससे पहले डॉ. राजकुमार, अक्कीनेनी नागेश्वर राव, के बालाचंदर जैसे लोगों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है। 12 दिसंबर 1950 को रजनीकांत का जन्म बेंगलुरू के मराठी परिवार में हुआ था। गरीब परिवार में जन्मे रजनीकांत ने अपनी मेहनत और कड़े संघर्ष के बाद टॉलिवुड में खास मुकाम हासिल किया।

प्रकाश जावड़ेकर ने कही ये बात

जावड़ेकर ने लिखा, 'मुझे इस बात की अत्यंत ख़ुशी है कि 2019 का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार रजनीकांत को मिला है। पाँच सदस्यों की ज्यूरी ने एकमत से इसकी सिफारिश की है। ज्यूरी में आशा भोंसले, सुभाष घई, मोहन लाल, शंकर महादेवन और बिश्वजीत चटर्जी शामिल थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दादा साहेब फाल्के पुरस्कार का सम्मान पाने वाले अभिनेता रजनीकांत को इस उपलब्धि की बधाई दी है।

पीएम मोदी ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने लिखा है, कई पीढ़ियों तक लोकप्रिय रहे, एक ऐसे शख्स जो कई तरह की भूमिकाएं निभा सकते हैं और लोकप्रिय हैं... वो शख्स रजनीकांत आपके लिए। यह बेहद खुशी की बात है कि थलाइवा को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें बधाई।

यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि ये घोषणा तमिलनाडु चुनाव से पहले की गयी है। राज्य में 6 अप्रैल को एक नई विधानसभा के लिए चुनाव होने वाले हैं। रजनीकांत ने पहले घोषणा की थी कि वह जनवरी 2021 में अपनी राजनीतिक पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, अस्पताल में भर्ती होने के बाद, अभिनेता ने घोषणा की कि राजनीति में नहीं आएंगे। उन्होंने अपने फैसले के पीछे कोरोना महामारी और उनकी स्वास्थ्य स्थिति का हवाला दिया। अब चुनाव से पहले मोदी सरकार की तरफ से दादासाहेब फाल्के पुरस्कार दिए जाने की घोषणा के बाद राजनीतिक क्षेत्र में तरह तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं।

श्रीधर अग्निहोत्री



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