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Ram Teri Ganga Maili: राम तेरी गंगा मैली फिल्म के परदे के पीछे की कहानी, अस्सी के दशक की सबसे हिट फिल्म
Ram Teri Ganga Maili: राम तेरी गंगा मैली’की शुरुआत एक बार फिर रविन्द्र जैन के भजन "एक राधा एक मीरा" के कारण हुई। राजकपूर ने किसी कार्यक्रम में रवींद्र जैन को यह भजन गाते सुना था।
Ram Teri Ganga Maili: प्रख्यात अभिनेता और निर्देशक स्व राज कपूर की फिल्म “राम तेरी गंगा मैली” उनकी अंतिम फिल्म थी। जो 25 जुलाई, 1985 को रिलीज हुई थी। ‘क्रांति’ और ‘मैने प्यार किया’ के बाद अस्सी के दशक की सबसे हिट फिल्म रही।फिल्म का कथानक ऐसा बनाया गया था जो नदी और नारी के अत्याचार पर आधारित था। इसका विचार उन्हे "जिस देश में गंगा बहती है" (1959) के समय पर ही आया था । पर व्यस्तता के चलते यह फिल्म टलती रही। स्व राजकपूर यह फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’के बाद बनाना चाह रहे थे । फिर उन्हे लगा कि यह फिल्म भी कहीं फ्लॉप न हो जाए। इसलिए इसका आइडिया छोड़ ‘बॉबी’ बना डाली।
‘राम तेरी गंगा मैली’की शुरुआत एक बार फिर रविन्द्र जैन के भजन "एक राधा एक मीरा" के कारण हुई। राजकपूर ने किसी कार्यक्रम में रवींद्र जैन को यह भजन गाते सुना था। वह चाहते थे कि इस भजन को वह अपनी फिल्म में रखे। इसलिए उन्होंने अपनी फिल्म का गीत संगीत रवींद्र जैन साहब को ही दे दिया, जो सुपर हिट साबित हुआ। जबकि इसके पहले हर फिल्म में उन्होंने लक्ष्मीकांत प्यारे लाल या शंकर जयकिशन को ही अपनी फिल्मों में लिया था।
राजकपूर साहब को थी फिल्म के लिए नई अभिनेत्री की तलाश
फिल्म में राजकपूर साहब ने अपने सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर को लिया। इसके पहले मंझले बेटे ऋषि कपूर को लेकर फिल्म ‘प्रेम रोग’बना चुके थे। ‘राम तेरी गंगा मैली’में उन्हें एक नई अभिनेत्री की तलाश थी। इसके लिए उन्होंने कई युवतियों को तलाशा,पर उन्हें मेरठ की यासमीन जोसेफ पसंद आई जिसे उन्होंने मंदाकिनी नाम दिया। हालाकि फिल्म में दीपिका चिखालिया आना चाहती थीं। पर राजकपूर साहब ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि फिल्म में कई बोल्ड दृश्य करने हैं, वह तुम नही कर पाओगी। मंदाकिनी से पहले राज कपूर संजना कपूर को लॉन्च करने की प्लानिंग कर रहे थे। फिर डिंपल कपाड़िया का भी स्क्रीन टेस्ट लिया गया। लेकिन ब्रेस्ट फीडिंग सीन के कारण इन सभी ने फिल्म करने से मना कर दिया था। जीनत अमान-परवीन बाबी और ममता कुलकर्णी के अलावा पूनम ढिल्लो और पद्मिनी कोल्हापुरी का भी आडिशन हुआ था । पर राजकपूर संतुष्ट नहीं हुए।
फिल्म में लिखे गीत और धुन
आठ गीतों से सजी इस फिल्म का संगीत रविंद्र जैन ने दिया साथ ही 6 गीत भी लिखे । पर फिल्म का गीत "सुन साहिबा सुन प्यार की धुन" राजकपूर ने अपने प्रिय गीतकार हसरत जयपुरी से लिखवाया और एक गीत "मैं ही मैं हूं" अमीर कजलवाश से लिखवाया था।
उस दौर की मंदाकिनी एक ऐसी एक्ट्रेस रही हैं, जो स्क्रीन पर बोल्ड सीन्स देने से भी पीछे नहीं हटीं। 1985 में 'मेरे साथी' से अपना करियर शुरू करने वालीं मंदाकिनी ने ब्रेस्ट फीडिंग सीन हो या फिर झरने के नीचे नहाने वाले सीन को बड़ी ही सहजता के साथ पर्दे पर उतारा।
फिल्म की सारी शूटिंग उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में की गई थी। उत्तराखंड के हर्षिल गांव में काफी शूटिंग हुई। पूरी यूनिट गंगोत्री में कई दिनों तक रुकी रही। जिसके कारण राजकपूर को वहां सांस फूलने की बीमारी भी हो गई।
फिल्म का क्लाइमेक्स बदला गया
फिल्म के अंत में जो क्लाइमेक्स सीन था उसमे गंगा यानी मंदाकिनी को मरते दिखाया गया था । पर रिलीज के पहले फिल्म को घर वालों ने देखा तो राज कपूर की पत्नी कृष्णा राज कपूर ने कहा, गंगा के मारने पर फिल्म डूब जाएगी। इस पर राजकपूर ने कहा, अच्छा तुम हमको बताओगी । पर बाद में सबके कहने पर फिल्म का क्लाइमेक्स बदला गया ।बॉलीवुड की सबसे बड़ी फिल्म घराने कपूर खानदान से संबंध रखने के बाद भी राजीव का करियर कुछ खास नहीं चला। उनके पिता राजकपूर और भाई ऋषि और रणधीर कपूर की तरह वो बॉलीवुड में कुछ खास नाम नहीं पाए । जबकि उनके जीवन की सबसे बड़ी हिट फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ ही थी।