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Mrs Chatterjee Vs Norway: सागरिका भट्टाचार्य की असल ज़िन्दगी की कहानी है रानी मुखर्जी की 'मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे!'
Mrs Chatterjee Vs Norway: रानी मुखर्जी की अपकमिंग फिल्म 'मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे' सागरिका भट्टाचार्य की असल ज़िन्दगी की कहानी है।
Mrs Chatterjee Vs Norway: रानी मुखर्जी की अपकमिंग फिल्म 'मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे' का ट्रेलर रिलीज़ होते ही लोगों ने इसपर अपनी प्रतिक्रियां देनी शुरू कर दी थी। लोगों ने इसे काफी पसंद किया था। और रानी के फैंस फिल्म के रिलीज़ होने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। ट्रेलर में एक माँ की विवशता को बखूबी दिखाया गया है। वहीँ आपको बता दें ये कहानी सागरिका भट्टाचार्य की असल ज़िन्दगी की कहानी है। आइये जानते हैं उनके जीवन में घटी इस दर्दनाक कहानी को जिसने उनके पूरे जीवन को बदल दिया। और फिल्म 'मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे' में इसे किस तरह बयां किया गया है।
सागरिका भट्टाचार्य की असल ज़िन्दगी की कहानी है रानी मुखर्जी की 'मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे'
कहते हैं सिनेमा समाज का आईना है और वास्तविक जीवन की घटनाओं से प्रेरित बायोपिक्स और फिल्मों के साथ, कलाकार कई मुद्दों और कहानियों को सुर्खियों में ला सकते हैं जिन पर ध्यान देने की हमेशा से ज़रूरत रही है। आशिमा चिब्बर द्वारा निर्देशित फिल्म 'मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे' भी एक ऐसी कहानी है जिसे सुनने की जरूरत है। फिल्म में रानी मुखर्जी मुख्य भूमिका निभा रहीं हैं।
कुछ दिन पहले फिल्म मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे' का ऑफिशियल ट्रेलर सामने आया, जो आपको उस मां के दर्द से रूबरू करवाएगा जिसने अपने दो बच्चों की कस्टडी हासिल करने के लिए पूरे देश से लड़ाई लड़ी। फिल्म में दिखाई ये कहानी है कोलकाता के अनुरूप भट्टाचार्य और सागरिका भट्टाचार्य की। जिन्होंने नॉर्वे के Foster Care System (बच्चों के देखभाल की प्रणाली) के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ी, जिन्होंने सांस्कृतिक दावा करते हुए अपने दो बच्चों, एक बच्ची और एक लड़के को वापस पाया।
अनुरूप भट्टाचार्य और सागरिका भट्टाचार्य ने साल 2007 में शादी की थी और इसके बाद जल्द ही अपने बच्चों अविज्ञान और ऐश्वर्या का स्वागत किया। लेकिन दुख की बात है कि मई 2011 में, नॉर्वे की सरकार द्वारा संचालित चाइल्ड प्रोटेक्टिव सर्विसेज द्वारा दंपति को उनके बच्चों से अलग कर दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि बच्चों को उनके माता-पिता बच्चों का ठीक से लालन पालन नहीं कर रहे है। उस वक्त अवज्ञान तीन साल का था और ऐश्वर्या एक साल की।
दरअसल जो चीज़ भारतीय घरों में आम से बात है उसे नॉर्वे का कानून इजाज़त नहीं देता। उनके घर की एक हाउस हेल्प ने जब ये सब देखा तो उसे अथॉरिटीज को इसकी खबर दी। तब अधिकारियों ने दंपति के घर पर नियमित रूप से दौरा किया और उनके बच्चों के प्रति उनके व्यवहार को देखा। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने देखा कि बच्चों को माता-पिता हाथ से खाना खिलाया था, उनके साथ सो रहे थे, और उन्हें 'अनुपयुक्त' कपड़े और खिलौने भी दिए गए थे।
इन सभी कारणों का हवाला देते हुए, नॉर्वे की बाल कल्याण सेवाओं ने बच्चों को उनके माता-पिता से छीन लिया और उन्हें Foster Care में रखा, जहाँ उन्हें 18 साल की उम्र तक रहना था। अपने बच्चों के बिना रहने में असमर्थ, सागरिका ने देश से लड़ने का फैसला किया, जिसकी कीमत उसे अपनी शादी से भी चुकानी पड़ी, दरअसल इन सब की वजह से सागरिका और उनके पति में टकराव होने लगा क्योकि अनुरूप भट्टाचार्य वहां नौकरी कर रहे थे और इससे उनकी नौकरी पर भी खतरों के बदल मंडराने लगे जिसके बाद दोनों अलग हो गए। नॉर्वे के साथ टकराव के बाद, अधिकारियों ने बच्चों की कस्टडी उनके पिता के भाई को सौंप दी। फिर, बच्चों को भारत लाया गया। इसके बाद साल 2013 में, उसने अपने अलग हो चुके पति से अपने बच्चों की कस्टडी पाने के लिए संघर्ष किया। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आखिरकार सागरिका को उसके बच्चों की कस्टडी वापस दे दी।
वहीँ रानी की फिल्म 'मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे' इस ट्रैजिक स्टोरी को बखूबी बयां करने का प्रयास करेगी। फिल्म में रानी मुखर्जी एक इंटेंस मां की भूमिका निभाएंगी। फिल्म के 17 मार्च, 2023 को रिलीज होने की उम्मीद है। यह कहानी न सिर्फ दिल तोड़ने वाली है बल्कि एक मां की इच्छाशक्ति को भी दर्शाती है जो अपने बच्चों को पाने के लिए कुछ भी कर सकती है।