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Rekha 'Golden Girl': मुकेश अग्रवाल से शादी के बाद भी, एक अधूरा नाम लेकर आंसू बहा रहीं हैं 'रेखा'

Rekha 'Golden Girl': आज हम आपको 70 व 80 के दशक की बॉलीवुड अभिनेत्री और अपने समय में गोल्डन गर्ल के नाम से जानी जाने वाली ख़ूबसूरत 'रेखा' के बारे में बात करेंगे।

Shashwat Mishra
Written By Shashwat MishraPublished By Chitra Singh
Published on: 16 Oct 2021 7:24 AM IST
Rekha Golden Girl: मुकेश अग्रवाल से शादी के बाद भी, एक अधूरा नाम लेकर आंसू बहा रहीं हैं रेखा
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Rekha 'Golden Girl': प्यार एक बहुत ही ख़ूबसूरत एहसास है। यह जिसकी ज़िन्दगी की दहलीज़ पर आकर खड़ा होता है, वह इसे पाने के लिए या इसमें कुछ भी कर गुज़रने को ख़ुशी-ख़ुशी राज़ी हो जाता है। शायद इसीलिए कहते हैं कि प्यार और जंग में सब जायज़ है। लेकिन कुछ प्यार के लिए तो ख़ालिस जंग ही बनी है। कुछ लोगों की ज़िन्दगी में प्यार के मामले में उनका भाग्य आगे चलता है। वह अपनी मोहब्बत को पाते हैं। लेकिन उसको हमेशा बरकरार नहीं रख पाते। उनकी ज़िन्दगी लोगों के लिये एक रहस्य बन जाती है। शायद ये सारी बातें 70 व 80 के दशक की बॉलीवुड अभिनेत्री और अपने समय में गोल्डन गर्ल के नाम से जानी जाने वाली ख़ूबसूरत 'रेखा' (Actress Rekha) की ज़िन्दगी के लिये ही कही गयी हैं।

लोगों के लिये इनके प्यार की कहानी आज भी एक रहस्य से कम नहीं है। बॉलीवुड इंडस्ट्री में रेखा के नाम पर हमेशा से बहुत सारी बातें होती आयी हैं, चाहे वह मेगास्टार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) से उनके अफेयर के बारे में बातें रही हों या मुकेश अग्रवाल (Mukesh Agarwal) से उनकी रहस्मयी तरीके से की गयी शादी के बारे में। हर ख़बर ने लोगों के बीच सुर्खियां बटोरीं। लेखक व मशहूर पत्रकार यसीर उस्मान (Author Yaseer Usman) ने अभिनेत्री रेखा की ज़िन्दगी पर एक किताब लिखी है, जिसमें उनकी ज़िन्दगी के सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी है। इस किताब का नाम 'रेखा: द अनटोल्ड स्टोरी' (Rekha: The Untold Story) है। जिसका कुछ अंश इस आर्टिकल में बताया गया है...

रेखा (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

शुरुआती सफर (Career)

भानुरेखा (Bhanurekha Ganesan) के रूप में जन्मीं रेखा ने अपने करियर की शुरुआत साल 1958 में की थी। कुछ सफल फिल्में देने के बावजूद एक अभिनेत्री के रूप में पहचान उन्हें 70 के दशक के मध्य में मिली। जाने-माने अभिनेता जेमिनी गणेशन और अभिनेत्री पुष्पावल्ली की लड़की रेखा को कभी उनके पिता का उपनाम नहीं मिला। क्योंकि उनके पिता ने उन्हें कभी अपनी बेटी के रूप में स्वीकार ही नहीं किया। आर्थिक तंगी की वजह से रेखा ने पढ़ाई का त्याग कर, 13 साल की उम्र में अपना एक्टिंग करियर शुरू कर दिया। रेखा का निजी जीवन उनके पेशेवर ज़िन्दगी से ज़्यादा सुर्ख़ियों में रहता है।

अमिताभ बच्चन से उनके अफेयर की अफवाह (Rekha and amitabh love story)

आज भी बॉलीवुड इंडस्ट्री का सबसे विवादास्पद मामला है। टूटे हुए दिल के साथ रेखा को अब भी किसी ऐसे इंसान की तलाश थी; जो उन्हें प्यार करे, उनकी तारीफ़ करे और उनके साथ अपने रिश्ते को एक नाम दे। फिर उनकी मुलाकात होती है मुकेश अग्रवाल से…

रेखा और अमिताभ बच्चन (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

मुकेश अग्रवाल- एक दिग्गज कारोबारी

एक मिडिल क्लास बनिया परिवार में जन्में मुकेश अग्रवाल ने 13 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी। पढ़ाई से मोहभंग होने के बाद उन्होंने जगह-जगह अज़ीबोगरीब काम करना शुरु कर दिया। 1970 के दशक के आखिर में मुकेश ने अपना ख़ुद का कारोबार शुरू किया। उन्होंने बर्तन बनाने वाली एक कंपनी को शुरू किया, जिसका ब्रांड नेम 'हॉटलाइन' था। मुकेश का बिज़नेस आगे बढ़ रहा था । अपने ब्रांड की अपार सफलता के कारण ख़बरों में सुर्खियां बटोर रहा था। पैसों को कमाने के साथ ही साथ मुकेश अपना नाम दिल्ली के बड़े लोगों (एलीट वर्ग) में देखना चाहते थे। वह ग्लैमर की दुनिया में काबिज़ बड़े लोगों जितनी शोहरत कमाने के लिये कुछ भी कर सकते थे।

वह बड़ी-बड़ी पार्टीज देने का शौक़ रखते थे और उन सारे सेलेब्रिटीज़ को बुलाते थे, जो उस वक़्त शहर में होते थे। मुकेश के क़रीबी दोस्त नीरज कुमार (रिटायर्ड आईपीएस अफसर और दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर) के मुताबिक- ''मुकेश एक अच्छा इंसान था। लेकिन उसके साथ एक दिक्कत थी। वह नाम और शोहरत चाहता था, वह चाहता था कि दुनिया उसे एक उभरते हुए बड़े शख़्स के रूप में देखे। उसे छोटी पहचान रखना पसन्द नहीं था और सेलेब्रिटीज़ को आकर्षित करने के लिये कुछ भी कर सकता था।''

मुकेश की असाधारण ज़िंदगी के बारे में बात करते हुए नीरज कहते हैं, ''उसका महरौली में फॉर्महाउस था, उसने एक घोड़ा खरीदा। उसे जब किसी गेस्ट के आने की उम्मीद होती थी, तो वह घोड़े के ऊपर बैठकर उसका इंतज़ार करता था।''

रेखा और मुकेश अग्रवाल (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

रेखा और मुकेश की नयी ज़िन्दगी (Rekha and Mukesh Agarwal Story)

अक्सर रेखा का दिल्ली आना-जाना लगा रहता था, यहां वो अपनी करीबी दोस्त व मशहूर फैशन डिजाइनर और सोशलाइट बीना रमानी से मिलने आती थीं। ऐसी ही एक मुलाकात में रेखा ने घर बसाने की इच्छा जताई थी । वह चाहती थी कि उन्हें कोई ऐसा शख्स मिले, जो उनसे प्यार करे, उनसे शादी करे और उन्हें अपना सरनेम दे। ये बीना रमानी ही थी, जिन्होंने रेखा को मुकेश अग्रवाल से मिलवाया था। बीना ने रेखा को फोन किया और उनके क्रेजी फैन के बारे में बताया, जो एक जाना-माना व्यवसायी था। जब बीना ने रेखा से पूछा कि क्या मुझे, तुम्हारा (रेखा) नंबर मुकेश को देना चाहिए, तो रेखा ने मना कर, मुकेश का नंबर ले लिया।

शुरुआत में रेखा मुकेश को फ़ोन करने के लिये तैयार नहीं थी। लेकिन बीना के बार-बार कहने के बाद रेखा ने ही पहल की। मुकेश को फ़ोन किया। हालांकि उनकी पहली बातचीत काफी औपचारिक थी। ऐसा कहा जाता है कि रेखा की आवाज़ सुनकर मुकेश पूरी तरह से होश खो बैठे थे । उन्हें प्यार होने लगा था। मग़र उन्हें इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वो सुपरस्टार जो लाखों दिलों की धड़कन है, उसने उन्हें कॉल किया। पहले फोन कॉल के बाद, दोनों के बीच फ़ोन कॉल्स का एक सिलसिला शुरू हो गया। पहले फोन कॉल के एक महीने के भीतर ही दोनों पहली बार बॉम्बे में मिले थे। ग्लैमर की दुनिया के बनावटी और नकलीपन से इतर मुकेश की ईमानदारी और सादगी ने उन्हें प्रभावित किया। तो दूसरी तरफ, हमेशा सेलेब्रिटीज़ की अटेंशन पाने को आतुर रहने वाले मुकेश को बॉलीवुड़ की ख़ूबसूरत एक्ट्रेस से प्यार हो गया था। रेखा की तारीफ़ों के क़सीदे पढ़ने का मुकेश कोई मौका नहीं छोड़ते थे।

बॉम्बे में पहली मुलाक़ात के बाद मुकेश ने रेखा को दिल्ली आने के लिये मना लिया। रेखा जब दिल्ली पहुंचती हैं, तो मुकेश के छत्तरपुर वाले फार्महाउस में आकर्षण का केंद्र बन जाती हैं। जो इज्ज़त और तवज्ज़ों रेखा को दिल्ली में मिलती है, उससे इन दोनों के बीच एक अनकहा जुड़ाव मज़बूत हो जाता है। मुकेश को रेखा के 'दिवा' टैग के प्रति लगाव था। रेखा को मुकेश की उसके लिये मोहब्बत की भावना प्रभावित करती थी। रेखा ने एक बार कहा था कि वह उनसे केवल दो बार मिली थीं। जब वह उनसे दिल्ली में मिली थीं, तो उन्हें उनका परिवार बहुत पसंद आया था।

मुकेश अभिनेत्री दीप्ति नवल के ख़ास दोस्त थे और वो ख़ुद को दीप्ति से रेखा की तारीफ़ करने से रोक नहीं पाये। दीप्ति के अनुसार, रेखा और मुकेश को अब अपने गुज़रे हुए कल से कोई दिक्कत नहीं थी। वे दोनों एक-दूसरे के प्यार में डूब चुके थे।

मुकेश अग्रवाल और रेखा (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

दीप्ति ने यह भी कहा कि "जब उन्होंने रेखा से फोन पर बात की । दोनों बॉम्बे में मिले और बाद में फिर दिल्ली में, तब भी मुकेश ख़ुद को उसके (रेखा) बारे में बात करने से नहीं रोक पा रहा था। वह उसके बारे में सोचता था। मुझे लगता था कि वह उसके ऊपर पूरी तरह से लट्टू हो गया है।"

रेखा-मुकेश की गुपचुप शादी (Rekha and Mukesh Agarwal Wedding)

रविवार, 4 मार्च 1990, मुकेश को रेखा से मिले हुए मुश्किल से एक महीना बीता होगा। जिसके बाद, बेचैन मुकेश रेखा के बॉम्बे स्थित घर पर पहुंच जाते हैं । रेखा को शादी के लिये प्रपोज़ कर देते हैं। रेखा शादी के लिये झट से मान जाती हैं। यह सुनकर मुकेश ख़ुशी से झूम उठते हैं।रेखा से मुकेश कहते हैं कि 'चलो, अभी शादी कर लें!' प्रपोज़ल के कुछ ही घंटों में, परिवार वालों के न होते हुए भी, दोनों उसी दिन शादी करना तय करते हैं। रेखा अपनी शादी के लिये काफ़ी उत्साहित रहती हैं, क्योंकि इसके बाद उनका भी एक सरनेम होगा।

शाम के वक़्त शादी के लिये रेखा ने पारंपरिक आभूषणों के साथ अपनी पसंदीदा लाल और सोने के रंग वाली कांजीवरम साड़ी पहन रखी थी। अब मुकेश, रेखा और उनकी सबसे अच्छी दोस्त सुरिंदर जुहू में एक मंदिर की तलाश में निकल गए। तीनों इस्कॉन मंदिर पहुंचे। लेकिन वहां बहुत भीड़ थी। हालांकि इस्कॉन के सामने एक और मंदिर था, जिसका नाम मुक्तेश्वर देवालया था। यहां पहुंचकर मुकेश ने पुजारी से कहा कि 'वह तुरंत शादी करना चाहते हैं।' पुजारी ने रेखा को देखा और आश्चर्यचकित रह गया। वह सोच में था कि इतनी बड़ी स्टार इस तरह से गुपचुप तरीके से शादी क्यों कर रही हैं?

शाम की आरती के बाद मंदिरों को खोले रखना या उसमें किसी भी तरह की रस्मों व शादी करवाने की मनाही थी। लेकिन उस दिन रेखा और मुकेश के लिये सारे नियमों को ताक पर रख दिया गया था। (जिसके बाद मंदिर के पुजारी को हमेशा के लिये बैन कर दिया गया) अब रेखा के बचपन का सपना पूरा हो चुका था, उनके नाम के आगे सरनेम लग गया था, वो अब रेखा अग्रवाल हो गयी थीं। मंदिर में की गयी इस गुप्त शादी के बाद 15 अप्रैल, 1990 को तिरुपति मंदिर में रेखा और मुकेश ने पूरे रीति-रिवाजों के साथ रेखा की मां पुष्पावल्ली की मौजूदगी में ब्याह रचाया। यह मौका रेखा के लिये बेहद खास था, क्योंकि इसमें उनके पिता जेमिनी गणेशन भी शरीक हुए थे। जिन्होंने कभी उन्हें अपनी बेटी नहीं माना था।

रेखा और मुकेश अग्रवाल की शादी (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

शादी के बाद 'स्टारस्ट्रक' मुकेश ने रेखा से कहा, 'कि हमें तुम्हारे किसी सेलेब्रिटी दोस्त के यहां चलना चाहिये।' रेखा के दिमाग में हेमा मालिनी के घर जाने का ख्याल आया। रेखा अपने पति मुकेश अग्रवाल के साथ जब हेमा जी के घर पहुंची, तो हेमा जी दोनों लोगों को साथ देखकर और शादी की खबर सुनकर स्तब्ध रह गयी। उन्होंने दोनों लोगों को बधाइयां दी और मुकेश से कहा- 'आप बहुत धनी व्यक्ति हैं।' रेखा की शादी की ख़बर पाने वाली दूसरी शख़्स बनीं दीप्ति नवल। रेखा ने ख़ुद उन्हें अपनी शादी की जानकारी दी। रेखा ने दीप्ति को कॉल करके कहा कि 'अब मैं तुम्हारी भाभी बन गयी हूं।' मुकेश दीप्ति के भाई जैसे था।

शादी के बाद की ज़िन्दगी

शादी के बाद मुकेश और रेखा लंदन हनीमून मनाने के लिये गए थे। यह वह समय था जब रेखा ने सबसे ज़्यादा वक़्त मुकेश के साथ बिताया। दोनों एक-दूसरे के साथ बहुत ख़ुशी से वक़्त बिता रहे थे। दोनों एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझ भी रहे थे। लेकिन इन एक हफ़्तों में रेखा को पता चला कि वे दो अलग-अलग लोग हैं । उन्हें लगा कि कुछ न कुछ ऐसा है, जो मुकेश को परेशान कर रहा है। लंदन में करीब एक सप्ताह बिताने के बाद, मुकेश ने एक दिन रेखा को बताया कि उसकी तरह उसके भी जीवन में एक 'एबी' है।

रेखा के अतीत में जैसे 'एबी' यानि अमिताभ बच्चन थे, ठीक वैसे ही उनके पति मुकेश की ज़िन्दगी में एक 'एबी' थी। मुकेश के जीवन में 'एबी' उनकी मनोचिकित्सक और दो बच्चों की तलाकशुदा मां आकाश बजाज थी। रेखा से मिलने के पहले मुकेश का एक रिश्ता आकाश बजाज से भी था। मुकेश इनके दोनों बच्चों को भी बहुत प्यार करते थे। ये सभी लोग किसी फैमिली की तरह एक साथ छुट्टियां मनाने भी जाया करते थे। लेकिन मुकेश ने रेखा के साथ अपने रिश्ते और शादी के बारे में अपनी दोस्त आकाश को कुछ भी नहीं बताया था। यहां तक मुकेश ने आकाश को रेखा के साथ शादी के बारे में भी नहीं इत्तला किया था।

मुकेश और रेखा ने अपनी नयी ज़िन्दगी की शुरुआत की। रेखा हर हफ्ते के अंत में मुकेश के साथ वक़्त बिताने दिल्ली जाया करती थी। रेखा को अपनी यह ज़िन्दगी उनकी चमकती-धमकती सितारों की दुनिया से काफी पसंद आ रही थी। मुकेश के साथ उनकी शादी उनकी ज़िन्दगी का नया बदलाव था। मगर उनकी यह ख़ुशी ज़्यादा दिनों तक न रही, क्योंकि रेखा और मुकेश दोनों ही अलग स्वभाव और अलग व्यक्तित्व के थे। जहां मुकेश को दिलकश और ग्लैमरस पार्टियों का शौक़ था, वहीं रेखा को यह सब कुछ नापसंद था। वह मुकेश के साथ अकेले में समय बिताना पसंद करती थी। रेखा सप्ताह के अंत में जब भी मुकेश से मिलने दिल्ली जाती, तब वह अक्सर पार्टियां करते और उसी में व्यस्त रहते। रेखा का अकेले में उनके साथ समय बिताने का प्रयास असफल रह जाता। यही कारण था कि उनको कुछ समय बाद यह महसूस होने लगा कि जैसे वह कोई जीती हुई पत्नी हैं।

रेखा और मुकेश अग्रवाल का रिश्ता (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

रेखा का जाना और मुकेश की आत्महत्या

साल 1990 में पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी जैसे हालात हो गये थे। मुकेश को भी अपने बिज़नेस में काफी नुक़सान उठाना पड़ा। जब रेखा को इस बारे में पता चला तो वह भी काफी परेशान हो गयी। अब धीरे-धीरे उनके रिश्तो में दरार दिखना भी शुरू हो गयी थी। रेखा ने भी दिल्ली आना-जाना कम कर दिया था। रेखा की गैरमौजूदगी से मुकेश पागल-सा होने लगे थे। अब वह रेखा को फ़िल्मों में काम करने से भी रोक रहे थे। जब रेखा ने दिल्ली जाना कम कर दिया, तो मुकेश ने बॉम्बे आकर ही रहना शुरू कर दिया था। अब उसने अपने गिरते हुए बिज़नेस पर ध्यान देने के बजाय, रेखा की फ़िल्मों की शूटिंग और उनके साथ बॉलीवुड की पार्टियों में जाना शुरू कर दिया।

मुकेश का बर्ताव रेखा के लिए दिन-प्रतिदिन शर्मनाक होता चला जा रहा था। रेखा ने अपने वैवाहिक जीवन को हमेशा ख़ुशहाल बताया, जबकि सच कुछ और ही था। मुकेश तीव्र अवसाद की भारी मात्रा में दवा ले रहे थे, पर इस बारे में रेखा को कुछ भी नहीं पता था। रेखा अब मुकेश से पूरी तरह दूर होना चाहती थी, क्योंकि वह अपनी इस बेजान शादी को आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं थी। रेखा ने अब मुकेश और उसके परिवार से दूरी बनाना शुरू कर दिया। साथ ही, उसका फ़ोन तक उठाना भी बंद कर दिया। उसके बाद मुकेश ने कई बार रेखा को वापस ज़िन्दगी में लाने का प्रयास किया, लेकिन वह सफल न हो सका। मुकेश तीव्र अवसाद में था । इसी बीच 10 सितम्बर 1990 को उसने रेखा को बुलाया, दोनों ने आपसी सहमति से तलाक़ लेने का फैसला ले लिया।

एक साथ बैठे रेखा और मुकेश अग्रवाल (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

मुकेश अपने हयात-ए-सफर को ज़्यादा दिनों तक आगे नहीं ले जा सके। 2 अक्टूबर, 1990 को अपनी जान ले ली। मुकेश ने अपने कमरे की छत पर लगे पंखे से लटककर फांसी लगा ली थी। उन्होंने फांसी लगाने के लिये रेखा के दुपट्टे का ही इस्तेमाल किया था। रेखा और मुकेश की शादी सिर्फ सात महीने ही चल सकी। मुकेश की मृत्यु के बाद लोगों ने रेखा पर ख़ूब गुस्सा ज़ाहिर किया। मुकेश की आत्महत्या के लिये रेखा को ही ज़िम्मेदार ठहराया। 'रेखा हमेशा से अपना घर बसाना चाहती थी, शादी करना चाहती थी, बच्चे चाहती थी।' रेखा ने यह बात दिल्ली पुलिस में कमिश्नर रह चुके नीरज कुमार (जो कि मुकेश के ख़ास मित्र भी थे) को बताई थी। यह भी बताया कि 'एक साधारण पारिवारिक जीवन के लिए वह अपने स्टारडम को भी छोड़ने को तैयार थी।' मग़र, ऐसा लगता है कि किस्मत को रेखा के लिये कुछ और ही मंज़ूर था।

रेखा का बॉलीवुड़ में कई सितारों के साथ नाम जोड़ा गया। लेकिन जो सच्चा प्यार और दीवानगी थी, वह केवल अपनेपन का एहसास था। रेखा की साधारण पारिवारिक जीवन जीने की जो इच्छा थी। वह उन्होंने मुकेश के साथ शादी करके पूरा करना चाहा था। लेकिन मुकेश से शादी करने के बाद उन्हें सिर्फ सरनेम मिला, उनके जीवन में ख़ालीपन अब भी था। कई परेशानियों से लड़ते हुए भी जीवन के लिये उनका उत्साह सराहनीय था। इतनी परेशानियां भी रेखा को तोड़ न सकी और शायद यही कारण था कि वह आज भी बॉलीवुड़ की क्वीन हैं।



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