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O.P.Nayyar : रिदम किंग ओ पी नैयर का निजी जीवन उतना ही नाटकीय था, जितना उनके गानों का चयन

बॉलीवुड के सबसे बड़े संगीत प्रभावों में से एक ओपी नैयर ने अपनी विलक्षण संगीत कला से ऐसे गीतों का निर्माण किया जिसे आज भी सबसे ज्यादा सुना जाता है।

Priya Singh
Written By Priya Singh
Published on: 16 Jan 2022 11:11 AM IST
O.P.Nayyar : रिदम  किंग ओ पी नैयर का निजी जीवन उतना ही नाटकीय था, जितना उनके गानों का चयन
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O.P.Nayyar : आज भी जब आप गाना 'मांग के साथ तुम्हारा' (Maang Ke Saath Tumhara), मेरा नाम चिन चिन चू (Mera Naam Chin Chin Chu), उड़े जब - जब जुल्फें तेरी (Ude Jab Jab Julfein Teri) या इशारों इशारों में (Isharon Isharon Mein) जैसे पुराने गीतों की आकर्षक धुनों को गुनगुनाते हैं, तो आपके मुख पर एक प्राकृतिक मुस्कुराहट आ जाती है। आप अपने हाथों को एक धुन पर थपथपाने लगते हैं। इन बेहतरीना गानों का निर्माण करने वाले ओ पी नैयर को 'रिदम किंग' (Rhythm King) कहा जाता है। ओ पी नैयर, बॉलीवुड इंडस्ट्री का वो चेहरा है, जिसने अपनी रमणीय रचनाओं और संगीत निर्देशन के साथ बॉलीवुड में तूफान ला दिया। नैय्यर हिंदी फिल्म संगीत पर व्यापक प्रभाव रखते हैं।

ओ पी नैयर की पहली रचना परियोजना उर्दू - हिंदी फिल्म 'कनीज' थी

16 जनवरी 1926 को जन्मे ओम प्रकाश नैय्यर हमेशा से संगीत से मोहित थें। कम उम्र में ही वो म्यूजिक इंडस्ट्री में अपना नाम बनाने के लिए घर से भाग गए। उनकी पहली रचना परियोजना एक उर्दू - हिंदी फिल्म 'कनीज' थी। इसके बाद उनके कुछ रचनाओं ने दर्शकों पर वो प्रभाव नहीं डाला,जिसकी वो अपेक्षा कर रहे थें। वहीं 1953 में आई फिल्म 'बाजी' (Baaji), जिसमें गुरु दत्त ने अपनी पहली भूमिका निभाई थी, नैयर का बड़ा ब्रेक साबित हुआ। इस फिल्म के गानों से नैयर ने फिल्म इंडस्ट्री अपनी पहचान बनाई। ये वो दौर था जिसके बाद से नैयर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

ओ पी को अहंकारी और समझौता न करने वाले व्यक्ति के रुप में जाना जाता था

महान संगीतकार ओ पी नैयर ने 60 और 70 के दशक में अपने गीतों के साथ बॉलीवुड पर राज किया। देव आनंद, गुरु दत्त, शर्मिला टैगोर, माला सिन्हा, दिलीप कुमार और अन्य प्रमुख सितारों द्वारा अभिनीत फिल्मों के लिए उन्होंने श्रेष्ठ कृतियों की रचना की और उनका निर्देशन किया। इस बीच जहां उन्होंने अपने काम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में एक अहंकारी और समझौता न करने वाले प्रतिभाशाली व्यक्तित्व होने की प्रतिष्ठा भी बनाई। वो अपने गायकों के साथ बेहद चयनात्मक होते थें। कहा जाता है कि उन्हें सुर कोकिला लता मंगेशकर की आवाज भी कुछ खास पसंद नहीं थी। उन्होंने लता को एकबार अपने गाने के लिए रिजेक्ट तक कर दिया था।

आशा भोसले के साथ ओ पी नैयर के डेटिंग की अफवाह थी

वो अक्सर कहा करते थें, "मुझमें एक राजा के समान अहंकार है। जिसे कभी कोई नहीं बदल सकता।" ओ पी नैयर उस जमाने में बेहद अहंकारी और सख्त मिजाज व्यक्ति माने जाते थें। लेकिन ऐसा नहीं था कि ये सख्त मिजाज इंसान का दिल कहीं पर पिघला न हो। ओ पी नैयर ने जब पहली बार आशा भोसले को देखा था, तभी वो उनके प्रति आकर्षित हो गएं। उस समय उनके डेटिंग की अफवाहें जोरों पर थी। लेकिन ओ पी नैयर पहले से ही शादीशुदा थें। ओ पी नैयर की पत्नी का नाम सरोज मोहिनी था। जिनसे उनके तीन बच्चे थे। रिश्ते में होने के बावजूद नैयर साहब ने आशा भोसले से अपना संबंध जारी रखा। लेकिन ये रिश्ता ज्यादा समय तक न चल पाया। 1973 में जब आशा भोंसले के साथ उनका रिश्ता खत्म हो गया, तो इससे उनके परिवार से उनका अलगाव हो गया। आशा भोसले से अलग होने और परिवार का साथ छूटने के गम की वजह से उनके जीवन में पेशेवर मंदी आ गई।



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