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Sanjay Dutt and Mumbai Blast: कैसे संजय दत्त की रातों-रात बिखर गई जिंदगी, आइए जाने इसकी कहानी

Sanjay Dutt Connection Mumbai Blast: 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाके मामले में फिल्म एक्टर संजय दत्त का नाम भी सामने आया था...

Akshita Pidiha
Published on: 11 March 2025 5:48 PM IST
Sanjay Dutt Connection Mumbai Bomb Blast
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Sanjay Dutt Connection Mumbai Bomb Blast (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Sanjay Dutt Connection Mumbai Dhamaka: 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों (Mumbai Blast 1993) ने न केवल देश को झकझोर कर रख दिया, बल्कि इसमें बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त (Sanjay Dutt) का नाम सामने आने से पूरे देश में सनसनी फैल गई। संजय दत्त पर अवैध हथियार रखने का आरोप लगा, जो कि इन धमाकों में उपयोग किए गए थे।

12 मार्च 1993 को मुंबई में एक के बाद एक 12 बम धमाके हुए। इन धमाकों में 257 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हुए। इस हमले के पीछे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) और टाइगर मेमन (Tiger Memon) का हाथ था। धमाकों की जांच में पुलिस ने पाया कि इन हमलों के लिए हथियारों और विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया था, जो अवैध रूप से मुंबई में लाए गए थे।

संजय दत्त का नाम कैसे आया सामने?

जब पुलिस ने जांच शुरू की, तो एक अहम सुराग सामने आया। फिल्म निर्माता समीर हिंगोरा और हनीफ कड़ावाला का नाम सामने आया, जो अंडरवर्ल्ड से जुड़े थे। पुलिस को संदेह था कि इन लोगों ने संजय दत्त के साथ संपर्क साधा था। पूछताछ में हनीफ कड़ावाला ने स्वीकार किया कि उन्होंने संजय दत्त को अवैध हथियार दिए थे।

आरोप और गिरफ्तारी

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

संजय दत्त पर आरोप था कि उन्होंने अपने घर पर एक एके-56 राइफल, एक पिस्तौल, कुछ हैंड ग्रेनेड और कारतूस रखे थे। यह हथियार दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम के जरिए पहुंचाए गए थे। 19 अप्रैल 1993 को संजय दत्त मॉरीशस से लौटे, जहां वह फिल्म 'आतिश' की शूटिंग कर रहे थे। जैसे ही वे मुंबई एयरपोर्ट पहुंचे, पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें टाडा (Terrorist and Disruptive Activities Act) के तहत आरोपित किया गया।

जांच के दौरान संजय दत्त का बयान

गिरफ्तारी के बाद संजय दत्त ने स्वीकार किया कि उन्होंने हथियार अपने पास रखे थे, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने यह काम अपने परिवार की सुरक्षा के लिए किया था। उन्होंने दावा किया कि उनके पास मौजूद हथियारों का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों में नहीं किया गया। संजय ने यह भी स्वीकार किया कि उनके संपर्क हनीफ कड़ावाला और समीर हिंगोरा के जरिए अंडरवर्ल्ड से बने थे।

जेल जीवन और कानूनी प्रक्रिया

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

गिरफ्तारी के बाद संजय दत्त को यरवदा जेल में भेजा गया। उनके खिलाफ 10,000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई, जिसमें 189 लोगों को आरोपी बनाया गया था। संजय दत्त पर अवैध हथियार रखने का मामला चला।

2006 में अदालत ने संजय दत्त को अवैध हथियार रखने का दोषी पाया। हालांकि, आतंकवादी साजिश रचने के आरोप से उन्हें बरी कर दिया गया। कोर्ट ने उन्हें 5 साल की सजा सुनाई। संजय दत्त ने कई बार दया याचिका दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा बरकरार रखी। फरवरी 2013 में उन्होंने पुणे की यरवदा जेल में अपनी सजा काटनी शुरू की।

जेल जीवन के अनुभव

संजय दत्त ने जेल जीवन को कठिन बताया। उन्होंने कहा कि जेल में समय बिताना उनके लिए आत्ममंथन का समय था। उन्होंने किताबें पढ़ीं, आत्मचिंतन किया और जीवन के गहरे पहलुओं को समझा। जेल में रहते हुए संजय ने कहा कि उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा और भविष्य में बेहतर इंसान बनने का संकल्प लिया।

रिहाई और उसके बाद का जीवन

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

25 फरवरी 2016 को संजय दत्त को समय से पहले रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि जेल जीवन ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है और अब वे एक जिम्मेदार नागरिक बनने की कोशिश करेंगे। उन्होंने अपने परिवार और प्रशंसकों का आभार जताया, जिन्होंने उनके कठिन समय में उनका साथ दिया।

बॉलीवुड में वापसी

जेल से बाहर आने के बाद संजय दत्त ने फिल्म 'भूमि' से अपनी वापसी की। इसके बाद उन्होंने 'संजू', 'साहो', 'प्रस्थानम' और 'केजीएफ-2' जैसी फिल्मों में काम किया। 'संजू' फिल्म, जो उनकी बायोपिक थी, ने उनके जीवन के कई अनछुए पहलुओं को उजागर किया। रणबीर कपूर ने फिल्म में उनका किरदार निभाया था।

विवाद और आलोचनाएं

संजय दत्त की रिहाई को लेकर कई विवाद भी हुए। कुछ लोगों ने समय से पहले रिहाई पर सवाल उठाए, वहीं कुछ ने उन्हें दूसरी जिंदगी का अवसर मिलने पर समर्थन दिया। संजय ने इन आलोचनाओं का शांतिपूर्वक जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने अपनी सजा पूरी की है और अब एक नई जिंदगी शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं।

शरद पवार से मांगी मदद

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1993 के मुंबई बम धमाकों के बाद, अभिनेता संजय दत्त का नाम इस मामले में सामने आया, जिससे उनके परिवार और प्रशंसकों में चिंता की लहर दौड़ गई। उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार थे। संजय दत्त के पिता, सुनील दत्त, जो स्वयं एक प्रतिष्ठित अभिनेता और राजनेता थे, ने अपने बेटे की मदद के लिए शरद पवार से संपर्क किया। सुनील दत्त ने शरद पवार से अनुरोध किया कि संजय के मामले में नरमी बरती जाए, लेकिन पवार ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, यह कहते हुए कि संजय दत्त के खिलाफ मजबूत सबूत मौजूद हैं।

इसके अलावा, शरद पवार ने 2006 में स्वीकार किया कि उन्होंने 1993 के बम धमाकों के बाद जानबूझकर लोगों को गुमराह किया था। उन्होंने कहा था कि धमाके 12 नहीं, बल्कि 13 स्थानों पर हुए हैं, और एक मुस्लिम-बहुल इलाके का नाम भी शामिल किया था, ताकि यह दिखाया जा सके कि दोनों समुदाय प्रभावित हुए हैं, जिससे सांप्रदायिक दंगे रोके जा सके।

इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि शरद पवार और संजय दत्त के बीच कोई सीधा संबंध नहीं था। संजय दत्त के पिता ने मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन पवार ने न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

आत्मस्वीकृति और भविष्य की योजनाएं

संजय दत्त ने स्वीकार किया कि उनकी गलतियों का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा कि जीवन में गलती करना मानव स्वभाव है, लेकिन उनसे सीखना ही असली ताकत है। उन्होंने अपने अनुभवों से सीखा है कि जिंदगी का हर पल कीमती है। संजय ने कहा कि वे अब समाज सेवा में भी योगदान देना चाहते हैं और युवाओं को जागरूक करने का प्रयास करेंगे।

संजय दत्त की जिंदगी एक सीख है कि जीवन में किए गए गलत फैसलों का परिणाम भुगतना पड़ता है, लेकिन आत्मचिंतन और सुधार के जरिए इंसान एक नई शुरुआत कर सकता है। उनकी जिंदगी इस बात का उदाहरण है कि इंसान चाहे कितनी भी बड़ी गलती करे, लेकिन उसे सुधारने का अवसर हमेशा होता है। संजय दत्त की कहानी संघर्ष, सीख और नई शुरुआत का प्रतीक है।

यह लेख न केवल एक अभिनेता के जीवन की कहानी है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि गलतियों से सीखकर आगे बढ़ा जा सकता है।

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