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राम गोपाल वर्मा ने ट्वीट पर किया समय बर्बाद, वरना बन सकती थी सरकार-3 दमदार

suman
Published on: 12 May 2017 12:46 PM IST
राम गोपाल वर्मा ने ट्वीट पर किया समय बर्बाद, वरना बन सकती थी सरकार-3 दमदार
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मुंबई : अमिताभ बच्चन की एक्टिंग से लबरेज सरकार 3' पॉलिटिक्स का आईना दिखाती फ़िल्म 'सरकार 3' में अपने ही बने दुश्मन। तो क्या कहती हैं ये फिल्म देखते इस की समीक्षा।

निर्देशक : राम गोपाल वर्मा

जोनर : पॉलिटिकल क्राइम थ्रिलर

संगीतकार : रवि शंकर

बैनर : अलुम्ब्रा एंटरटेनमेंट, वेव सिनेमाज, कंपनी प्रोडक्ट, एबी कॉर्प लिमिटेड

निर्माता : राहुल मित्रा, आनंद पंडित, गोपाल शिवराम दलवी, कृष्णा चौधरी

स्टारकास्ट : अमिताभ बच्चन, जैकी श्रॉफ, मनोज बाजपाई, अमित साध, यामी गौतम, रोनित रॉय

रेटिंग : ***स्टार

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निर्देशन में महारथ हासिल कर चुके और इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहे निर्देशक राम गोपाल वर्मा की 'सरकार' की तीसरी किश्त लोगों के सामने है। वर्मा को अपनी इस अवेटेड फिल्म से काफी उम्मीदें हैं और उन्हें भरोसा है कि उनकी यह सीरीज भी पिछली फिल्मों की तरह बॉक्स ऑफिस पर एक नया कीर्तिमान रचेगी।

कहानी

फ़िल्म की कहानी सरकार उर्फ सुभाष नागरे (अमिताभ बच्चन) से शुरू होती है, नागरे बड़ी संख्या में लोगों को संबोधित कर रहे थे। इससे वहां पर मौजूद लोगों को काफी हौसला मिला। फिर धारावी की जमीन को लेकर एक बैठक होती है, जिसमें सरकार माना कर देते हैं। फिर दूर देश में बैठे जैकी श्रॉफ सरकार को लेकर साजिश रचता है। इधर, सरकार के दो खास आदमी रमन और गोकुल (रोनित रॉय) होते हैं, फिर शंकर का बेटा यानी सरकार का पोता चीकू उर्फ शिवाजी (अमित साध) भी सरकार के साथ शामिल हो जाता है। बता दें कि चीकू अन्नू करकरे (यामी गौतम) का बॉयफ्रेंड होता है, लेकिन अन्नू उसके घर वालों से बदले की नियत रखती है। वहीं दूसरी तरफ देश गोविंद पांडेय (मनोज बाजपेई) सरकार की जगह लेना चाहता है। इसके लिए उसे जैकी श्रॉफ के पूरा सपोर्ट मिलता है। फिर गांधी जी की प्रतिमा के अनावरण के मौके पर सरकार और देश पांडेय दोनों एक-दूसरे से बातों-बातों में कहासुनी हो जाती है। इस पर सरकार के घर पर शिवजी आगबबूला होता है और देश पांडेय को जान से मारने की सरकार से गुजारिश करता है, लेकिन सरकार मना कर देते हैं। अब देश पांडेय अपने घर में मां से बात कर रहा होता है कि सरकार उसे कुछ भी नहीं करेंगे। साथ से अन्नू भी अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए शिवजी के सहारे उसके घर पहुंचने की कोशिश में लग जाती है। इधर, गोकुल को बंदूक की नोंक पर अगवा कर लिया जाता है और गांधी नाम के माफिया के सामने ले जाया जाता है। वहां गोकुल को सरकार के खिलाफ भड़काया जाता है और उसे सरकार की गद्दी ऑफर की जाती है। अब गणेश विसर्जन का समय आता है और सभी के मना करने पर भी सरकार उसमें शामिल होने के लिए निश्चय करते हैं। फिर गणेश विसर्जन के दौरान ही उन पर हमला हो जाता है, पर सरकार को कुछ भी नहीं होता है। इसी के साथ फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है।

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अभिनय

इंडस्ट्री में अभी तक सम्मान जनक पारी खेलते आ रहे सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने इस बार भी अपनी गजब अभिनय से ऑडियंस को कायल कर दिया। उन्होंने वाकई में कुछ अलग कर दिखाने का जबरदस्त प्रयास किया। जैकी श्रॉफ ने भी अभिनय में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी और वे अपने अलग लुक में दिखाई दिए। मनोज बाजपेई ने एक पॉलिटिकल की भूमिका को अपने निराले अंदाज में पेश किया है, जिसके लिए उन्होंने काफी रिहर्सल भी किया था। इसके साथ ही अमित साध और रोनित रॉय ने भी अपने-अपने अभिनय में कुछ अलग कर दिखाने की पूरी कोशिश की, जिसमें दोनों की तारीफ की जा सकती है। इनके अलावा यामी गौतम एक बदला लेने की भावना रखने वाली अन्नू करकरे की दमदार भूमिका का सराहनीय प्रदर्शन रहा।

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निर्देशन

बी-टाउन के फेमस निर्देशक राम गोपाल वर्मा 'सरकार' सीरीज की इस तीसरी फिल्म को कई मायनों में भुनाने में सफल रहे। साथ ही उन्होंने इस फिल्म से भी दर्शकों को आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास किया। राम गोपाल ने ऑडियंस को लुभाने के लिए काफी मसाला तो परोसा है, पर कहीं-कहीं पर वे निर्देशन में थोड़ा मात खाते हुए दिखाई दिए। बहरहाल, वर्मा के निर्देशन की तारीफ तो की जा सकती है, लेकिन कहीं-कहीं पर निर्देशक को थोड़ा और बेहतर करने की जरूरत भी महसूस हुई। खैर, वर्मा ने अपने जुदा अंदाज में फ़िल्म को दिखाने का प्रयास किया है, जिसकी वजह से वे आपने चाहने वालों की वाहवाही लूटने में काफी हद तक सफल रहे।

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बहरहाल, 'अब पत्थर मरोगे तो कीचड़ तो उड़ेगा ही...', 'हम अगर खून-खराबा करेंगे तो सरकार नहीं होंगे...' जैसे कई डॉयलॉग्स की तारीफ की जा सकती है। बता दें, कि फिल्म अपने पहले हाफ में दर्शकों को कुछ बोर करती है, लेकिन ऑडियंस को आखिर तक बांधे रखने में भी कहीं-कहीं सफल रहती है। अगर टेक्नोलॉजी और कॉमर्शियल की बात छोड़ दी जाए तो सिनेमेटोग्राफी में कुछ और बेहतर किये जाने की ज़रूरत सी महसूस हुई। साथ ही दर्शकों के लिए संगीत (रवि शंकर) भी गजब रहा।राम गोपाल वर्मा की ये फिल्म बस अमिताभ की और कुछ कलाकारों की एक्टिंग के लिए ठीक है पर अगर ट्वीट पर ज्यादा समय देने के बजाय वर्मा फिल्म पर ध्यान देते तो ये मूवी और भी बेहतरीन बन सकती थी।

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क्यों देखें

राम गोपाल वर्मा के निर्देशन में प्रेमी और अमिताभ बच्चन समेत ढेरों स्टार्स को एक साथ देखने के प्रेमी इस फिल्म को सिनेमाघरों में देख सकते हैं। इसके अलावा शायद आपको फैमिली के साथ भी फिल्म को देखने का लुत्फ उठा सकते हैं। आगे जेब और मर्ज़ी आपकी...!



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