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Shakeel Badayuni: आज भी कायम है शकील के गीतों का रंग, नौशाद के साथ मिलकर फिल्मी दुनिया में छाए

Shakeel Badayuni: मशहूर संगीतकार नौशाद के साथ शकील ने करीब 25 वर्षों तक काम किया और इस दौरान उन्होंने कई ऐसे गीत लिखे जो जबर्दस्त हिट हुए।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 3 Aug 2022 9:08 AM IST
Shakeel Badayuni Birthday
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शकील बदायूंनी (photo: social media ) 

Shakeel Badayuni Birthday: हिंदी फिल्मों के चर्चित गीतकार और शायर शकील बदायूंनी के लिखे गीत आज भी लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं। काफी समय पहले ही उनका निधन हो गया था मगर उनकी जादुई कलम से लिखे हुए बेमिसाल गीत आज भी लोगों के दिलों दिमाग में जिंदा हैं। 3 अगस्त 1916 को बदायूं में जन्मे शकील ने फिल्मी दुनिया में अपने गीतों के जरिए गजब की लोकप्रियता हासिल की।

मशहूर संगीतकार नौशाद के साथ उन्होंने करीब 25 वर्षों तक काम किया और इस दौरान उन्होंने कई ऐसे गीत लिखे जो जबर्दस्त हिट हुए। नौशाद के साथ मिलकर उन्होंने कई पुरानी चर्चित फिल्मों के गीत लिखे। हालांकि यह भी सच्चाई है कि अन्य संगीतकारों के साथ भी उनके गीतों ने गजब की लोकप्रियता पाई। उनके गीतों और शायरी में दर्द और रोमांस दोनों दिखता है।

पिता ने दिलाई अच्छी शिक्षा

शकील के पिता मोहम्मद जमाल अहमद ने उनकी पढ़ाई लिखाई पर काफी ध्यान दिया था। अरबी, उर्दू, फारसी और हिंदी के अच्छे ज्ञान के लिए उन्होंने घर पर ही शकील के ट्यूशन की व्यवस्था की थी। यह भी अचरज में डालने वाली बात है कि शकील के घर में शायरी का कोई माहौल नहीं था मगर शकील को शायरी से ऐसा लगाव पैदा हुआ जिसकी वजह से बाद के दिनों में उन्हें काफी शोहरत हासिल हुई।

शकील ने शायरी लिखने की शुरुआत तो बदायूं में ही कर दी थी मगर शायर के रूप में उन्हें पहचान बदायूं छोड़ने के बाद ही मिली। 1936 में पढ़ाई के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पहुंचने के बाद उन्होंने मुशायरा और जलसों में हिस्सा लेना शुरू किया। उनकी शायरी को लोग काफी पसंद करने लगे। उन्हें मुशायरों में खूब दाद मिला करती थी।

शकील की इन पंक्तियों के दीवाने हुए नौशाद

ग्रेजुएशन करने के बाद शकील को दिल्ली में सप्लाई ऑफिसर की नौकरी मिल गई। इस नौकरी के बावजूद उन्होंने मुशायरा में हिस्सा लेना जारी रखा। उन्होंने सप्लाई ऑफिसर की नौकरी करते हुए दिल्ली में चार साल तो जरूर गुजारे मगर उनका मन इस नौकरी में नहीं रम रहा था। बाद में उन्होंने फिल्मों में गीत लिखने का फैसला किया और मुंबई पहुंच गए।

मुंबई पहुंचने के बाद उन्होंने फिल्म निर्माता एआर केदार और मशहूर संगीतकार नौशाद से मुलाकात की। नौशाद ने जब शकील की पोएटिक स्किल परखने की कोशिश की तो शकील ने लिखा-हम दर्द का अफसाना दुनिया को सुना देंगे, हर दिल में मोहब्बत की आग लगा देंगे। शकील की यह पंक्तियां नौशाद के दिल में उतर गईं और उन्होंने शकील को गीत लिखने का बड़ा मौका दे दिया।

शकील के चर्चित गीत

इसके बाद शकील ने एक से बढ़कर एक गीत लिखे और लगातार शोहरत की बुलंदी पर पहुंचने में कामयाब रहे। शकील के चर्चित गीत आज भी लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं। उनके लिखे गीत जब प्यार किया तो डरना क्या, तेरी महफिल में किस्मत आजमा कर हम भी देखेंगे, मोहब्बत की झूठी कहानी पर रोए, तेरे हुस्न की क्या तारीफ करूं,अफसाना लिख रही हूं दिले बेकरार का, मिलते ही आंखें दिल हुआ दीवाना किसी का, मोहब्बत की राहों में चलना संभल के, मेरा दिल तोड़ने वाले मेरे दिल की दुआ लेना, ए दिल तुझे कसम है हिम्मत न हारना, जब दिल से दिल टकराता है मत पूछिए क्या हो जाता है, शमा तू बता तेरा परवाना कौन है आदि ने गजब की लोकप्रियता हासिल की।

25 साल तक नौशाद के साथ किया काम

शकील और नौशाद की जोड़ी ने मिलकर फिल्मी दुनिया में करीब 25 साल तक काम किया और इस दौरान शकील के कई गीतों ने उन्हें लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया। शकील के लिखे गीत और नौशाद के संगीत ने ऐसी धूम मचाई कि लोग इस जोड़ी के दीवाने हो गए। पुराने दौर की कई चर्चित फिल्मों में इस जोड़ी ने मिलकर काम किया।

फिल्म बैजू बावरा, मदर इंडिया, मुग़ल-ए-आज़म, दीदार, गंगा जमुना, मेरे महबूब, दुलारी और शबाब आदि फिल्मों में इस जोड़ी के गीत लोगों की जुबान पर चढ़ गए। शकील के लिखे गीतों में सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह रोमांस और दर्द दोनों को उजागर करने में माहिर शायर थे।

दूसरे संगीतकारों के साथ भी अच्छी ट्यूनिंग

शकील ने फिल्मी दुनिया में नौशाद के साथ लंबे समय तक काम किया मगर इसका मतलब यह नहीं कि उन्होंने दूसरे संगीतकारों के साथ चर्चित गीत नहीं लिखे। हेमंत कुमार और रवि जैसे चर्चित संगीतकारों के साथ ही उन्होंने काम किया और उनके संगीत निर्देशन में शकील के कई गीत काफी चर्चित हुए। फिल्म घराना के बेहद लोकप्रिय गीत हुस्न हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं, को कोई भुला नहीं सकता। यह गीत आज भी लोगों को काफी पसंद आता है।

इस गीत के लिए शकील को सर्वश्रेष्ठ गीतकार और रवि को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था।

फिल्म चौदहवी का चांद में शकील के लिखे गीत लोगों की जुबान पर चढ़ गए थे और इस फिल्म का संगीत भी रवि ने ही दिया था। इस फिल्म के सबसे चर्चित टाइटल सॉन्ग के लिए शकील ने 1961 में सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार जीता था। हेमंत कुमार के संगीत निर्देशन में शकील ने चर्चित फिल्म साहिब बीवी और गुलाम के गीत लिखे थे जिन्हें काफी लोकप्रियता मिली थी।

शकील के लिखे भजन भी काफी लोकप्रिय हुए

आपको यह सच्चाई हैरान कर सकती है कि शकील बदायूनी ने फिल्मों में एक से बढ़कर एक चर्चित गीत ही नहीं बल्कि भजन भी लिखें। दशकों पहले लिखे गए उनके भजन आज भी घरों, मंदिरों और धार्मिक आयोजनों में बड़े चाव के साथ चुने जाते हैं। बैजू बावरा फिल्म का चर्चित भजन मन तड़पत हरि दर्शन को आज, आज भी लोगों के दिलों दिमाग में जिंदा है। 1960 में कोहिनूर फिल्म के गाने मधुबन में राधिका नाचे रे, गिरधर की मुरलिया बाजे रे, ने गजब की धूम मचाई थी और आज भी यह गाना लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है।

मोहे पनघट पे नंदलाल छेड़ गयो रे,मोरी नाजुक कलइया मरोड़ गयो रे, शकील के लिखे इस भजन को कौन भूल सकता है। 1954 में आई फिल्म अमर में भी शकील बदायूंनी के एक भजन ने गजब की धूम मचाई थी। इस फिल्म के भजन इंसाफ का मंदिर है, ये भगवान का घर है, कहना है जो कह दे, तुझे किस बात का डर है, ने गजब की लोकप्रियता हासिल की थी। इनके अलावा शकील बदायूंनी के लिखे कई और भजन भी काफी लोकप्रिय हुए।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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