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मुक्काबाज़ ने मेरी ज़िंदगी के 10 साल वापस कर दिए: विनीत कुमार
बॉलीवुड में फ़िल्म 'मुक्काबाज़', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'दासदेव', 'मिलन टॉकीज' और 'सांड की आंख' में अपने अभिनय का जलवा बिखेर चुके अभिनेता विनीत कुमार आजकल नवाबों की नगरी लखनऊ में अपनी आने वाली फ़िल्म की शूटिंग कर रहे हैं।
शाश्वत मिश्रा
लखनऊ: बॉलीवुड में फ़िल्म 'मुक्काबाज़', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'दासदेव', 'मिलन टॉकीज' और 'सांड की आंख' में अपने अभिनय का जलवा बिखेर चुके अभिनेता विनीत कुमार आजकल नवाबों की नगरी लखनऊ में अपनी आने वाली फ़िल्म की शूटिंग कर रहे हैं।
इस दौरान newstrack.com से विनीत कुमार ने बातचीत की, जिसके पेश है कुछ अंश...
- आपका लखनऊ कैसे आना हुआ?
मेरे फ़िल्म का शूट है और शूटिंग के सिलसिले में ही यहां आना हुआ। तकरीबन एक महीने का ही शूट है।
Photo: Ashutosh Tripathi (tweet@tripsashu)
- अपनी फ़िल्म के बारे में कुछ बताइए?
ये फ़िल्म साउथ की सुपरहिट फिल्म थिरुत्तु प्याले 2' की रीमेक होगी, और इसके डायरेक्टर हैं सुसी गणेशन। इन्होंने ही तमिल फिल्म बनाई थी और अब ये ही हिंदी फिल्म डायरेक्ट कर रहे हैं। और इसके प्रोड्यूसर हैं रमेश रेड्डी, ये थोड़ी अलग फिल्म है।
- आप हमेशा अलग तरह की फिल्में ही करते हैं?
मेरी कोशिश हमेशा यही रहती है कि कुछ अलग करूं। किरदार का सुर अलग हो उसकी अप्रोच अलग हो। जैसा मैंने 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' और मिलन टॉकीज में किया। ये फ़िल्म भी उसी कड़ी में एक हिस्सा है।
- पिता मैथमैटिसियन, आप खुद सीपीएमटी टॉपर थे तो एक्टिंग की तरफ कैसे आना हुआ?
ये सफर काफी लंबा था। मेडिकल में जाने के पहले ही मैं एक्टर बनना चाहता था। क्योंकि एक्टिंग वो चीज है जो मुझसे सहज तरीके से होती थी। जब भी मुझे मौका मिलता था मैं एक्टिंग करता रहता था।
ये चीजें मुझे हमेशा आकर्षित करती रहती थी। मैंने मेडिकल मेरे पिताजी के लिए किया। हर मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा आगे जाकर किसी भी चीज के लिए कहीं डिपेंड न रहे। हर मां-बाप आपको इंडिपेंडेंट बनाना चाहते हैं।
Photo: Ashutosh Tripathi (tweet@tripsashu)
- लखनऊ से कैसा ताल्लुक रहा?
लखनऊ से बहुत सारी यादें हैं। मैं खेलने के लिए पहली बार वाराणसी से लखनऊ आया था। मैंने केडी सिंह बाबू स्टेडियम में बास्केटबॉल खेला है। पहले जब निक्सन मार्केट केडी सिंह के सामने थी तब मैं वहां जाया करता था।
- अनुराग कश्यप का आपकी ज़िंदगी में क्या रोल है?
अनुराग सर ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। उनकी एक बात है, जो उन्होंने मुझसे कही थी कि 'लाइफ में कुछ भी हो काम करना मत छोड़ना'! उन्होंने ये मंत्र उन्होंने मुझे दिया, और कहा कि एक्शन और कट के बीच में सबकुछ भूल जाओ, सिर्फ उस पल को जी लो।
अनुराग कश्यप सर ना होते तो मुक्काबाज़ बनती ही ना। मुक्काबाज़ ने मेरी ज़िंदगी के 10 साल वापस कर दिए। मुक्काबाज़ फिल्म का राईटर होने के कारण अनुराग सर ने कहा कि आप पूरी तैयारी के साथ आओ, फिल्म में आप ही लीड रोल में रहेंगे।
Photo: Ashutosh Tripathi (tweet@tripsashu)
- मुंबई के सफर के बारे में बताइये?
मैं 1999 में मुम्बई पहुंचा। शुरू में लगता था कि चीजें आसानी से हो जाती हैं। लेकिन बाद में पता चला कि बहुत पापड़ बेलना पड़ता है। मन में बस एक चीज थी कि मौका मिले। मैंने फिल्मों में बिहाइंड कैमरा के साथ-साथ असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में भी काम किया।
- कौन सी बात आपको मोटीवेट करती है?
जब भी कुछ नया सीखने को मिलता है तो अच्छा लगता है, सीखने को लेकर भूख बहुत है। अलग-अलग तरीके का काम करना चाहता हूं।