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गुलशन कुमार इस सिंगर को बनाना चाहते थे दूसरी लता मंगेशकर, ऐसे हो गई चूक
मुंबई: बॉलीवुड की लीडिंग सिंगर्स में से एक अनुराधा पौडवाल का आज जन्मदिन है। उनका बचपन मुंबई में बीता था। जिस वजह से उनका रुझान शुरू से फिल्मों की तरफ रहा। वैसे तो वह किसी परिचय की मोहताज नहीं है लेकिन म्यूजिक इंडस्ट्री में उन्हें भक्ति गीतों के लिए ज्यादा जाना जाता है।
अनुराधा की एक दूसरी पहचान ये भी है कि उनकी गिनती उन चंद सिंगर्स के तौर पर होती है जिसने ऐसे दौर में सिंगिंग से नाता तोड़ दिया जब उनका करियर परवान चढ़ रहा था। लोग उन्हें उनके नाम से जानने लगे थे। उनके बारें में ऐसा भी कहा जाता है गुलशन कुमार उन्हें दूसरी लता मंगेशकर बनाना चाहते थे।
लेकिन उनकी मौत के बाद लता ने गाना छोड़ दिया। इसका फायदा उनके प्रतिद्वंदियों को हुआ। अनुराधा का करियर ढलान पर आ गया। ऐसा भी कहा जा सकता है कि उनके इस फैसले ने उनके करियर को बर्बाद कर दिया। तो आइये जानते है अनुराधा पौडवाल के लाइफ से जुड़ी दस ऐसी खास बातें, जो उन्हें दूसरे सिंगर्स से अलग करती है।
अनुराधा पौडवाल के जीवन से जुड़ी दस खास बातें
1-संगीत करियर की शुरुआत 1973 में फिल्म 'अभिमान' (अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी) से की, जिसमें उन्होंने जया के लिए एक श्लोक गीत गाया था।
2-इसके बाद वर्ष 1976 में फिल्म 'कालीचरण' में भी उन्होंने गाना गाया, लेकिन एकल गाने की शुरुआत उन्होंने फिल्म 'आप बीती' से की।
3- 1987 में टी-सीरीज एवं सुपर कैसेट म्यूजिक कंपनी से जुड़ गई। इस कम्पनी से जुड़ने के बाद फिल्म 'सड़क', 'आशिकी', 'लाल दुपट्टा मलमल का', 'बहार आने तक', 'आई मिलन की रात', 'दिल है कि मानता नहीं' जैसी फिल्मों के गीतों ने उन्हें रातोंरात लोकप्रियता की बुलंदी पर पहुंचा दिया।
4-अनुराधा के पति अरुण पौडवाल खुद भी एक अच्छे संगीतकार थे। उन्होंने ही अनुराधा को आगे बढ़ने का हौसला दिया।
5- 27 अक्टूबर, 1954 को जन्मीं अनुराधा को 'धक-धक करने लगा' (बेटा), 'तू मेरा हीरो' (हीरो), 'हम तेरे बिन' (सड़क), 'मैया यशोदा' (हम साथ साथ हैं), 'जिस दिन तेरी मेरी बात' (मुस्कान), 'चाहा है तुझको' (मन), 'एक मुलाकात जरूरी है सनम' (सिर्फ तुम) और 'दो लफ्जो में' (ढाई अक्षर प्रेम के) सरीखे लोकप्रिय गाने के लिए जाना जाता है।
6-पति की असमय मृत्यु की वजह से अनुराधा पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन वह टी-सीरीज के साथ मिलकर एक-से-एक गीत देती रहीं। फिल्मों में अपने चरम पर पहुंचने पर उन्होंने सिर्फ टी-सीरीज कंपनी के लिए ही गाने का फैसला लिया।
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7-नतीजा यह हुआ कि टी-सीरीज कंपनी के उस समय के सभी भक्ति गानों और ऑडियो कैसेटों में अनुराधा की ही आवाज होने लगी। लेकिन इसका फायदा उनकी प्रतिद्वंदियों को हुआ, जिन्होंने उनकी अनुपस्थिति में फिल्मों में अधिक गाने गाना शुरू कर दिया, लेकिन आज भी अनुराधा की तरह भजन गाना सबके वश की बात नहीं है।
8- माना जाता था कि अनुराधा एकमात्र ऐसी गायिका थीं, जो मंगेशकर बहनों को टक्कर देने का माद्दा रखती थीं। उनके बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि सिंगर गुलशन कुमार उन्हें दूसरी लता मंगेशकर बनाना चाहते थे।
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9- गुलशन कुमार की मौत के बाद लता ने गाना छोड़ दिया। इसका फायदा उनके प्रतिद्वंदियों को हुआ। अनुराधा का करियर ढलान पर आ गया। ऐसा भी कहा जा सकता है कि उनके इस फैसले ने उनके करियर को बर्बाद कर दिया।
10- उन्होंने किशोर कुमार के साथ करीब 300 स्टेज शो किए हैं। संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा उन्हें मदर टेरेसा लाइफटाइम अवॉर्ड, मोहम्मद रफी अवॉर्ड, लता मंगेशकर अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है। उन्हें 4 बार फिल्मफेयर और 1 बार नेशनल पुरस्कार मिला है।
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