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#होली है: ........ आ जा परदेशिया टूटी न जाये आस!
दिल्ली दरबार का मुगलिया हाल पूरी शानों शौकत के साथ पूरे शबाब पर था। झाड़ फनूस से निकल रही रंगीन रोशनी मे नहाये दरबार हाल में दरबारी अपनी-अपनी कुर्सियों पर होशियारी के साथ बैठे इंतजार कर रहे थे। कब दिल्ली दरबार के आका अपनी दसलखिया कोट पैन्ट में मुस्का
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
आ जा परदेशिया टूटी न जाये आस!
बूढ़ा बरगद हो चला चढ़ा नीम पर रंग
होली के हुड़दंग पर, चैपालो पर चंग।
ठिठक कर चल रहा ना जाने क्यों आज
कब तक पहने रहुँगा कांटों वाला ताज।
दिल्ली दरबार का मुगलिया हाल पूरी शानों शौकत के साथ पूरे शबाब पर था। झाड़ फनूस से निकल रही रंगीन रोशनी मे नहाये दरबार हाल में दरबारी अपनी-अपनी कुर्सियों पर होशियारी के साथ बैठे इंतजार कर रहे थे। कब दिल्ली दरबार के आका अपनी दसलखिया कोट पैन्ट में मुस्कान के साथ अपनी कुर्सी पर सवार होते है। मोदी मोहनी कुर्सी के अगल-बगल अचानक दो कुर्सियाँ लगाने की बात करते जनार्दन जय-जय कार करने लगे। दिल्ली दरबार के दरबारी सावधान की मुद्रा में अब तो आ जा परदेशिया टूटी न जाये आस, गाने लगे। जैसे फागुन चुपके से कान में मादकता की बात कह जाता है। वैसे ही दिल्ली दरबारियों के मन में एक दूसरे कुछ बातें कहने लगे ।
दिल्ली का लाल, केजरीवाल अब होगा पंचर,अपने ही जाल से बन गया घनचक्कर! रसरंग, होली का पर्व हो और रंग के साथ रस की बात अधूरी है। इमला और जुमला बाले भाया बनारस की विजया ज्यादा गटक कर बोले एक दिन ’मुर्ख’ बनाने के लिए ’अप्रैल फूल’ और पांच साल ’मुर्ख’ बनाने के लिए ’कमल का फूल’!! डनके वचन सुनकर दरबार में सन्नाटा छा गया,न कोई हां कह पा रहा था न कोई हां ना कह पा रहा था।तभी नाक के स्वर में अलाप देते दरबारा आलिया प्रकट हुए।अगल बैठे ष्षाह और जेटली ने खैर मकदम पेष कर दरबार की कार्यबाही ष्षुरू करने की इजाजत मांगी। इजाजत मिलते ही महाकवि पैरोड़ीदास ने आ के अलाप दिया-
नाचो-गाओ, यान, कि होली रंग-रंगीली।
मदनदेव के हाथ में सोहे फूल-कमान,
रंगों की बौछार से बुड्ढे हुए जवान,
कि होली रंग -रंगीली।
यह दिल्ली बुढ़िया हुई, बुड्ढे इसके यार,
पर्व जवानी का
बना बुड्ढों का त्योहार।’’
हरियारे कबीर के शब्दोंमें -
साझे की गति एक है
तरह-तरह के ठौर
अच्छा-अच्छा आपने
बुरा किसी की ओर!
#होली है: ........ आ जा परदेशिया टूटी न जाये आस!
तभी भाजपा सासंद शाटगन सिन्हा गरजे-हमारा देश मोदी के कैशलेस इकोनॉमी पर आगे बड़े इसलिए वतन के कैस को कम करने के लिए ललित, नीरव और न जाने कितने मोदी इस दिशा में रात दिन लगे हुए है।एक दरबारी बोला सरकार उद्योगपतियों पर मेहरबान है।दूसरा दरबारी बोला तुम क्यों परेषान हो?एक ने ने सवाल किया नीरव पंजाब नेशनल बैंक में 11,000 करोड़ से ज्यादा लेकर भागा है,आगे चुनाव का रागा है यह सुनते ही भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता संबित पात्रा ने सवाल किया इसके लिए सीधे क्या हम नेहरू को ब्लेम कर सकते हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए एयरलाइंस को लाइसेंस दिया? सब दरबारी वाह! वाह!! करने लगे।
महाकवि पैरोड़ीदास ने आ के अलाप दिया
‘‘होली से पहले हुआ होली का हुड़दंग,
इक-दूज का मेल दिया सबने काला रंग।
इस भारत आज़ाद में सब का अपना भाग,
जनता की होली जले, नेता खेले फाग।
राजनीति के मंच पर सबने खेली फाग,
दर्पण जब सन्मुख धरा, सबके माथे दाग।’’
#होली है: ........ आ जा परदेशिया टूटी न जाये आस!
तभी एक दरबारी खडा हुआ मोदी पुराण सुनाते हुए बोला आज तक किसी में रही दम,सब को अपने पदो से करा दिया कम ’’ऑस्ट्रेलिया गए पीएम टोनी एबोट को उनकी पार्टी ने चलता कर दिया, कैनाडा गए पीएम स्टेफन हार्पर चुनाव हार गए, नेपाल गए पीएम सुशिल कोइराला को पदमुक्त कर दिया गया, ब्रिटेन गए डेविड कैमरून ने इस्तीफा दे दिया, पाकिस्तान गए पीएम नवाज शरीफ अपना पद गँवा बैठे , ब्राजील गए राष्ट्रपति डिल्मा रोस्सेफ पर महाभियोग चला और पद छोड़ना पड़ा, इजराइल गए नेतन याहू घोटालो में फंसे, अमेरिका गए ट्रम्प अमेरिका में म्युलर द्वारा जांच के घेरे में है। दक्षिण अफ्रीका गए राष्ट्रपति जूमा को पद से त्यागपत्र देना पड़ा फिर भी काग्रेस और राहुल उनके पीछे पड़ा है वह बता दे जिस देस को ठीक कराना हो वह देस अभी और जल्दी बुला ले,जाते ही काम लग जायेगा,यह सा मौका फिर नहीं आयेगा। ’राजस्थान लोकसभा’ उपचुनाव के नतीजों और ’जेटली’ के ’बजट’ ने एक बात पक्की कहते राहुल झक्की कह रहा है ये जेटेली ही ’मोदी’ को ’2019’ में वापस ’केटली’ पकड़ायेगा !! क्या यह सही है? इस सवाल पर दरवार में गदर मच गयी कुछ अनाथ कहने लगे एक नाथ ने यूपी में भाजपा को दिलाया था 14 वर्ष का वनवास अबकी दो- दो नाथ है क्यों करते उपहास! महाकवि पैरोड़ीदास ने आ के अलाप दिया-
,,, ‘‘आज होलिका, खुश बहुत नेता सूसटनाथ,
लपक-झपक रोली मलें कोमल-कोमल हाथ।
ताऊ,होली आ गई, मल दाढ़ी पर रंग,
अब भी जो बाबा कहे, पकड़ मसल दे अंग।
के बोले ‘‘यह होलिका बुड्ढो का त्योहार,
इक दिन हमको भी मिले दरस-परस अधिकार।’’
बालों की खिचड़ी पकी, काया पीसी दाल,
लेकिन जालिम दिल अभीसरस टमाटर लाल।
सत्ता की कुर्सी बनी तन-हित बिद्युत -यंत्र,
नस-नस में है संचरित च्यवनप्राशी मंत्र।
‘‘रथ -यात्रा की नीति से पहुँचे संसद-धाम,
पहुँचे सत्ता-शिखर पर,विनती यह, श्रीराम।
पदवी की चाहत नहीं, कह कवि कैदीराय,
घरवाली बिन घर नहीं, मनवा उड़-उड़ जाय।’’
दिल्ली दरबार के दरबारा आलिया बाले बदलाव आएगा ! हम देखेगें और देख रहे है। काला हो या पीला खजाना जो कर रहा है ढीला उसे आसमान हो या पाताल से खोज निकालेंगें। आ जा परदेषिया टूटी न जाये आस , गंगा *साफ* हुई फिर भी रखो आस, राम मंदिर बनने , धारा *370* हटने, सीमा पर *शहादतें घटने के लिए लगातार प्रयास , चींन-चींन कर बाटेगें रेवडी खास।