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Sushant Singh Rajput Memory: बिना किसी गॉडफादर के बॉलीवुड में बनाई सुशांत ने अद्वितीय जगह

Sushant Singh Rajput Memory: सुशांत का परिवार बाद में दिल्ली शिफ्ट हो गया, जहां उन्होंने कुलाची हंसराज मॉडल स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। वे बचपन से ही विज्ञान और गणित में रुचि रखते थे और एक इंजीनियर बनने का सपना देखते थे।

AKshita Pidiha
Written By AKshita Pidiha
Published on: 21 Jan 2025 8:32 PM IST
Sushant Singh Rajput Memory
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Sushant Singh Rajput Memory

Sushant Singh Rajput Memory: सुशांत सिंह राजपूत का जन्म 21 जनवरी 1986 को बिहार के पटना शहर में हुआ था। उनका परिवार एक मध्यमवर्गीय परिवार था और उनके पिता कृष्ण कुमार सिंह एक सरकारी अधिकारी थे। उनकी माँ, उषा सिंह, का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव था। सुशांत बचपन से ही प्रतिभाशाली थे और पढ़ाई में उनका मन बहुत लगता था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पटना के सेंट करेन’स हाई स्कूल में हुई।

सुशांत का परिवार बाद में दिल्ली शिफ्ट हो गया, जहां उन्होंने कुलाची हंसराज मॉडल स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। वे बचपन से ही विज्ञान और गणित में रुचि रखते थे और एक इंजीनियर बनने का सपना देखते थे। उन्होंने 2003 में एआईईईई (अब जेईई) की परीक्षा में सातवां स्थान प्राप्त किया और दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (अब दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी) में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की।

इंजीनियरिंग से अभिनय की ओर रुझान

हालांकि सुशांत पढ़ाई में अव्वल थे, लेकिन उनका दिल हमेशा कला और प्रदर्शन में लगा रहता था। उन्होंने दिल्ली में बैरी जॉन के एक्टिंग स्कूल से अभिनय की शिक्षा ली और अपने कॉलेज के दिनों में डांस और थिएटर में हिस्सा लेना शुरू किया। वह प्रतिष्ठित श्यामक डावर के डांस ग्रुप के सदस्य बने, जहां उन्होंने अपनी डांसिंग स्किल्स को निखारा।


उनकी कड़ी मेहनत और डांस के प्रति जुनून ने उन्हें 2006 के कॉमनवेल्थ गेम्स में परफॉर्म करने का मौका दिया। इसके अलावा, वे फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में बैकग्राउंड डांसर के रूप में भी शामिल हुए। धीरे-धीरे उन्होंने महसूस किया कि उनका असली सपना अभिनय की दुनिया में कदम रखना है।

मुंबई में संघर्ष

सुशांत ने कॉलेज छोड़ दिया और अपने सपनों को पूरा करने के लिए मुंबई का रुख किया। मुंबई में उनके शुरुआती दिन बेहद संघर्षपूर्ण थे। उन्होंने थिएटर में काम किया और खुद को बेहतर बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की।


उन्हें पहला मौका एक टीवी विज्ञापन के जरिए मिला, जिसने उन्हें टीवी इंडस्ट्री में कदम रखने का मौका दिया। जल्द ही उन्हें बालाजी टेलीफिल्म्स के धारावाहिक “किस देश में है मेरा दिल” में प्रीत का किरदार निभाने का मौका मिला। हालांकि यह भूमिका छोटी थी, लेकिन उनके अभिनय को सराहा गया।

“पवित्र रिश्ता” से प्रसिद्धि

2009 में, सुशांत को एकता कपूर के शो “पवित्र रिश्ता” में मानव देशमुख का मुख्य किरदार निभाने का मौका मिला। यह धारावाहिक उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। मानव का किरदार एक साधारण, ईमानदार और मेहनती व्यक्ति का था, जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया। इस शो के जरिए सुशांत घर-घर में पहचाने जाने लगे।


“पवित्र रिश्ता” में उनके अभिनय के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले, और उन्होंने भारतीय टेलीविजन इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई। हालांकि, सुशांत का सपना हमेशा से बड़े पर्दे पर काम करने का था, और उन्होंने 2011 में धारावाहिक को अलविदा कह दिया।

फिल्मी करियर की शुरुआत

सुशांत ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने के लिए कड़ी मेहनत की। उन्हें पहला ब्रेक 2013 में अभिषेक कपूर की फिल्म “काय पो छे!” से मिला। यह फिल्म चेतन भगत के उपन्यास “थ्री मिस्टेक्स ऑफ माय लाइफ” पर आधारित थी। इस फिल्म में उन्होंने ईशान भट्ट का किरदार निभाया, जो एक महत्वाकांक्षी और जुझारू युवा था।


उनके अभिनय को न केवल दर्शकों ने सराहा, बल्कि समीक्षकों ने भी उनकी प्रशंसा की। इसके बाद, उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने “शुद्ध देसी रोमांस”, “डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी”, और “पीके” जैसी फिल्मों में काम किया।

“एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी” से नई ऊंचाइयाँ

2016 में रिलीज हुई फिल्म “एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी” सुशांत के करियर की सबसे बड़ी हिट साबित हुई। यह फिल्म भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बायोपिक थी। इस फिल्म में सुशांत ने धोनी का किरदार निभाया और अपने अभिनय से हर किसी का दिल जीत लिया। उन्होंने धोनी की बॉडी लैंग्वेज, क्रिकेट स्किल्स और व्यक्तित्व को इतनी बारीकी से निभाया कि दर्शकों को लगा जैसे वे धोनी को ही देख रहे हों।


इस फिल्म के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की, क्रिकेट की ट्रेनिंग ली, और खुद को पूरी तरह से धोनी के किरदार में ढाल लिया। इस फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की, बल्कि सुशांत को एक स्टार बना दिया।

अन्य प्रमुख फिल्में

सुशांत ने इसके बाद “केदारनाथ”, “सोनचिड़िया”, “छिछोरे”, और “दिल बेचारा” जैसी फिल्मों में काम किया। “छिछोरे” में उनके किरदार ने युवाओं को प्रेरणा दी कि जीवन में समस्याओं का सामना कैसे करना चाहिए। यह फिल्म आत्महत्या जैसे संवेदनशील मुद्दे पर आधारित थी और इसे दर्शकों और समीक्षकों से बहुत प्रशंसा मिली।

व्यक्तिगत जीवन और चुनौतियाँ

सुशांत का व्यक्तिगत जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहा। वह एक जिज्ञासु और बहुप्रतिभाशाली व्यक्ति थे। उन्हें खगोल विज्ञान, फिजिक्स, और साहित्य में गहरी रुचि थी। उनके पास एक महंगी टेलीस्कोप थी, जिससे वे अंतरिक्ष का अवलोकन करते थे।


वह कभी-कभी अपने रिश्तों को लेकर विवादों में रहे। उनका नाम अंकिता लोखंडे के साथ जुड़ा, लेकिन बाद में दोनों का ब्रेकअप हो गया। इसके अलावा, रिया चक्रवर्ती के साथ उनका रिश्ता भी चर्चा में रहा।

संघर्ष और मानसिक स्वास्थ्य

सुशांत का जीवन बाहर से जितना चमकदार दिखता था, अंदर से उतना ही चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने अपनी सफलता के बावजूद इंडस्ट्री में नेपोटिज़्म, गुटबाजी, और भेदभाव का सामना किया। उनकी फिल्में कभी-कभी बड़े प्रोडक्शन हाउस के दबाव में रिलीज नहीं हो पाती थीं।

उनकी मानसिक स्थिति को लेकर भी कई अटकलें लगाई गईं। रिपोर्ट्स के अनुसार, वे डिप्रेशन से जूझ रहे थे। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए कई बार खुलकर बात की थी।

सुशांत सिंह राजपूत बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थे और उन्होंने कई परीक्षाओं में सफलता हासिल की। हालांकि, उनका सपना फिल्मों में करियर बनाना था, जिसके लिए वे पहले दिल्ली और फिर मुंबई गए। सुशांत मशहूर कोरियोग्राफर श्यामक डावर के छात्र रहे थे और उन्होंने 2006 के काॅमनवेल्थ खेलों में परफॉर्म किया था। इसके बाद, वे 51वें फिल्मफेयर अवार्ड्स में बैकग्राउंड डांसर के रूप में नजर आए। मुंबई में उन्होंने एक डांस ग्रुप के साथ परफॉर्म किया, जिसे ऐश्ले लोबो ने प्रशिक्षित किया था। इसके बाद उन्होंने थिएटर ज्वाइन किया और इसी के चलते वे एक मेहनती अभिनेता बनने में सफल रहे।

सुशांत ने मशहूर एक्शन डायरेक्टर अलन अमीन से मार्शल आर्ट्स के गुर भी सीखे। उन्होंने अपने टेलीविजन करियर की शुरुआत 'किस देश में है मेरा दिल' नामक सीरियल से की, लेकिन उन्हें असली पहचान 'पवित्र रिश्ता' में मानव देशमुख के किरदार से मिली। यह किरदार उन्हें घर-घर की पसंद बना गया। उन्होंने 'जरा नच के दिखा 2' और 'झलक दिखला जा 4' जैसे डांस रियलिटी शोज में भी हिस्सा लिया। 'झलक दिखला जा 4' के दौरान उन्हें 'मोस्ट कंसिस्टेंट परफॉर्मर' का टाइटल मिला।


फिल्मी करियर की बात करें तो उनकी पहली फिल्म 'काय पो छे' ने उन्हें खूब सराहना दिलाई। इस फिल्म में उनके किरदार की प्रेरणा उनकी बहन मीतू सिंह से मिली, जो राज्य स्तर की क्रिकेट खिलाड़ी हैं। हालांकि, इंडस्ट्री में उनका सफर आसान नहीं था। एक समय ऐसा भी था जब उनके साथ अभिनेत्रियां काम करने से हिचकिचाती थीं, क्योंकि वे साधारण परिवार से थे और उनका कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं था। फिल्म 'शुद्ध देसी रोमांस' इसका उदाहरण है, जिसमें काफी समय बाद परिणीति चोपड़ा को साइन किया गया।

सुशांत अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी चर्चा में रहे। वे अपनी प्रेमिका अंकिता लोखंडे के साथ लंबे समय तक रिलेशनशिप में थे। दोनों की पहली मुलाकात 'पवित्र रिश्ता' के सेट पर हुई थी, और वहीं से उनका प्यार शुरू हुआ। सुशांत का अंकिता के प्रति गहरा लगाव था। अगर किसी फिल्म में सुशांत का कोई किसिंग सीन होता, तो वे पहले अंकिता से अनुमति लेते थे।

सुशांत ने 'डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी' जैसी फिल्म में अपनी अदाकारी का जलवा बिखेरा। इस फिल्म में उनके और स्वास्तिका मुखर्जी के बीच एक लंबा किसिंग सीन भी फिल्माया गया, जो काफी चर्चा में रहा। डायरेक्टर दिबाकर बैनर्जी ने इस फिल्म के लिए सुशांत को अपनी पहली पसंद बताया था। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय क्रिकेटर एमएस धोनी पर बनी बायोपिक में भी मुख्य किरदार निभाया, जिससे उन्हें बड़ी लोकप्रियता मिली।


14 जून 2020 को सुशांत सिंह राजपूत का शव मुंबई के बांद्रा स्थित उनके फ्लैट में पाया गया। उनकी मौत को लेकर कई सवाल उठे। पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला बताया, लेकिन इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।

उनकी मौत के बाद, कई विवाद उठे। नेपोटिज़्म, इंडस्ट्री में गुटबाजी, और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दे राष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में आ गए। उनकी मौत की जांच सीबीआई, एनसीबी, और ईडी जैसी एजेंसियों ने की।

सुशांत सिंह राजपूत ने अपने जीवन में जो योगदान दिया, वह अमूल्य है। उन्होंने दिखाया कि सपनों को सच करने के लिए मेहनत, धैर्य, और साहस की आवश्यकता होती है।

उनकी फिल्मों और उनके विचारों के जरिए वे हमेशा अपने प्रशंसकों के दिलों में जीवित रहेंगे। उनकी कहानी आज भी लाखों युवाओं को प्रेरित करती है कि संघर्ष चाहे जितना भी कठिन हो, हार मानने की जगह अपने सपनों के लिए लड़ना चाहिए।



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