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Buniyaad Serial: 1986 में प्रदर्शित सीरियल 'बुनियाद' को दर्शक आज भी याद करते हैं, भारत-पाकिस्तान विभाजन की कहानी है ये सीरियल

दूरदर्शन पर प्रदर्शित होने वाली सीरियल 'बुनियाद' की भारतीय दर्शक आज भी बहुत सराहना करते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं 1986 में दूरदर्शन पर प्रदर्शित सीरियल 'बुनियाद' के बारे में।

Bishwajeet Kumar
Published By Bishwajeet KumarWritten By Priya Singh
Published on: 2 Feb 2022 9:08 AM GMT
Buniyaad Serial: 1986 में प्रदर्शित सीरियल बुनियाद को दर्शक आज भी याद करते हैं, भारत-पाकिस्तान विभाजन की कहानी है ये सीरियल
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बुनियाद सीरियल पोस्टर (तस्वीर साभार: सोशल मीडिया)

Buniyaad Serial: मुल्क़ का बंटवारा होना और एक लकीर के दोनों तरफ़ हमेशा के लिए अलग बसर करने की कवायद में लगना, कुछ लोगों के लिए सियासत था। तो वहीं कुछ के लिए हसरत। लेकिन अगर कुल मिलाकर देखा जाए तो जुदाई के परिणाम स्वरूप यह सभी के लिए एक वियोग था। कितना ख़ून बहा, कितनी जानें गईं, कितने सपने जले और कितनी तमन्नाएं दफ़न हुईं।

इसका ठीक हिसाब आज तक कोई न लगा पाया है। जो बच गए वो लकीर के दोनों तरफ़ बंट गए। उनके पास आने वाले कल की रोशनी और भविष्य के सन्नाटे के अलावा कुछ भी न था। बस एक चीज़ मुसलसल चल रहा था और आगे बढ़ रहा था, वो था समय। समय अपने साथ कई बुनियादों को हिला रहा था और ऐसी ही एक परिवार की बुनियाद की कहानी थी "बुनियाद"।

सप्ताह में दो दिन प्रसारित किया जाता था

1986 वो साल था जब दूरदर्शन (Doordarshan) के पिटारे से एक के बाद एक नायाब तोहफ़े निकल रहे थे। जिन्हें और जिनकी यादों को आज तक सहेज कर रखा गया है। "बुनियाद" एक बहुत बड़ा और खूबसूरत धारावाहिक था। ये हर मामले में बड़ा था। जी० पी० सिप्पी के संरक्षण में इसके निर्माण का काम अमित खन्ना (Amit Khanna) ने संभाला।

निर्देशन रमेश सिप्पी (Ramesh Sippy) और ज्योति सरूप (Jyoti Sarup) ने मिलकर किया। ये एक सोप ओपेरा था और भारत के टेलीविज़न के इतिहास में यही पहला धारावाहिक था, जो सप्ताह में एक से ज़्यादा दिन दिखाया जाता था। ये सप्ताह में दो दिन प्रसारित किया जाता था।

200 लोगों की टीम के 15 महीनों की मेहनत है ये सीरियल

ये वो दौर था जब दूरदर्शन के निदेशक हरीश खन्ना थे और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव एस०एस० गिल थे। इन दोनों ने दूरदर्शन का द्वार निजी प्रोडक्शन हाउसेज़ के लिए खोला जब अमित खन्ना और रमेश सिप्पी ने इसकी ज़िम्मेदारी ली, तो कोई कसर न छोड़ी। कला निर्देशन के लिए, सुधेन्दु रॉय जैसे बेहतरीन निर्देशक को चुना गया।

साथ ही वेश-भूषा के लिए सरोश मोदी (Sarosh Modi) को चुना गया। 200 लोगों की टीम के 15 महीनों की मेहनत के बाद ये धारावाहिक बना और इसके 104 एपिसोड प्रसारित किए गए। सिनेमाटोग्राफ़ी, के० के० महाजन जैसे दिग्गज ने किया और संपादन एम०एस०शिंदे ने किया। इतने बड़े नाम इस धारावाहिक से जुड़े थे कि इसका स्तर बहुत उठ गया था।

ये कहानी आने वाली पीढ़ियों की ज़िंदगी तक चली

कलाकारों की बात की जाए तो आलोकनाथ (aloknath) (हवेलीराम) के परिवार की ये कहानी उनकी आने वाली पीढ़ियों की ज़िंदगी तक चली। इतने बड़े कालखंड में बदलते तौर तरीकों और वेश-भूषा का भी पूरा ध्यान निर्माता और निर्देशक ने रखा। अनीता कंवर (लाजो जी), गोगा कपूर (भाई आत्माराम),किरन जुनेजा (वीरावली), विजयेन्द्र घाटगे (वृषभान) के अलावा नीना गुप्ता, सोनी राज़दान, दलीप ताहिल, कंवलजीत, मज़हर ख़ान, लीला मिश्रा, कृतिका देसाई, गिरिजा शंकर, अभिनव चतुर्वेदी, राजेश पुरी, अरुण जोशी, विनोद नागपाल और अंजना मुमताज़ जैसे कई और बेहतरीन कलाकारों ने काम किया।

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