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इन 5 सेलेब्स ने कैंसर को दी मात, वहीं कुछ हार गए जिंदगी की जंग
लखनऊ : ‘मेजर साब’ और ‘सरफरोश’ जैसी बॉलीवुड फिल्मों में अपनी एक्टिंग से धूम मचाने वाली चर्चित फिल्म एक्ट्रेस सोनाली बेंद्रे आजकल ‘हाईग्रेड’ कैंसर से जूझ रही हैं। उन्होंने खुद अपनी बीमारी के बारे में सोशल मीडिया में खुलासा किया है।
newstrack.com आपको बताने जा रहा है कुछ ऐसे सेल्बेस के बारे में, जिन्होंने कैंसर होने के बाद भी हार नहीं मानी और बीमारी को मात देते हुए अपने खुशहाल जिंदगी में फिर से वापस लौट आए। वहीं कुछ ऐसे भी रहे जो कैंसर के खिलाफ जंग हार गए।
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युवराज सिंह
क्रिकेटर युवराज सिंह की जिंदगी आज भले ही चकाचौंध में बीत रही हो। लेकिन उनकी लाइफ में एक ऐसा दौर भी आया था जब वे अंदर से एकदम टूट चुके थे। इस बात का खुलासा उन्होंने अपनी बुक ‘द टेस्ट ऑफ माय लाइफ’ में किया है। उन्होंने अपनी बुक में लिखा कि 2012 में उन्हें कैंसर हुआ था।
अमेरिका के बोस्टन शहर में दो महीने तक चले इलाज के बाद वे ठीक हो गये और ये उनका जज्बा ही था कि दोबारा से टीम इंडिया में उनकी वापसी हुई।
उन्होंने श्री लंका में आयोजित टी 20 वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया था। बीमारी से ठीक हो हेजल कीच से उन्होंने शादी कर ली थी।
मनीषा कोइराला
‘सौदागर, ‘1942 ए लव स्टोरी’ और ‘अकेले हम अकेले तुम’ जैसी फिल्मों से आडियंस का दिल जीतने वाली मनीषा कोइराला को भी 2012 में ओवरी में कैंसर हुआ था। उन्हें बाद में आपरेशन कराना पड़ा था और किमोथेरेपी के चलते उनके बाल भी झड़ गए थे।
कुछ दिनों तक मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल में उनका ट्रीटमेंट चला था। उसके बाद वे आगे के ट्रीटमेंट के लिए अमेरिका चली गई। वहां पर चले इलाज के बाद वह ठीक हो गई। अब वे फिर से फिल्मों में आने की तैयारी कर रही हैं।
लीजा रे
ऐक्ट्रेस और मॉडल लीजा रे को 2009 में मल्टीपल माइलोमा नाम की कैंसर की बीमारी हुई थी। ये एक रेयर टाइप का कैंसर है। सर्जरी और रेडियेशन से इस बीमारी का इलाज संभव है।
लीजा ने 2010 में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट कराकर इस बीमारी से मुक्ति पाई थी। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट विधि के तहत उनके खून के वाइट ब्लड सेल्स में बनने वाले एंटीबाडीज को दोबारा से रिकवर किया गया था।
उसके बाद जाकर उनकी जान बच पाई थी। लेकिन अभी भी उन्हें कुछ दिक्कतें बनी हुई हैं।
नरगिस दत्त
‘मदर इंडिया’ और ‘आवारा’ जैसी बॉलीवुड फिल्मों से अपनी एक्टिंग का लोहा मनमाने वाली ऐक्ट्रेस नरगिस दत्त को भी कैंसर हुआ था।
इस बीमारी से ही 3 मई 1981 को उनकीं डेथ हो गई थी। उनकी याद में बाद में उनके हसबैंड और फिल्म एक्टर सुनील दत्त ने मुंबई में नरगिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन की स्थापना की थी।
इसके पीछे मकसद कैंसर पेशेंटस को सही जगह पहुंचाकर उन्हें बेहतर इलाज मुहैया कराना था। संजय दत्त कई बार सार्वजनिक मंचों पर अपनी मां की कैंसर की बीमारी और उनकी मौत का जिक्र कर मायूस दिखाई दिए है।
विनोद खन्ना
‘दयावान, ‘कुर्बानी और ‘मेरे अपने’ जैसी फिल्मों में बेहतरीन एक्टिंग से बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले एक्टर विनोद खन्ना की डेथ 2017 में कैंसर से हुई थी।
उन्हें ब्लड कैंसर हुआ था। वे काफी टाइम से बीमार चल रहे थे। जिस दिन उनकी डेथ की खबर बॉलीवुड में और उनके फैंस तक पहुंची चारों तरफ एक अजीब तरह का सन्नाटा पसर गया था।
किसी को भी इतनी जल्दी उनके दुनिया छोड़ कर चले जाने की उम्मीद नहीं थी। शुरूआती दिनों में उनकी पहचान एक चाकलेटी बॉय के तौर पर थी।
क्या होता है हाई-ग्रेड कैंसर
केजीएमयू के रेडियोलोजी डिपार्टमेंट के डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक कैंसर स्टेज और कैंसर ग्रेड में अंतर होता है। कैंसर का स्टेज जहां यह जानकारी देता है कि वह शरीर में किस हद तक फैल चुका है, वहीं कैंसर का ग्रेड यह दर्शाता है कि ट्यूमर के शरीर में फैलने की क्षमता कितनी है।
माइक्रोस्कोप से देखने पर ट्यूमर सेल दिखने में जितने एबनॉर्मल होंगे, उनके बढ़ने की रफ्तार और संभावना उतनी ज्यादा होती है।
क्या पॉसिबल है इस बीमारी का इलाज
सामान्य कैंसर होने पर एक खास आर्गन ही इस बीमारी की चपेट में आता है लेकिन हाईग्रेड कैंसर में ऐसा नहीं है।
इस तरह कैंसर होने पर बीमारी एक आर्गन को चपेट में लेते हुए धीरे -धीरे बाकी आर्गन्स को तक पहुंच जाती है और बाद में ये पूरे आर्गन्स में फैल जाती है।
इस तरह के केस में इलाज काफी मुश्किल होता है। डाक्टर के लिए पेशेंट को बचाना आसान नहीं होता है।
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G-1 (लो ग्रेड कैंसर)
G-2 (इंटरमीडिएट ग्रेड कैंसर)
G-3 (हाई ग्रेड कैंसर)
G-4 (हाई ग्रेड कैंसर)
लो ग्रेड कैंसर में ट्यूमर सेल नॉर्मल सेल की तरह दिखते हैं और शरीर में उनके फैलने की क्षमता/रफ्तार धीमी होती है।
वहीं हाई ग्रेड कैंसर के मामले में माइक्रोस्कोप से देखने पर ट्यूमर सेल नॉर्मल सेल से बहुत ज्यादा असामान्य होते हैं और वे शरीर में तेजी से फैलते हैं।