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Ashtavinayak Temple: जहां खुद प्रकट हुए थे भगवान गणेश, प्राकृतिक हैं प्रतिमाएं

Ashtavinayak Temple: मराठी संस्कृति में गणपति पूजा का विशेष महत्व है। इसलिए गणेशोत्सव के दौरान महाराष्ट्र में दस दिनों तक हर्षोल्लास और उत्सव सा माहौल रहता है।

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Newstrack NetworkPublished By Shweta
Published on: 10 Sep 2021 12:23 PM GMT
भगवान गणेश की मूर्ति
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भगवान गणेश की मूर्ति (फोटोः सोशल मीडिया)

Ashtavinayak Temple: मराठी संस्कृति में गणपति पूजा का विशेष महत्व है। इसलिए गणेशोत्सव के दौरान महाराष्ट्र में दस दिनों तक हर्षोल्लास और उत्सव सा माहौल रहता है। इसके पीछे की वजह यही है कि यहां के लोगों में भगवान गणेश को लेकर आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही विशेष आस्था रही है। इसलिए दुनिया के अधिकतर प्रसिद्ध गणेश मंदिर आपको महाराष्ट्र में ही मिलेंगे। ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर है अष्टविनायक मंदिर।

मानयता है कि जिस प्रकार भगवान महादेव के बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का विशेष फल मिलता है वैसे ही अष्टविनायक की आराधना का विशेष महत्व है। महाराष्ट्र के पुणे के नजदीक भगवान गणेश या अष्टविनायक के आठ मंदिर हैं। इसके लिए भक्तों को राज्य के एक छोर से दूसरे छोर जाने की जरूरत भी नहीं होती है। गणेश जी के ये सभी मंदिर 20-110 किलोमीटर के बीच ही स्थित हैं। हालांकि इन मंदिरों का अपना पौराणिक महत्व है।

अष्टविनायक तीर्थ यात्रा

भगवान गणेश की मूर्ती (फोटोः सोशल मीडिया)

जानने वाले बताते हैं कि इन मंदिरों में विराजित गणेश प्रतिमाएं 'स्वयंभू' हैं। अर्थात यह स्वयं ही प्रकट हुई हैं। मतलब, इन प्रतिमाओं को किसी मनुष्य ने नहीं बनाया है। ये सभी प्राकृतिक हैं। कहा जाता है कि इन सभी मंदिरों का उल्लेख मुद्गल पुराण में है। यदि कोई व्यक्ति इन आठ गणपति धामों की यात्रा करता है तो उसे अष्टविनायक तीर्थ यात्रा (Ashtavinayak Tirtha yatra) ही कहा जाता है।

क्रम से ही होनी चाहिए पूजा

भगवान गणेश की प्रतिमा (फोटोः सोशल मीडिया)

भक्तों के लिए यह जानना विशेष जरूरी है कि इन गणेश प्रतिमाओं के प्राप्त होने के क्रमानुसार ही अष्टविनायक यात्रा की जाती है। नहीं तो आपकी यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाएगी। दरअसल, ये सभी गणपति मंदिर एक क्रम में 20 से 120 किलोमीटर के दायरे में मिले थे । पुणे के करीब इन सभी मंदिरों के दर्शन मात्र से ही भक्तों की सभी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

क्रम से भगवान गणेश की आठों मंदिर Eight temples lord ganesha in india

भगवान गणेश की आठों मंदिर (फोटोः सोशल मीडिया)

पहले स्थान पर आता है मयूरेश्वर मंदिर। यह मंदिर पुणे में स्थित है। दूसरे नंबर पर सिद्धिविनायक मंदिर है। यह अहमदनगर जिले में है। तीसरा, बल्लालेश्वर मंदिर है जो रायगढ़ में स्थित है। इसके बाद वरदविनायक मंदिर का स्थान आता है, जो रायगढ़ जिले में ही है। इसके बाद चिंतामणी मंदिर है, जो पुणे में है। छठे स्थान पर गिरिजात्मज अष्टविनायक मंदिर है। यह भी पुणे में ही है। सातवें नंबर पर विघ्नेश्वर अष्टविनायक मंदिर है जो ओझर में स्थित है। अंत में महागणपति मंदिर आता है। यह मंदिर राजणगांव में स्थित है। एक बार फिर बता दूं कि मंदिरों के इसी क्रम से भगवान गणेश की पूजा होती है। तभी आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। ऐसा कोई हिन्दू परिवार नहीं होगा जहां घर के मंदिर में भगवान गणेश की पूजा नहीं होती होगी। अक्सर छुट्टियों में जब आप परिवार के साथ बच्चों को कहीं घुमाने का प्लान कर रहे हों तो आप अष्टविनायक के दर्शन को भी अपनी सूचि में शामिल कर सकते हैं।

Shweta

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