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Bhoomiputra Bill: 'भूमिपुत्र' पर हंगामा क्यों, सरकार बिल से शब्द हटाने को तैयार, लोगों को क्या होगा फायदा

गोवा भूमिपुत्र अधिकारिणी बिल 2021 को लेकर विवाद पैदा होने के बाद राज्य सरकार ने भूमिपुत्र शब्द हटाने का फैसला लिया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shashi kant gautam
Published on: 4 Aug 2021 2:20 PM IST (Updated on: 4 Aug 2021 2:24 PM IST)
controversy arose over the Goa Bhumiputra Authority Bill 2021, the state government has decided to remove the word Bhumiputra.
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गोवा मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत: फोटो- सोशल मीडिया

Bhoomiputra Bill: गोवा भूमिपुत्र अधिकारिणी बिल 2021 को लेकर विवाद पैदा होने के बाद राज्य सरकार ने भूमिपुत्र शब्द हटाने का फैसला लिया है। राज्य के विभिन्न समुदायों के साथ ही कांग्रेस और आप की ओर से इसे लेकर गहरी आपत्ति जताई गई थी जिसके बाद गोवा की सरकार बैकफुट पर आ गई। विपक्ष की ओर से तीखी आपत्ति जताए जाने के बाद मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा है कि सरकार इस बिल से भूमिपुत्र शब्द हटाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि भूमिपुत्र शब्द हटाने के बाद इसका नाम गोवा अधिकारिणी बिल रखा जा सकता है।

गोवा में ऐसे लोगों को होगा फायदा

गोवा सरकार के नए बिल में राज्य में 30 साल से ज्यादा समय से रहने वाले लोगों को भूमिपुत्र का दर्जा दिए जाने की बात कही गई है। इस बिल को मंजूरी मिलने के बाद लोग 1 अप्रैल, 2019 से पहले निर्मित अपने मकानों पर मालिकाना हक का दावा कर सकेंगे। हालांकि इस विधेयक में यह शर्त भी जोड़ी गई है कि ऐसे मकान 250 स्क्वायर मीटर से ज्यादा की एरिया में नहीं बने होने चाहिए।

विधेयक में भूमिपुत्र शब्द का उल्लेख किए जाने पर राज्य के विभिन्न समुदायों के साथ ही विपक्ष की ओर से इस पर तीखी आपत्ति जताई गई थी। विपक्ष ही नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा ने भी इसे लेकर आपत्ति जताई थी और इस बाबत मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा था।

मुख्यमंत्री ने किया बड़ा ऐलान

विधेयक को लेकर विवाद पैदा होने के बाद गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने इस बाबत स्पष्टीकरण जारी किया है। सोशल मीडिया पर इस संबंध में दिए गए अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि भूमिपुत्र शब्द पर अधिकांश लोगों को आपत्ति है क्योंकि यह शब्द लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस बाबत विभिन्न पक्षों की ओर से आपत्ति जताए जाने के बाद हम भूमिपुत्र शब्द हटाने के लिए तैयार हैं। अब इस नए बिल का नाम भूमिपुत्र शब्द हटाकर गोवा भूमि अधिकारिणी बिल रखा जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष को इस मुद्दे पर वॉकआउट करने की जगह इस पर चर्चा करनी चाहिए थी क्योंकि सरकार अभी भी इस मुद्दे पर विभिन्न लोगों की राय ले रही थी। उन्होंने कहा कि विधेयक को नए स्वरूप में जल्द ही फिर रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह बिल गोवावासियों के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है और ऐसे में विपक्ष की आपत्तियों में कोई दम नहीं है।


भाजपा में भी उठे थे विरोध के स्वर

भाजपा एसटी मोर्चा की ओर से मुख्यमंत्री को दिए गए ज्ञापन में कहा गया था कि बिल में भूमिपुत्र शब्द का उल्लेख होने से राज्य के आदिवासियों में काफी नाराजगी है क्योंकि इससे उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची है। आदिवासी समुदाय की ओर से इस बिल का तीखा विरोध किया जा रहा है।

गोवा के अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के रमेश के अध्यक्ष रमेश तावडकर ने भी इस बाबत मुख्यमंत्री सावंत के साथ बैठक की थी और इस ओर उनका ध्यान दिलाया था। उनका तर्क था कि भूमिपुत्र का शब्द का उल्लेख राज्य में रहने वाले विभिन्न समुदायों के लिए किया जाता है और इसलिए इन समुदायों को भूमिपुत्र शब्द पर तीखी आपत्ति है। उनका कहना था कि भूमिपुत्र शब्द का उल्लेख किए जाने से ऐसे समुदायों की पहचान को धक्का लगेगा। मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद तावडकर का कहना था कि सरकार भूमिपुत्र शब्द का उल्लेख हटाने के लिए तैयार हो गई है।

कांग्रेस ने बनाया मुद्दा, निकालेगी यात्रा

गोवा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस बिल को बड़ा मुद्दा बना लिया है और इसे लेकर भूमिपुत्र यात्रा निकालने का फैसला किया है। गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गिरीश चूड़ांकर ने मीडिया से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी। राज्य के पूर्व अटार्नी जनरल और कांग्रेस प्रवक्ता कार्लोस फेरेरा ने आरोप लगाया है कि इस विधेयक का मकसद अवैध रूप से निर्मित छोटे आवासों को नियमित करना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस विधेयक को रद्द करना चाहिए और पार्टी की ओर से इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि अभी तक इस विधेयक को राज्यपाल की ओर से मंजूरी नहीं दी गई है और कानून बनने के बाद ही इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है। अभी हम सरकार से इसे रद्द करने का अनुरोध कर रहे हैं मगर सरकार यदि इस विधेयक को लेकर आगे बढ़ी तो इसे निश्चित रूप से अदालत में चुनौती दी जाएगी। दूसरी ओर राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस रही आप ने भी इस बिल को लेकर राज्य सरकार पर हमला बोला है।

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