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Goa Election 2022: गोवा में नाम वापसी का आखिरी दिन बीता, इन सीटों पर बागी बिगाड़ सकते हैं बीजेपी का खेल

Goa Assembly Election 2022: पांच राज्यों सहित गोवा में विधानसभा चुनाव होने को हैं जिसके लिए आज नामांकन कर चुके प्रत्त्याशियों के लिए नाम वापसी का आखिरी दिन था।

Krishna Chaudhary
Published on: 1 Feb 2022 10:44 PM IST
Goa Election 2022: गोवा में नाम वापसी का आखिरी दिन बीता, इन सीटों पर बागी बिगाड़ सकते हैं बीजेपी का खेल
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Goa Assembly Election 2022: देश का सबसे छोटा राज्य गोवा होलीडे (Goa Holiday) के लिए हमेशा से एक पसंदीदा गंतव्य स्थल रहा है। आकार में छोटा लेकिन खुबसूरती में बड़ों को मात देने वाला यह राज्य इन दिनों विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चाओं में है। अन्य बड़े राज्यों की तरह यहां भी बड़ी संख्या में नेता इधर से उधर गए हैं, और बड़ी संख्या में बागी भी मैदान में ताल ठोंकते नजर आ रहे हैं।

राज्य में बीते 10 सालों से खुंटा जमाए सत्ताधारी बीजेपी के लिए ये बागी अब सिरदर्द साबित होने लगे हैं। दरअसल सोमवार को नाम वापसी का आखिरी दिन था, ऐसे में बीजेपी ने कई बागियों को अपना नामांकन वापस लेने के लिए राजी कर लिया। लेकिन अभी कुछ ऐसी सीटें हैं जहां वो रूठों को नहीं मना पाई औऱ अब उसे बड़ी नुकसान होने का अंदेशा सता रहा है। तो आइए एक नजर ऐसी सीटों पर डालते हैं।

पणजी (Panaji)

मौजूदा चुनाव में पणजी विधानसभा सीट सबसे ज्यादा सुर्खियों में है। कभी इस सीट से राज्य के कद्दावर भाजपा नेता और केंद्र में रक्षा मंत्री रह चुके मनोहर पर्रिकर यहां से चुनाव जीतते रहे हैं। गोवा में बीजेपी को ड्राइविंग सीट पर लाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद अब इस सीट को लेकर उनके बेटे उत्पल पर्रिकर औऱ बीजेपी में मतभेद उत्पन्न हो गया है। बीजेपी ने जहां इस सीट से 2019 में मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले अतानासियो मोनसेराते को मैदान में उतारा है।

वहीं अपने पिता की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए राजनीति में आए उत्पल पर्रिकर स्वयं के लिए ये सीट चाहते थे। उत्पल के कड़े रूख के बाद थोड़ी नरम हुई बीजेपी ने उन्हें अन्य दो सीटों में से किसी एक पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया, लेकिन उत्पल अपने पिता की इस पुरानी सीट पर ही अड़े रहे। नतीजतन दोनों के बीच समझौता विफल रहा और उत्पल पर्रिकर ने निर्दलीय पणजी सीट से पर्चा दाखिल कर दिया। बीजेपी मुश्किलें तब और बढ़ गई, जब शिवसेना ने उत्पल के समर्थन में अपने उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया। बता दें कि मोनसेराते कांग्रेस के उन 9 बागी विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने 2019 में भाजपा ज्वाइन कर ली थी। ऐसे में इस सीट पर उत्पल पर्रिकर बीजेपी का खेल बिगाड़ सकते हैं।

मंड्रेम (Mandrem)

पणजी के बाद मंड्रेम विधानसभा सीट ऐसी है जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री औऱ बीजेपी के दिग्गज नेता लक्ष्मीकांत पारसेकर निर्दलीय मैदान में हैं। पारसेकर इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी के घोषणा पत्र समिति के प्रमुख थे। फिर भी बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। बीजेपी ने उनकी जगह कांग्रेस से आए दयानंद सोपते को मैदान में उतारा है। दरअसल मनोहर पर्ऱिकर के रक्षा मंत्री बनने के बाद राज्य में सीएम की कुर्सी पर लक्ष्मीकांत पारसेकर को बैठाया गया था।

पार्टी उन्हीं के नेतृत्व में 2017 का विधानसभा चुनाव भी लड़ी थी, इन चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन बहुत खराब रहा। यहां तक सीएम पारसेकर भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। तब उन्हें कांग्रेस के दयानंद सोपते ने ही शिकस्त दिया था। हालांकि बाद में वो भी हाथ का दामन छोड़ कमल का दामन थाम लिया। ऐसे में बीजेपी के इस दिग्गज नेता की बगावत मंड्रेम विधानसभा सीट पर भाजपा का गेम बिगाड़ सकती है।

सांगुम (sangum)

गोवा की सांगुम विधानसभा सीट भी बीजेपी के लिए गले की फांस बन गई है। पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रकांत कलवेकर की पत्नी सावित्री कलवेकर ने सांगुम से टिकर न मिलने पर बगावत का बिगूल फूंक दिया है। वो कांग्रेस से बीजेपी मे शामिल हुई थीं औऱ टिकट की दावेदार भी मानी जा रही थी। लेकिन बीजेपी ने उन्हें मौका न देकर पूर्व विधायक सुभाष फलदेसाई को टिकट थमा दिया। नाराज सावित्री ने फलदेसाई के खिलाफ पर्चा भर दिया। यहां सबसे दिलचस्प बात ये है कि सावित्री कलवेकर के पति पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रकांत कलवेकर बगल की ही सीट क्यूपेम से बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं। ऐसे में इलाके में मजबूत दखल रखने वाले चंद्रकांत कलवेकर की पत्नी सावित्री कलवेकर उनकी ही पार्टी को बगल की सीट पर नुकसान करने के लिए आमादा हैं।

कुम्भरजुआ (Kumbharjua)

बीजेपी के टिकट ऐलान होने के दौरान इस सीट पर सबकी नजरें टिकी हुई थी। दरअसल कुम्भरजुआ विधानसभा सीट से सिध्देश नाइक चुनाव मैदान में उतरने की तैयार कर रहे थे। सिध्देश कोई मामूली बीजेपी नेता या कार्य़कता नहीं बल्कि मोदी सरकार में मंत्री श्रीपद नाइक के बेटे हैं। ऐसे में उनकी ये सीट पक्की मानी जा रही थी, लेकिन टिकटों के ऐलान के बाद उन्हें मायूसी हाथ लगी। टिकट न मिलने पर उन्होंन निर्दलीय चुनाव लड़ने का भी ऐलान कर दिया था।

हालांकि बीजेपी उन्हें काबू में करने में कामयाब रही और वो अपने निर्णय से पीछे हट गए। लेकिन इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार जैनिता मडकाइकर की मुश्किलें फिर भी कम नहीं हैं। दरअसल कभी उनके सहयोगी रहे रोहन हरमनकलकर निर्दलीय उनके खिलाफ मैदान में उतरे हैं। बता दें कि इस सीट पर 2017 में पांडुरंग मडकाइकर विधायक चुने गए थे, जो बीजेपी उम्मीदवार जैनिता मडकाइकर के पति हैं। ऐसे में बीजेपी को इस सीट पर नुकसान झेलना पड़ सकता है।

कुल मिलाकर इन सब अटकलों पर विराम 10 मार्च को लगेगा तब ईवीएम से जनता का निर्णय़ बाहर आएगा। 40 विधायकों वाली गोवा विधानसभा के सभी सीटों पर 14 फ़रवरी को एक ही चरण में वोट डाले जाएंगे।

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Shashi kant gautam

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