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गोवा चुनाव : इन ख़ास सीटों पर हैं दिग्गज, दिखेगा सबसे आकर्षक मुकाबला

गोवा विधानसभा चुनाव 2022 में इस बार पुरानी राजनीतिक दलों के अलावा कुछ नए राजनीतिक दल भी चुनाव के मैदान में उतरे हुए हैं जिससे कुछ सीटों पर बहुत ही बड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।

Bishwajeet Kumar
Published By Bishwajeet KumarWritten By Neel Mani Lal
Published on: 24 Jan 2022 7:21 PM IST
गोवा चुनाव : इन ख़ास सीटों पर हैं दिग्गज, दिखेगा सबसे आकर्षक मुकाबला
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Goa Election

लखनऊ। गोवा में विधानसभा चुनावों (Goa Assembly Election) से पहले ही वोटों के संघर्ष की व्यूहरचना की जा चुकी है। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में ऐन चुनाव से पहले दलबदल भी जारी है। ऐसे में राज्य की कुछ सीटों पर सभी की उत्सुकता से नजर लगी हुई है। इन सीटों में सबसे ऊपर है पणजी, जहाँ निर्दलीय उत्पल पर्रिकर (Utpal Parrikar) और भाजपा के अतानासियो मोनसेरेट (Attancio Monserrate) में मुख्य संघर्ष है। इस सबसे हॉट सीट इसलिए है क्योंकि उत्पल पर्रिकर पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री और चार बार गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) के बेटे हैं। उनके सामने हैं भाजपा के उम्मीदवार अतानासियो "बाबुश" मोनसेरेट। उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास की अपनी वैधानिक सार्वजनिक घोषणा में भाजपा ने कहा है कि वह मोनसेरेट को इसलिए चुन रही है क्योंकि वह "लोगों की आकांक्षाओं का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।' वैसे मोनसेरेट पर बलात्कार, दंगा और हमले के आरोप हैं। वह दूसरी बार पणजी से चुनाव लड़ रहे हैं, 2019 में वह कांग्रेस में थे और नौ अन्य कांग्रेस विधायकों के साथ सामूहिक दलबदल में शामिल रहे थे।

पणजी सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीट रहा करती थी। लेकिन मनोहर पर्रिकर के पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ने के बाद यह भाजपा (Bhartiya Janta Party) की सीट में तब्दील हो गई। 1994 में दो प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच वोट के विभाजन के कारण पर्रिकर ने यहाँ जीत दर्ज की थी और तब से वह इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। जब वे दिल्ली चले गए तो उन्होंने सुनिश्चित किया कि भाजपा-नामित सिद्धार्थ कुनकैलिनकर (Siddharth Kunkalinkar) जीतें। उस समय मोनसेरेट से भी चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। 2019 में पर्रिकर की मृत्यु के परिणामस्वरूप हुए उपचुनाव में मोनसेरेट कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में सफल हुए। इस बात को लेकर संदेह बना हुआ है कि क्या अनुभवहीन उत्पल पर्रिकर एक अनुभवी राजनेता के खिलाफ केवल अपने बल पर सफल हो सकते हैं?

वोटों में विभाजन की उम्मीद लगाये हुए हैं कांग्रेस के उम्मीदवार एल्विस गोम्स। वे एक पूर्व नौकरशाह हैं, जिन्होंने पणजी के आयुक्त के रूप में कार्य किया हुआ है। वे भी दलबदल वाले हैं और पहले आम आदमी पार्टी के राज्य संयोजक थे।

मडगांव

दक्षिण गोवा जिला मुख्यालय मडगांव में पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत (Digambar Kamat) (कांग्रेस) का मुकाबला पर्यटन मंत्री मनोहर अजगांवकर (भाजपा) से है। मडगांव के रहने वाले और नगर पार्षद रह चुके अजगांवकर ने पहले कभी इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं किया है। उनका इलाका धारगल-पेरनेम का उत्तर निर्वाचन क्षेत्र रहा है, जिसका उन्होंने दो बार प्रतिनिधित्व किया है। सत्ता विरोधी लहर के कारण अजगांवकर को अपने इलाके से टिकट नहीं दिया गया। लेकिन चूँकि मडगांव में भाजपा को कोई उम्मीदवार नहीं मिल रहा था सो अजगांवकर को ही उतार दिया। दिगंबर कामत 1994 से ही मडगांव निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं - पहले भाजपा के टिकट पर और फिर 2005 में पाला बदलने के बाद कांग्रेस विधायक के रूप में। उन्हें उसी अजगांवकर के खिलाफ अपनी सबसे कठिन चुनौती का सामना करना पड़ेगा, जो 2007 और 2012 के बीच उनकी मंत्रिपरिषद में थे।

मंड्रेम

गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर (Laxmikant Parsekar) ने 32 साल तक भाजपा के सेवा करने के बाद पार्टी ही छोड़ दी, सिर्फ इस बात पर कि उनको टिकट नहीं मिला था। लक्ष्मीकांत एक ऐसी मुख्यमंत्री हैं जो पद पर रहते हुए चुनाव हार गए थे। भाजपा छोड़ने के बाद अब वे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मुकाबला भाजपा के दयानंद सोपटे से होगा। 2017 में लक्ष्मीकांत ने सोपटे को हराया था, तब सोपटे कांग्रेस के साथ थे।

सोपटे, जो पहले भी भाजपा के साथ हुआ करते थे, 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में चले गए थे। उन्होंने पारसेकर के खिलाफ मंड्रेम से चुनाव लड़ा था। असफल होने के बाद भी वह कांग्रेस के साथ रहे और पांच साल बाद फिर कोशिश की और विजयी साबित हुआ। 2018 में सोपटे ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में चले गए। पारसेकर की नाराजगी के लिए ये भी काफी था। बहरहाल, दोनों महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के जीत अरोलकर के खिलाफ हैं, जो एक व्यवसायी हैं और पहली बार उम्मीदवार बने हैं। वे इस क्षेत्र में खासे लोकप्रिय हैं।

पोरीम

कांग्रेस (Congress Party) के वरिष्ठ नेता प्रतापसिंह राणे (Pratapsingh Rane) छह बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 82 वर्षीय राणे पोरीम सीट से कांग्रेस उम्मीदवार (Congress Candidate) हैं लेकिन वह चुनाव लड़ेंगे कि नहीं, ये तय नहीं है। राणे कभी चुनाव नहीं हारे हैं और 1972 के बाद से अपनी सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले वह गोवा के सबसे लंबे समय तक के विधायक हैं - गोवा, दमन और दीव के केंद्र शासित प्रदेश की पूर्व विधानसभा से शुरू होकर, 1987 में गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने तक। उनके पास एक और रिकॉर्ड है, 1980 और 2007 के बीच विभिन्न कार्यकालों में 16 वर्षों तक मुख्यमंत्री (पहले केंद्र शासित प्रदेश और फिर राज्य के) के रूप में कार्य करने का। वह 2007 और 2012 के बीच विधानसभा अध्यक्ष भी थे। अब इस बुढ़ापे में राणे को सत्तारूढ़ भाजपा की सलाह है कि वे चुनाव लड़ने की बजे जिन्दगी भर के लिए कैबिनेट मंत्री बन जाएँ लेकिन राणे गोलमोल बातें कर रहे हैं। पहले वो बोले कि उनके कार्यकर्ता उन्हें चुनाव लड़ना चाहते हैं, और फिर कुछ दिन बाद बोले कि अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। राणे शनिवार दोपहर कांग्रेस उम्मीदवारों की बैठक में मौजूद थे, लेकिन उन 36 में से नहीं थे जो मंदिर, चर्च और दरगाह के सामने शपथ लेने गए थे कि वे चुनाव के बाद थाली के बैंगन नहीं बनेंगे।

अगर राणे चुनाव लड़ते हैं तो उनका मुकाबला अपनी बहू दिव्या राणे से होगे जिसे भाजपा के उम्मीदवार के रूप में नामित किया है। राणे के बेटे विश्वजीत ने पहले कहा था कि इस मामले को "परिवार के भीतर" सुलझा लिया जाएगा।

फतोर्डा

तृणमूल कांग्रेस (TMC) के उम्मीदवारों की पहली सूची में गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइज़िन्हो फलेरियो (luizinho faleiro) का नाम आने से सब चौंक गए थे। लुइज़िन्हो फलेरियो को गोवा फॉरवर्ड पार्टी के सुप्रीमो विजय सरदेसाई के प्रतिनिधित्व वाली फतोरदा सीट से मैदान में उतारा गया है। राज्यसभा सांसद फलेरियो मडगांव शहर के एक तरफ स्थित नावेलिम निर्वाचन क्षेत्र को अपना गढ़ मानते हैं। जब गोवा 30 सदस्यीय विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश था, तब दोनों निर्वाचन क्षेत्र एक ही नवेलिम निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा थे। फलेरियो तब भी विधायक थे।

विजय सरदेसाई अपने निर्वाचन क्षेत्र से दो बार के विधायक हैं और अपनी हनक को बचाने के लिए जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं। भाजपा के पूर्व विधायक दामोदर दामू नायकोफ़ भी इस सीट को जीतने की उम्मीद कर रहे हैं। उनका भरोसा वोट विभाजन पर है क्योंकि इसी के जरिये उन्हें 2007 में सीट जीतने में मदद मिली थी।

बेनाउलिम

गोवा के वयोवृद्ध नेता चर्चिल अलेमाओ 1980 के दशक के उत्तरार्ध से गोवा के राजनीतिक परिदृश्य का मुख्य आधार रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री, चर्चिल ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि 2022 का चुनाव उनका आखिरी होगा। वे टीएमसी के प्रत्याशी हैं। और उनकी विदाई पार्टी को बर्बाद करने के लिए उत्सुक आम आदमी पार्टी (Aap Aadmi Party) ने एक युवा और पहली बार के प्रतियोगी वेन्जी वीगास को मैदान में उतारा है। पेशे से मर्चेंट नेवी में कप्तान के पद तक पहुंचने के बाद वीगैस लगातार उस निर्वाचन क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल कर रहा हैं जहां स्थानीय रूप से "शिपियों" के रूप में संदर्भित नाविकों का एक अच्छा हिस्सा है और ये वर्ग पार्टी के उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कर सकता है। बेनाउलिम अकेला निर्वाचन क्षेत्र था जहां 2017 में आप उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में सफल रही थी और इस बार पार्टी के नए जोश के साथ चुनाव लड़ने के लिए नजर आ रही है।

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