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Goa Election 2022 : गोवा में आप ने खेला ओबीसी कार्ड, खुल कर सामने आई कास्ट पॉलिटिक्स
गोवा विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने अमित पालेकर को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया है।
नई दिल्ली। गोवा में भले ही ऊपर से जातिगत राजनीति नहीं दिखती है लेकिन जाति समीकरण हमेशा से पर्दे के पीछे चलते रहे हैं। खुले तौर पर जाति की राजनीति कभी नहीं हुई है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने पहली बार गोवा में जाति की राजनीति को एक स्पष्ट और खुला रूप दे दिया है। 'आप' यहां एक नया प्रयोग कर रही है और चुनावी नतीजों से ही उसकी सफलता का पता चलेगा। गोवा के चुनाव (Goa Election) में आम आदमी पार्टी ने भंडारी समुदाय के अमित पालेकर (Amit Palekar) को अपने सीएम उम्मीदवार के रूप में घोषित करके गोवा के जाति समीकरणों का मजबूती से ध्यान रखा है।
दरअसल, गोवा में भंडारी समुदाय राज्य की ओबीसी आबादी का लगभग 60 प्रतिशत है। राज्य की आबादी का लगभग 65 प्रतिशत हिंदू हैं, और उनमें से आधे ओबीसी हैं। हालाँकि, पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति के 60 वर्षों में 13 लोग कई कार्यकालों के साथ मुख्यमंत्री रहे हैं लेकिन भंडारी समुदाय से केवल एक मुख्यमंत्री रहा है, और वह है रवि नाइक।
नाइक जनवरी 1991 और मई 1993 के बीच गोवा के मुख्यमंत्री थे, लेकिन उनका मुख्यमंत्रित्व उनकी भंडारी पहचान के बजाय एक राजनीतिक साजिश का परिणाम था। दरअसल, कांग्रेस (Congress) ने नाइक की मदद से, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (Maharashtrawadi Gomantak Party) की गठबंधन सरकार को गिरा दिया और अपनी सरकार बनाई। इसमें नाइक को सीएम बना कर पुरस्कृत किया गया, जो उस समय तक एमजीपी के साथ थे। लेकिन नाइक भी दलबदल विरोधी अधिनियम के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले मुख्यमंत्री बने। रवि नाइक दलबदल के मास्टर थे। उन्होंने एमजीपी से शुरुआत की। फिर कांग्रेस में गए। वहां से भाजपा (BJP) में चले गए और कांग्रेस सरकार गिराने में भूमिका निभाई। इसके बाद दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए। नाइक अब इन चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
मराठा और अनुसूचित जाति
भंडारियों के बाद, हिंदुओं में सबसे बड़ा मतदाता समूह मराठा और अनुसूचित जाति का है। गोवा के मौजूदा मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत (Pramod Sawant) मराठा समुदाय से हैं। सारस्वत ब्राह्मण गोवा की आबादी का एक बड़ा प्रतिशत नहीं हैं, लेकिन कहा जाता है कि वे राज्य की अर्थव्यवस्था की बागडोर संभालते हैं और इसलिए विश्लेषकों के अनुसार उन्हें राय-निर्माता के रूप में देखा जाता है। गोवा में सारस्वत ब्राह्मण समुदाय के कुछ मुख्यमंत्री रहे हैं, जैसे भाजपा के दिवंगत मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar), और कांग्रेस के प्रतापसिंह राणे (Pratap Singh Rane) और दिगंबर कामत (Digambar Kamat)।
वैसे, हर दल ने चुपचाप सारस्वत ब्राह्मणों का पक्ष लिया है। कुछ ऐसे उम्मीदवार भी हैं जो सारस्वत फैक्टर के कारण विजेता बने हैं, जैसे दिगंबर कामत (कांग्रेस), रोहन खुंटे (Rohan Khunte) (भाजपा) और विजय सरदेसाई (गोवा फॉरवर्ड पार्टी)। यदि इस बार उत्पल पर्रिकर (निर्दलीय) जीतते हैं, तो वह भी सारस्वत फैक्टर के कारण होगा। इसके अलावा, कैथोलिकों की गोवा की आबादी का लगभग 23 प्रतिशत हिस्सा है और सभी पार्टियां यह सुनिश्चित करती हैं कि कैथोलिक उम्मीदवारों को बड़ी संख्या में टिकट मिले।