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Goa Election 2022: सीएम प्रमोद सावंत क्या लगा पाएंगे हैट्रिक, क्या है संक्वेलिम विधानसभा सीट का सियासी समीकरण

Goa Election 2022:राज्य में बीजेपी के खेवनहाड़ मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत भी तीसरी बार संक्वेलिम विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं।

Krishna Chaudhary
Written By Krishna ChaudharyPublished By Monika
Published on: 6 Feb 2022 1:17 PM IST (Updated on: 6 Feb 2022 2:12 PM IST)
CM Pramod Sawant
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सीएम प्रमोद सावंत (photo : social media ) 

Goa Election 2022: देश के सबसे छोटे राज्य गोवा में इन दिनों चुनावी (Goa Election 2022) बयार बह रही है। विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव प्रचार जोरों पर है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस (Congress) के अलावा आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। लगातार 10 सालों से सत्ता में काबिज भाजपा एक और जीत के साथ हैट्रिक लगाने का सपना संजोए हुई है। तो राज्य में बीजेपी के खेवनहाड़ मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत (CM Pramod Sawant) भी तीसरी बार संक्वेलिम विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। तो आइए एक नजर सीएम सावंत के सियासी सफर (CM Pramod Sawant Political journey) और संक्वेलिम के सियासी समीकरण पर डालते हैं–

पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत गोवा में बीजेपी के तीसरे मुख्यमंत्री (BJP's third cm in Goa) हैं। गोवा के कद्दावर भाजपा नेता और रक्षा मंत्री रह चुके मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद राज्य बीजेपी में उपजी शून्यता को भरना उनके लिए बड़ी चुनौती है। 24 अप्रैल 1973 को जन्मे एक मराठी परिवार में जन्मे प्रमोद सावंत महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के गंगा आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज से बैचलर ऑफ आयुर्वेद, मेडिसिन एंड सर्जरी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने पुणे के तिलक विश्वविद्यलाय से सोशल वर्क में एम.ए किया। पेशे से टीचर सीएम सावंत की पत्नी सुलक्षणा भी राजनीति में सक्रिय हैं। वो भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष के पद पर विराजमान हैं।

सीएम सांवत का सियासी कैरियर (CM Pramod Political career)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से राजनीति ककहरा सीखने वाले प्रमोद सावंत की राजनीति में एंट्री अच्छी नहीं रही। वो अपने पहला चुनाव हार बैठे थे। 2008 में उन्होंन पहली बार पाले विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़कर अपनी चुनावी पारी का आगाज किया था। जिसमे वो असफल रहे। उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप प्रभाकर गौंस से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद प्रमोद सावंत ने अपनी सीट बदल ली। 2012 के विधानसभा चुनाव में वो संक्वेलिम विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे और जीत दर्ज की। सावंत 2017 के विधानसभा चुनाव में एकबार फिर संक्वेलिम से चुनाव मैदान में थे और एक बार फिर जीत का सेहर उनके सिर बंधा। दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के करीबी होने के कारण उनका सियासी ग्राफ खुब परवान चढ़ा। 2017 में जोड़ तोड़ के साथ सरकार बनाने वाली बीजेपी ने उन्हें विधानसभा का स्पीकर बना दिया। इसके बाद 2019 में मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के देहांत के बाद राज्य की बागडोर उनके हाथों में आ गई।

संक्वेलिम विधानसभा सीट (Sanquelim assembly seat)

2012 में पहली बार संक्वेलिम विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमाने उतरे मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत अपने सियासी करियर का पहला चुनाव 2008 में पाले विधानसभा सीट से गंवा चुके थे। ऐसे में 2012 में उन्हें जीतना बेहद जरूरी था। जिसतरह 2012 में गोवा की जनता ने बीजेपी को आर्शीवाद दिया, उसी तरह पहली बार संक्वेलिम विधानसभा सीट से चुनाव लड़े प्रमोद सावंत को मिला। वो जीतने में सफल रहे। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप गौंस को 6,918 वोटों से हराकर अपनी पिछली हार का बदला ले लिया। 2017 में इसी सीट पर कांग्रेस ने उम्मीदवार बदल दिया। इस बार सीएम सावंत के सामने कांग्रेक के धर्मेश संगलानी मैदान में थे। सावंत इस बार भी अपनी सीट निकालने में कामयाब रहे। उन्होंने धर्मेश संगलानी को 4,974 वोटों से हराया।

संक्वेलिम विधानसभा का समीकरण

सीएम प्रमोद सावंत की उम्मीदवारी के चलते संक्वेलिम विधानसभा सीट गोवा की वीआईपी सीट बन गई है। बात करें मतदाताओं की तो यहां कुल 27,491 वोटर है। जिनमे पुरूषों की संख्या 13,557 औऱ महिलाओं की संख्या 13,934 है। इस सीट पर आरएसएस का अच्छा प्रभाव माना जाता है। यही वजह है कि इसे गोवा में बीजेपी के गढ़ों में शुमार किया गया है। संक्वेलिम उत्तर गोवा लोकसभा क्षेत्र में आती है जहां से केंद्र में मंत्री श्रीपद येस्सो नाइक सांसद हैं।

सीएम सावंत की चुनौती

17 मार्च 2019 को मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के देहांत के बाद जब भाजपा आलाकमान ने प्रमोद सावंत को राज्य का नेतृत्व सौंपा, तब इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं होने लगीं। सीएम सावंत कभी गोवा मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं रहे और केवल दो टर्म उन्होंने विधायक का चुनाव जीता था। लिहाजा उनके कम अनुभव को लेकर सियासी हलकों में ऐसी चर्चाएं आम थी कि क्या सावंत जोड़ तोड़ से बनी भाजपा सरकार को सही तरीके से चला पाएंगे। हालांकि उन्होंने शीर्ष नेतृत्व के उम्मीदों पर खड़ा उतरने की कोशिश करते हुए राज्य में सरकार चलाने में सफल रहे। ऐसे में इस बार क्या वो अपनी सीट पर हैट्रिक लगाने के साथ – साथ बीजेपी को राज्य में हैट्रिक लगवा पाएंगे। बात करें उनकी सीट की तो एकबार फिर कांग्रेस ने धर्मेश संगलानी को उनके सामने उतारा है। वहीं आम आदमी पार्टी भी उनके खिलाफ मजबूती से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। ऐसे में उनपर अपनी सीट बचाने के साथ – साथ राज्य में बीजेपी की सरकार बचाने की भी चुनौती होगी।

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत नहीं चाहेंगे की उनका भी हश्र पूर्व मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर की तरह हो। दरअसल 2014 में केंद्र में रक्षा मंत्री बनने के बाद मनोहर पर्रिकर की जगह लक्ष्मीकांत पारसेकर को गोवा का मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। मुख्यमंत्री पारसेकर अपनी सीट भी नहीं बचा पाए औऱ कांग्रेस उम्मीदवार दयानंद सोपते के हाथों पराजित हुए। हालांकि बाद में सोपते कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए और इसबार वो बीजेपी के टिकट पर मंडरेम से चुनाव मैदान में है। जिसे लक्ष्मीकांत पारसेकर अपना गढ़ मानते हैं। नाराज पारसेकर ने बीजेपी छोड़ मंडेरम से निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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