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Goa Election 2022: छोटे दल बिगाड़ सकते हैं भाजपा और कांग्रेस का खेल, अधिकांश उम्मीदवार नए और लोकप्रिय चेहरे
Goa Election 2022: गोवा की मैराथन दौड़ में कांग्रेस और भाजपा के टॉप नेताओं के अलावा तृणमूल, एमजीपी और आप ने भी अपने शीर्ष नेताओं के नेतृत्व में मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
Goa Election 2022: गोवा विधानसभा के लिए 14 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों खेमों के अधिकांश शीर्ष नेताओं को स्पष्ट बहुमत मिलने का भरोसा है, लेकिन कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 40 सीटों वाली गोवा विधानसभा में कोई भी दल आधे रास्ते को पार नहीं कर पाएगा।
दरअसल, गोवा की मैराथन दौड़ में कांग्रेस और भाजपा के टॉप नेताओं के अलावा तृणमूल, एमजीपी और आप ने भी अपने शीर्ष नेताओं के नेतृत्व में मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। आम आदमी पार्टी, तृणमूल, कांग्रेस, एमजीपी और भाजपा इस बार गोवा में प्रमुख खिलाड़ी हैं और सभी ने उम्मीदवारों की छवि और लोकप्रियता पर जोर दिया है। यही कारण है कि मैदान में अधिकांश उम्मीदवार नए और लोकप्रिय चेहरे हैं।
बंटेंगे वोट
विश्लेषकों का कहना है कि कई छोटी पार्टियों के मैदान में होने से कांग्रेस और भाजपा के वोट बुरी तरह बंट सकते हैं। स्थानीय पार्टियों की सत्ताकांक्षा खंडित जनादेश की आशा और खुद के वजूद को बचाने के प्रयासों पर टिकी हैं।
राजनीतिक दृष्टि से गोवा क्षेत्रीय स्थानीय पार्टियों का स्वर्ग रहा है। राज्य में क्षेत्रीय पार्टियों का बनना-बिगड़ना आम बात है। अभी भी इस राज्य में 2 राष्ट्रीय पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के अलावा 4 छोटी राष्ट्रीय पार्टियां, 8 क्षेत्रीय पार्टियां चुनाव मैदान में हैं। 14 पार्टियां ऐसी हैं, जो अब भंग भी हो चुकी है।
वैसे गोवा में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत कम ही मिला है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस 17 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। जबकि भाजपा ने 13 सीटें जीतकर क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली और कांग्रेस देखती ही रह गई।
चूंकि गोवा का मतदाता क्षेत्रीय पार्टियों को भी जिताता रहा है, इसीलिए तृणमूल कांग्रेस और आप गोवा में राष्ट्रीय स्तर पर अपना भविष्य देख रहे हैं। दोनों की तमन्ना अखिल भारतीय पार्टी बनने की है। गोवा इस राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा की प्रयोगस्थली है।
इस बार भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्र द्वारा गोवा के लिए स्वीकृत परियोजनाओं को भुनाने का प्रयास किया है। कांग्रेस नेताओं ने गोवा में खनन फिर से शुरू करने में सरकार की विफलता और बढ़ती बेरोजगारी प्रमुख चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ दल को निशाना बनाया है।