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Goa Liberation Day: गोवा की आज़ादी और राम मनोहर लोहिया

Goa Liberation Day: इसकी शुरुआत 1946 में हुई थी जब लोहिया अपने मित्र डॉ जूलियाओ मेनेज़ेस के निमंत्रण पर गोवा गए थे।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Monika
Published on: 19 Dec 2021 10:01 AM IST (Updated on: 19 Dec 2021 10:07 AM IST)
Ram Manohar Lohia
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राम मनोहर लोहिया (फोटो : सोशल मीडिया )

Goa Liberation Day: गोवा की आज़ादी में डॉ राम मनोहर लोहिया (Dr. Ram Manohar Lohia) का बहुत बड़ा योगदान माना जाता है। गोवा मुक्ति दिवस (Goa Liberation Day) पर लोहिया का स्मरण जरूरी है।

इसकी शुरुआत 1946 में हुई थी जब लोहिया अपने मित्र डॉ जूलियाओ मेनेज़ेस (Dr. Juliao Menezes) के निमंत्रण पर गोवा (Goa) गए थे। वहां उन्हें पता चला कि पुर्तगालियों (Portuguese) ने किसी भी तरह की सार्वजनिक सभा पर रोक (banned public gatherings) लगा रखी है। गोवा में लोगों के किसी भी तरह के नागरिक अधिकार नहीं (no civil rights) थे। लोहिया ने 200 लोगों को जमा करके एक बैठक की, जिसमें तय किया गया कि नागरिक अधिकारों के लिए आंदोलन (andolan) छेड़ा जाए। 18 जून 1946 को लोहिया ने पुर्तगाली प्रतिबंध को पहली बार चुनौती दी। तेज़ बारिश के बावजूद उन्होंने पहली बार एक जनसभा को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने पुर्तगाली दमन के विरोध में आवाज़ उठाई। उन्हें गिरफ़्तार (Ram Manohar Lohia Arrested) कर लिया गया और मड़गांव की जेल में रखा गया। महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने 'हरिजन' में लेख लिखकर पुर्तगाली सरकार के दमन की कड़ी आलोचना की और लोहिया की गिरफ़्तारी पर सख़्त बयान दिया, जिसके बाद पुर्तगालियों ने माहौल गर्माता देखकर लोहिया को गोवा की सीमा से बाहर ले जाकर छोड़ दिया। रिहाई के बाद लोहिया के गोवा में प्रवेश पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया गया, लेकिन वे अपना काम कर चुके थे। पुर्तगाली दमन से परेशान गोवा के हिंदुओं और कैथोलिक ईसाइयों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरणा ली और ख़ुद को संगठित करना शुरू किया।

पुर्तगालियों को हटाने के काम में क्रांतिकारी दल सक्रिय

गोवा से पुर्तगालियों को हटाने के काम में एक क्रांतिकारी दल सक्रिय था, उसका नाम था- आज़ाद गोमांतक दल। विश्वनाथ लवांडे, नारायण हरि नाईक, दत्तात्रेय देशपांडे और प्रभाकर सिनारी ने इसकी स्थापना की थी। इनमें से कई लोगों को पुर्तगालियों ने गिरफ़्तार करके लंबी सज़ा सुनाई और इनमें से कुछ लोगों को तो अफ़्रीकी देश अंगोला की जेल में रखा गया। विश्वनाथ लवांडे और प्रभाकर सिनारी जेल से भागने में कामयाब रहे और लंबे समय तक क्रांतिकारी आंदोलन चलाते रहे।

गोवा विमोचन सहायक समिति बनी

1954 में लोहिया की प्रेरणा से गोवा विमोचन सहायक समिति बनी, जिसने सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा के आधार पर आंदोलन चलाया। महाराष्ट्र और गुजरात में आचार्य नरेंद्र देव की प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के सदस्यों ने भी उनका भरपूर साथ दिया। लोहिया के कई युवा समाजवादी शिष्य गोवा की आज़ादी के आंदोलन में कूद पड़े जिनमें मधु लिमये का नाम प्रमुख है जिन्होंने गोवा की आज़ादी के लिए 1955 से 1957 के बीच दो साल गोवा की पुर्तगाली जेल में बिताए।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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