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Godhra Train Burning Case: गोधरा आरोपियों की जमानत पर गुजरात सरकार का नरम रुख नहीं, सुप्रीम कोर्ट कर रही थी विचार
Godhra Train Burning Case: दूसरे चरण के मतदान से ऐन पहले गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट चर्चित गोधरा कांड के आरोपियों की जमानत का सख्त विरोध किया है।
Godhra Train Burning Case: गुजरात में विधानसभा चुनाव (assembly elections gujarat) के लिए प्रथम चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। दूसरे और अंतिम चरण का मतदान पांच दिसंबर यानी सोमवार को होना है। दूसरे चरण के मतदान से ऐन पहले गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट चर्चित गोधरा कांड के आरोपियों की जमानत का सख्त विरोध किया है। शुक्रवार को 2002 के गोधरा कांड के आरोपियों के जमानत मामले में शीर्ष अदालत में सुनवाई हो रही थी। जिसमें अदालत के कहने के बावजूद सरकार ने आरोपियों के विरूद्ध नरम रूख अपनाने से साफ इनकार कर दिया।
राज्य सरकार (Gujarat government) ने कोर्ट में कहा कि 2002 के गोधरा कांड के कारण पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। जिसमें कई लोगों की जानें गईं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि आरोपियों ने जानबूझकर ट्रेन के उस डिब्बे में आग लगाई, जिसमें हिंदू तीर्थयात्री सवार थे। इस घटना में 59 तीर्थयात्रियों की जलकर मौत हो गई थी, जिनमें पुरूषों के अलावा महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
अदालत के रूख के विरोध में सरकार का तर्क
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि दोषी 17-18 साल से जेल में बंद हैं। कोर्ट पत्थर फेंकने के इन दोषियों को जमानत देने पर विचार कर सकता है। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह मजह पत्थरबाजी का केस नहीं है। आरोपियों ने जानबूझकर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 बोगी में आग लगाई थी। वहीं, जब यात्रियों ने बोगी से निकलकर भागने की कोशिश की तो आरोपियों ने उनपर पत्थर बरसाए।
आरोपियों ने उन्हें अपनी जान बचाने तक का मौका नहीं दिया। इनकी मंशा यह थी कि न कोई बोगी से बाहर निकल पाए और न कोई बचाने के लिए बोगी के अंदर प्रवेश कर पाए। सीजी मेहता ने कोर्ट से आरोपियों की सभी अपील रद्द करने का आग्रह किया। हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार हर दोषियों की भूमिका की जांच करेगी और यह समझने की कोशिश करेगी कि क्या कुछ लोगों को जमानत पर छोड़ा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एसजी को इसकी इजाजत देते हुए 15 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है। 2002 गोधरा केस में 31 लोग आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। इन दोषियों की अपील सुप्रीम कोर्ट में 2018 से ही लंबित है।
8 बच्चे भी जिंदा जले थे
27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन (Godhra Station) के पास साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एक कोच को आग के हवाले कर दिया गया था। बोगी में आग लगने के कारण 59 हिंदू तीर्थयात्री जिंदा जलकर मर गए थे। जिसमें 29 पुरूष, 22 महिलाएं और 8 बच्चे भी शामिल थे। गुजरात हाईकोर्ट ने साल 2017 में इस मामले में 11 लोगों की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। इसके साथ ही 20 अन्य लोगों की उम्रकैद की सजा जारी रखते हुए 63 अन्य लोगों को केस से बरी कर दिया था।