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Gujarat AAP CM Candidate: गुजरात में केजरीवाल का बड़ा सियासी दांव, गढ़वी के जरिए OBC वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश

Gujarat AAP CM Candidate: गुजरात के विधानसभा चुनाव में 52 फीसदी मतदाताओं के साथ ओबीसी वर्ग की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है और गढ़वी का ताल्लुक ओबीसी वर्ग से ही है।

Anshuman Tiwari
Published on: 4 Nov 2022 4:54 PM IST
Gujarat AAP CM Candidate Isudan Gadhvi
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Gujarat AAP CM Candidate Isudan Gadhvi (Image: Social Media)

Gujarat AAP CM Candidate: आम आदमी पार्टी (AAP) पंजाब का प्रयोग गुजरात में भी दोहराने जा रही है। पंजाब की तर्ज पर गुजरात में भी आप ने सीएम चेहरे को लेकर अपने पत्ते खोल दिए हैं। पंजाब में भगवंत मान लोगों की पसंद बनकर उभरे थे, तो गुजरात में लोकप्रिय पत्रकार रहे इसुदान गढ़वी लोगों की पसंद के आधार पर सीएम पद का चेहरा बनने में कामयाब हुए हैं। गढ़वी को सीएम पद का चेहरा घोषित करके आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बड़ा सियासी दांव चल दिया है।

गुजरात के विधानसभा चुनाव में 52 फीसदी मतदाताओं के साथ ओबीसी वर्ग की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है और गढ़वी का ताल्लुक ओबीसी वर्ग से ही है। सियासी जानकारों का मानना है कि गढ़वी को सीएम फेस बनाकर केजरीवाल ने गुजरात में ओबीसी समीकरण साधने की कोशिश की है। पाटीदार समुदाय के दो प्रमुख चेहरों को उन्होंने हाल में ही आप में शामिल किया था। ऐसे में यदि आप ओबीसी और पाटीदार समुदाय के वोट बैंक में सेंधमारी में कामयाब रही तो आप को बड़ी सफलता हासिल हो सकती है।

गढ़वी का कॅरियर

द्वारका जिले के पिपलिया में जन्मे गढ़वी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई खंभालिया में की है। कॉमर्स में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने गुजरात विद्यापीठ से पत्रकारिता का कोर्स किया है। पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दूरदर्शन में काम शुरू किया। बाद में वे पोरबंदर के एक स्थानीय टीवी चैनल से जुड़ गए। पत्रकारिता के क्षेत्र में गढ़वी को 2015 में उस समय एक बड़ी उछाल मिली जब उन्होंने एक प्रमुख गुजराती चैनल वीटीवी में एडिटर के रूप में काम शुरू किया।

एडिटर की जिम्मेदारी संभालने के वक्त गढ़वी की उम्र महज 32 साल थी। बाद में उन्होंने महामंथन नाम से एक शो की शुरुआत की जिसके जरिए उन्हें काफी लोकप्रियता हासिल हुई। इस शो में गढ़वी आम लोगों से जुड़ी समस्याओं के अलावा किसानों से जुड़े मुद्दे भी उठाते थे। इस कारण उनका यह शो लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया।

महामंथन शो को मिली लोकप्रियता

केजरीवाल के ऐलान के पहले से ही गढ़वी को सीएम पद का सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था। इसका कारण टीवी पत्रकार के रूप में गढ़वी की लोकप्रियता और साफ-सुथरी छवि रही है। गढ़वी को गुजरात का लोकप्रिय एंकर माना जाता रहा है और रात आठ से नौ बजे के बीच प्रसारित होने वाला उनका कार्यक्रम महामंथन काफी लोकप्रिय रहा है। बाद में लोगों की मांग पर इसका समय बढ़ाकर रात साढ़े नौ बजे तक किया गया था।

सियासी मैदान में कूदने का कारण

40 वर्षीय गढ़वी जनता को न्याय दिलाने का दावा जोर-शोर से करते रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में पीक पर रहने के दौरान पिछले साल जुलाई महीने में एंकर का काम छोड़कर आप की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। आप की सदस्यता ग्रहण करने के बाद गढ़वी का कहना था कि पत्रकार के रूप में आप केवल लोगों के मुद्दे उठा सकते हैं मगर किसी पत्रकार के पास निर्णय लेने की कोई चिंता नहीं होती।

उनका कहना था कि मैंने सियासत में आने का फैसला इसलिए किया ताकि जनता से जुड़े मुद्दों का समाधान किया जा सके।गढ़वी को काफी समझ बूझ वाला पत्रकार माना जाता रहा है और विभिन्न मुद्दों पर वे अपनी बेबाक राय लोगों के बीच में रखते रहे हैं।

जेल की हवा भी खा चुके हैं गढ़वी

वैसे इस साल भाजपा दफ्तर पर प्रदर्शन के दौरान गढ़वी पर भाजपा की महिला कार्यकर्ताओं के साथ छेड़खानी और शराब पीने का आरोप भी लगा था। इस मामले में उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी थी। एफएसएल रिपोर्ट में शराब पीने की पुष्टि भी हुई थी। हालांकि गढ़वी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल पर रिपोर्ट बदलवाने का आरोप लगाया था

केजरीवाल का बड़ा सियासी दांव

गढ़वी के पक्ष में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि वे ओबीसी वर्ग से जुड़े हुए हैं। गुजरात के विधानसभा चुनाव में ओबीसी वर्ग निर्णायक भूमिका में है क्योंकि इस वर्ग से जुड़े हुए मतदाताओं की संख्या करीब 52 फ़ीसदी है। गुजरात में ओबीसी वर्ग में 146 जातियां शामिल हैं। गुजरात में ओबीसी वर्ग की बड़ी ताकत को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों की ओर से इस वर्ग को लुभाने की कोशिश की जा रही है। अब केजरीवाल ने इसी वर्ग से जुड़े हुए गढ़वी को सीएम चेहरा बनाकर बड़ा सियासी दांव चल दिया है।

आप के लिए फायदेमंद हो सकते हैं गढ़वी

गुजरात में पाटीदार समुदाय से जुड़े मतदाताओं की संख्या करीब 16 फ़ीसदी है। केजरीवाल ने पिछले दिनों पाटीदार आंदोलन के प्रमुख चेहरे रहे अल्पेश कथेरिया और धार्मिक मालवीय को तोड़कर भाजपा को करारा जवाब देने की कोशिश की है। सियासी जानकारों का मानना है कि यदि आम आदमी पार्टी ओबीसी और पाटीदार समुदाय में सेंधमारी करने में कामयाब रही तो पार्टी भाजपा और कांग्रेस को बड़ा झटका दे सकती है। केजरीवाल गुजरात में जातीय समीकरण साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं और गढ़वी इस मामले में केजरीवाल के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं।



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Rakesh Mishra

Rakesh Mishra

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