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Gujarat Assembly Election 2022: ओवैसी की एंट्री ने बढ़ाई इन दो दलों की चिंता, आखिर किसको होगा फायदा
Gujarat Election 2022: AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) गुजरात विधानसभा चुनाव में 30 से अधिक मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने वाले हैं जिससे अन्य दलों की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।
Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात के विधानसभा चुनाव में इस बार दिलचस्प नजारा दिख रहा है। राज्यों के विधानसभा चुनाव में अभी तक भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच ही मुख्य मुकाबला होता रहा है मगर इस बार आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की एंट्री ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। कांग्रेस और आप की ओर से तमाम वादों के जरिए मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश की जा रही है। इस बीच AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) भी गुजरात के चुनावी अखाड़े में कूद पड़े हैं।
गुजरात चुनाव में ओवैसी के एंट्री से मुस्लिम वोटों की जंग और तीखी हो गई है। राज्य की 117 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 10 फ़ीसदी से अधिक है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का रुख काफी महत्वपूर्ण हो गया है। ओवैसी राज्य की 30 मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में जुटे हुए हैं। अब सियासी जानकार इस बात का आकलन करने में जुटे हुए हैं कि ओवैसी की एंट्री से किसे फायदा होगा और किसे नुकसान। वैसे ओवेसी के गुजरात के सियासी रण में कूदने के कदम ने कांग्रेस और आप की चिंता जरूर बढ़ा दी है।
इस बार के चुनाव में कड़ी सियासी जंग
गुजरात की सत्ता पर पिछले 27 वर्षों से भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने इस बार भी सत्ता में बने रहने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। वैसे पार्टी को कांग्रेस और आप की ओर से कड़ी चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस नेताओं के साथ ही आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल भी लगातार गुजरात का दौरा करने में जुटे हुए हैं। उनकी ओर से गुजरात की जनता से बड़े-बड़े चुनावी वादे भी किए जा रहे हैं।
गुजरात में 1 और 5 दिसंबर को होने वाले मतदान में 4.9 करोड़ मतदाता प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे। चुनावी जीत हासिल करने के लिए सभी दलों की ओर से समीकरण साधने की कोशिश की जा रही है। राज्य में कड़ी सियासी जंग को देखते हुए नौ फीसदी मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण हो गई है। कांग्रेस और आप के साथ ओवैसी ने भी इन मुस्लिम मतदाताओं पर नजरें गड़ा रखी हैं।
इस बार कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं
वैसे यदि गुजरात के पूर्व के चुनावों को देखा जाए तो मुस्लिम मतों का अधिकांश हिस्सा अभी तक कांग्रेस के पक्ष में जाता हुआ दिखा है मगर इस बार कांग्रेस के लिए राह बहुत आसान नहीं मानी जा रही है। कांग्रेस पहले ही चुनावी तैयारियों में कमी,चुनाव प्रचार में तेजी का अभाव और संगठनात्मक ढांचे की कमजोरी से जूझ रही है। इस बीच आप और ओवैसी की गुजरात के सियासी रण में एंट्री ने राज्य के समीकरण बदल दिए हैं।
आप राज्य की सभी 182 विधानसभा सीटों पर चुनाव मैदान में उतर रही है। दिल्ली में आप को मुस्लिम मतदाताओं का व्यापक समर्थन हासिल होता रहा है। ऐसे में मुस्लिम मतों में आप की सेंधमारी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
ओवैसी की इन सीटों पर निगाहें
दूसरी ओर असदुद्दीन ओवैसी ने राज्य की मुस्लिम बहुल 30 विधानसभा सीटों पर नजरें गड़ा रखी हैं। ओवैसी पहले भी देश के कई अन्य राज्यों में मुस्लिम मतों में बंटवारा करते रहे हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि वे गुजरात में भी मुस्लिम मतों के बंटवारे में कामयाब हो सकते हैं। अगर उनके उम्मीदवार जीतने में कामयाब नहीं हुए तो भी वे कांग्रेस और आप को मुस्लिम मतों के बंटवारे के जरिए जबर्दस्त चोट पहुंचा सकते हैं।
ध्रुवीकरण का दिखता रहा है असर
गुजरात की 117 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतों की हिस्सेदारी 10 फ़ीसदी से ज्यादा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इनमें से 50 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस की जीत में मुस्लिम मतों का भी बड़ा योगदान माना जाता है। हालांकि भाजपा 62 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी मगर भाजपा की जीत में ध्रुवीकरण को बड़ा कारण माना जाता है।
राज्य की 53 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर मुस्लिम मतों की संख्या करीब 20 फ़ीसदी तक है। 2017 में इनमें से 22 पर कांग्रेस और 31 पर भाजपा को जीत मिली थी। करीब 12 सीटें ऐसी हैं जिन पर मुस्लिम मतों की संख्या 20 फ़ीसदी से भी ज्यादा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में इनमें से 5 सीटों पर कांग्रेस और 6 सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई थी।
भाजपा को होगा बड़ा फायदा
गुजरात के चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का बड़ा असर दिखता रहा है। पूर्व के चुनावों से स्पष्ट है कि मुस्लिम मतदाताओं के कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने से प्रतिक्रिया में हिंदू मतदाताओं का समर्थन भाजपा हासिल करती रही है। ऐसे में ओवैसी की एंट्री से मुस्लिम मतों के बंटवारे से कांग्रेस को सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है। आप ने भी गुजरात के चुनाव में मुस्लिम मतों पर नजरें गड़ा रखी हैं मगर ओवैसी के आने से आप को भी नुकसान होगा।
दूसरी ओर मुस्लिम बातों के इस बंटवारे का सीधा फायदा भाजपा को ही मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का गृह राज्य होने के कारण गुजरात चुनाव के नतीजे से बड़ा सियासी संदेश निकलेगा। यही कारण है कि भाजपा ने चुनाव की घोषणा से काफी पहले से ही राज्य के चुनाव में पूरी ताकत झोंक रखी है।