TRENDING TAGS :
Gujarat Assembly Election 2022: हिमाचल के बाद गुजरात में भी OPS पर घिरी भाजपा, कांग्रेस और आप का बड़ा सियासी दांव
Gujarat Assembly Election 2022:नई पेंशन योजना को लेकर सरकारी कर्मचारियों में नाराजगी दिख रही है और दोनों दल चुनाव में इस नाराजगी को भुलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
Gujarat Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश के बाद गुजरात में भी भाजपा पुरानी पेंशन योजना (OPS) पर घिरती हुई नजर आ रही है। हिमाचल प्रदेश की तरह गुजरात के विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा काफी गरमा गया है। गुजरात में कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी ने भी राज्य की सत्ता हासिल होने पर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का वादा करके भाजपा की मुसीबत बढ़ा दी है। नई पेंशन योजना को लेकर सरकारी कर्मचारियों में नाराजगी दिख रही है और दोनों दल चुनाव में इस नाराजगी को भुलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
गुजरात में करीब सात लाख सरकारी कर्मचारी राज्य सरकार पर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का दबाव बना रहे हैं। इन सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन योजना के जरिए उन्हें ठगने का प्रयास किया गया है। विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए यह मुद्दा भारी पड़ता दिख रहा है। कांग्रेस और आप दोनों दलों के नेताओं की ओर से चुनावी सभाओं में इस मुद्दे को आक्रामक ढंग से उठाया जा रहा है।
चुनाव के मौके पर गरमाया मुद्दा
गुजरात में पुरानी पेंशन योजना की बहाली का मुद्दा नया नहीं है,लेकिन चुनाव के मौके पर यह मुद्दा गरमा जरूर गया है। सरकारी कर्मचारी काफी दिनों से इसे जोर-शोर से उठाते रहे हैं। इसे लेकर सरकारी कर्मचारियों के विभिन्न संघों की ओर से जोरदार आंदोलन भी किया जाता रहा है। गुजरात सरकार की ओर से अप्रैल 2005 के बाद नौकरी शुरू करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए नई अंशदायी पेंशन योजना शुरू की गई है मगर सरकारी कर्मचारी से संतुष्ट नहीं हैं।
कर्मचारियों के जोरदार विरोध के बाद बैकफुट पर आई गुजरात सरकार ने ऐलान किया था कि यह योजना उन कर्मचारियों पर लागू नहीं होगी जिन्होंने अप्रैल 2005 के पहले सरकारी नौकरी शुरू की थी। कर्मचारियों के दबाव के वजह से ही एनपीएस में राज्य सरकार की ओर से किया जाने वाला योगदान भी बढ़ाया गया था। राज्य सरकार ने 1 अप्रैल 2019 से कर्मचारियों के वेतन और डीए के 10 फीसदी योगदान के मुकाबले 14 फ़ीसदी योगदान का फैसला किया है। पहले से राज्य सरकार की ओर से 10 फ़ीसदी योगदान ही किया जाता था।
सरकार के कदमों से कर्मचारी संतुष्ट नहीं
गुजरात सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बावजूद राज्य कर्मचारी संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि नई पेंशन योजना रिटायर होने वाले कर्मचारियों के लिए लाभप्रद नहीं है। वे अभी भी पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग पर अड़े हुए हैं। सरकारी कर्मचारियों के आंदोलन में राज्य के प्राथमिक शिक्षक भी शामिल है।
राज्य के कर्मचारी संघों का कहना है कि पुरानी पेंशन योजना की बहाली का मुद्दा अभी तक सुलझाया नहीं गया है। सरकार इस मामले में समिति का गठन करके टालमटोल करने की कोशिश में जुटी हुई है। हालत यह है कि अभी तक एनपीएस फंड में सरकार का योगदान बढ़ाने की अधिसूचना तक जारी नहीं की गई। सरकारी कर्मचारियों ने सरकार के इस रुख पर नाराजगी जताई है।
कांग्रेस और आप का बड़ा सियासी दांव
ऐसे में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने बड़ा सियासी दांव खेलते हुए भाजपा की मुसीबत बढ़ा दी है। दोनों दलों का कहना है कि राज्य की सत्ता हासिल होने पर सरकारी कर्मचारियों की मांग पूरी करते हुए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाएगा। कांग्रेस नेताओं की ओर से राजस्थान और छत्तीसगढ़ का उदाहरण दिया जा रहा है जहां पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया गया है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के नेता पंजाब की नजीर दे रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब का उदाहरण देकर भाजपा को घेरने का प्रयास किया है।
दोनों दल भुनाने की कोशिश में जुटे
कांग्रेस की ओर से पुरानी पेंशन योजना की बहाली के मुद्दे को घोषणा पत्र में शामिल किया गया है। गुजरात चुनाव में कांग्रेस के प्रभारी बनाए गए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि यह कहना गलत है कि पुरानी पेंशन योजना से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ेगा। प्रदेश सरकार वित्तीय प्रबंधन के जरिए इसे संभाल सकती है। आप के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी नई पेंशन योजना को सरकारी कर्मचारियों के साथ धोखा बताया है।
उन्होंने गुजरात ही नहीं बल्कि पूरे देश में पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग की है। सियासी जानकारों के मुताबिक कांग्रेस और आप के इस रुख ने भाजपा की मुसीबत बढ़ा दी है। आने वाले दिनों में कांग्रेस और आप की ओर से इस मुद्दे को और गरमाने के आसार हैं।