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Gujarat Assembly Election 2022: चौरासी सीट पर होगा दिलचस्प मुकाबला
Gujarat Assembly Election 2022: झनखाना पटेल के पक्ष में सारे समीकरण होते हुए भी उनका टिकट काटा गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में झंखाना पटेल ने 1 लाख 10 हजार की भारी बढ़त के साथ जीत हासिल की थी। उनकी छवि भी निर्विवाद है।
Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा द्वारा घोषित उम्मीदवारों में से सबसे अधिक विवादास्पद चयन चौरासी सीट का बताया जा रहा है। इस सीट से भाजपा ने मौजूदा विधायक झंखाना पटेल का टिकट काट दिया है और संदीप देसाई को टिकट दिया है। हैरानी की बात ये है कि 47 साल के इतिहास में पहली बार इस सीट से कोली पटेल समुदाय का टिकट काटा गया है और पहली बार 'अनाविल' को टिकट दिया गया है। अनाविल ब्राह्मण संख्यात्मक रूप से कम होने के बावजूद, दक्षिण गुजरात के सूरत और बुलसर जिलों में विशेष रूप से प्रभावी हैं, जहां वे महत्वपूर्ण भू-स्वामी रहे हैं और राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं।
चौरासी सीट का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है। इस सीट से पूर्व मंत्री नरोत्तम पटेल 1995 से 2012 तक विधायक चुने गए थे। उसके बाद कोली पटेल समुदाय के एक मजबूत नेता राजा पटेल ने 2012 में इस सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था। उनकी मृत्यु के बाद उनकी बेटी झंखाना पटेल को उपचुनाव में टिकट दिया गया और वह जीत गईं। 2017 में भी इस सीट से झंखाना पटेल जीती थीं, लेकिन 2022 में उनका टिकट कट गया है।
प्रबल दावेदार होने के बावजूद टिकट नहीं मिला
झनखाना पटेल के पक्ष में सारे समीकरण होते हुए भी उनका टिकट काटा गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में झंखाना पटेल ने 1 लाख 10 हजार की भारी बढ़त के साथ जीत हासिल की थी। उनकी छवि भी निर्विवाद है। जातिगत समीकरण भी झनखाना पटेल के पक्ष में हैं। इस सीट पर 1.50 लाख कोली पटेल और प्रांतीय वोटर हैं। कांथा क्षेत्र के कोली पटेलों के साथ, उत्तर भारतीय मतदाता प्रांतीय मतदाताओं में सबसे बड़े हैं। उसके बाद मराठी समेत विभिन्न समुदायों के लोगों की आबादी है। यह विधानसभा सीट नवसारी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। यहाँ के सांसद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल हैं और उनसे इस बारे में भी पूछा गया था।
सूरत जिले में भाजपा ने मांडवी, चौरासी और कामरेज सीटों को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर रिपीट फॉर्मूला अपनाया, लेकिन चौरासी सीट पर मौजूदा विधायक झंखाना पटेल का टिकट काटकर संदीप देसाई को दे दिया गया। संदीप देसाई को टिकट दिए जाने को लेकर भी विरोध हो रहा है। "एक चले झंखनाबेन ही चले" के नारे भी चल रहे हैं। बता दें कि झंखाना पटेल के पिता राजा पटेल कोली पटेल समाज में एक प्रमुख व्यक्ति थे।
संदीप देसाई अनाविल ब्राह्मण हैं, लेकिन इस सीट पर केवल 5000 अनाविल मतदाता हैं। इसके अलावा सभी वोटर कोली पटेल और बाहरी हैं। संदीप देसाई भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के काफी करीबी माने जाते हैं। संदीप देसाई को सूरत जिला भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने के बाद, उन्होंने कई बार पार्टी के लिए विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन वे जातिगत समीकरण के अनुसार किसी भी सीट पर फिट नहीं हो सके। सूरत जिले की 16 सीटों में से 10 सीटें मूल रूप से सूरत की हैं। जिले की शेष छह सीटों में से चार सीटें आरक्षित श्रेणी में आती हैं। जबकि ओलपद और चौरासी सीटें बची थीं। चूँकि भाजपा ने मुकेश पटेल को ओलपद से स्थानीय नेता के तौर पर तरजीह दी इससे केवल चौरासी सीट ही बची थी।
झांखाना पटेल का टिकट काटने के पीछे का कारण संसदीय बोर्ड में पेश किया गया कि ओलपद सीट पर कोली पटेल उम्मीदवार को टिकट दिया गया है और साथ ही नवसारी लोकसभा सीट में से एक से कोली पटेल समाज को टिकट दिया गया है इसलिए अब कोली पटेल समाज की जगह चौरासी सीट पर किसी और को टिकट दिया जाए।