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Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात में कौन बनेगा किंगमेकर?

Gujarat Assembly Election 2022: 2017 में कांग्रेस पिछले चुनावों की तुलना में अधिक मजबूत रही लेकिन इसके बावजूद भी भाजपा गुजरात में स्पष्ट रूप से सरकार बनाने में कामयाब रही थी

Pratyaksh Mishra
Published on: 5 Nov 2022 5:51 PM IST
Gujarat Assembly Election 2022 who make government
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Gujarat Assembly Election 2022 who make government (Social Media)

Gujarat Assembly Election 2022: दिसंबर 2022 में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव की तैयारियां पूरी होने जा रही हैं। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है। गुजरात हमेशा से भाजपा का गढ़ रहा है, यह पीएम मोदी का गृह राज्य भी है और बीजेपी पिछले 27 वर्षों से वहां सत्ता में है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पीएम मोदी 2014 में अपने 'गुजरात मॉडल' को केन्द्र में रखकर ही गुजरात से दिल्ली पहुंचे थे। 2017 में कांग्रेस पिछले चुनावों की तुलना में अधिक मजबूत रही लेकिन इसके बावजूद भी भाजपा गुजरात में स्पष्ट रूप से सरकार बनाने में कामयाब रही थी।

2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने लंबे समय के बाद गुजरात में अच्छा प्रदर्शन किया। उसे जातिगत नेता के रूप में हार्दिक पटेल जैसे युवा नेता का खूब साथ मिला लेकिन अब पटेल भी भाजपा में जा चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस के पास अपने जनाधार को एकजुट करने के लिए कम विकल्प हैं। पिछले 27 साल से वहां शासन कर रही भाजपा और मोदी डर को वोट में बदलने का फॉर्मूला जानते हैं। भाजपा बखूबी जानती है और यह उसकी रणनीति का भी हिस्सा है कि, लोगों को आपको वोट देने का सबसे अच्छा तरीका यह है, उन्हें विश्वास दिलाया जाए कि दूसरों को वोट देना एक बड़ी भूल होगी और इसके भयानक परिणाम साबित हो सकते हैं। भाजपा को इसका लाभ मिलता रहा है। कांग्रेस जब भाजपा के इस दावे को मुसलमानों के साथ खेलना चाहती है तो वह बिखर जाती है।

अक्टूबर महीने की शुरुआत में ही केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दे चुकी है। इसके बावजूद कॉमन सिविल कोड, पुरानी पेंशन, बेरोजगारी कुछ ऐसे मुद्दे अवश्य हैं जिन्हें कांग्रेस इस बार मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है। केन्द्र सरकार इसके प्रभाव को भलीभांति जानती हैं। पेंशन कर्मचारियों की बात की जाए तो यह बहुत बड़ा वोटर वर्ग है। यह गुजरात सरकार के राजतिलक से लेकर घर वापसी तक का सफर तय कर सकता है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ का चुनाव याद कीजिए वहां पर कांग्रेस को इसका लाभ मिला। कांग्रेस, हिमाचल प्रदेश में 1 लाख लोगों को नौकरी देने और पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने का वादा कर चुकी है।

बीजेपी पिछले चुनाव के बाद से अपनी कमर कसने के लिए काम कर रही है, कांग्रेस ने अपना नेतृत्व नहीं बदला है और आम आदमी पार्टी अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है लेकिन लोग, आप को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि गुजरात व्यापारियों का राज्य है, वे ऐसा नेता नहीं चाहेंगे जो उनके व्यापारिक मामलों में बाधा डाले। आप, के पास मुफ्त बिजली, पानी, अच्छे स्कूल आदि का एजेंडा है। लोग ज्यादा टैक्स नहीं देना चाहते। इसलिए गुजरात में पिछले ढाई दशक की राजनीति पर गौर फरमाएं तो कहा जा सकता है, गुजरात का मतलब भाजपा और भाजपा का मतलब गुजरात।

2017 के चुनाव में भाजपा की पिछले साल के चुनावों (2012–115 सीटों) से लगभग 20 सीटें कम रही थीं। कांग्रेस ने अपनी सीटों में 15 की वृद्धि की। (2012-60) लेकिन दोनों पार्टियों का वोट शेयर बढ़ा है। बीजेपी- 49.1% (2017) 47.9% (2012) से, कांग्रेस-41% (2017) 38.9% (2012) से। भाजपा को पिछले चुनाव में हिमाचल के प्रदर्शन से लीड मिल गयी है। उसकी सत्तारूढ़ सूची में एक और राज्य जुड़ गया है। 5 चुनावी राज्यों में पंजाब के सिवा बाकी चार राज्यों में अपनी सत्ता बरकरार रखने से जाहिर होता है कि नोटबंदी और जीएसटी दोनों ही भाजपा सरकार के अच्छे सुधार हैं और जनता भाजपा से नाराज़ नहीं हैं, हालांकि इसकी चुभन जरूर है लेकिन चुनाव के दौरान यह महसूस नहीं होती। जैसा कि विपक्षी पार्टी के द्वारा इन मुद्दों को राष्ट्रीय बनाने की आजमाइश की गई वैसा कुछ नहीं दिखा न तो विधानसभा चुनावों में ही और ना ही लोकसभा चुनावों में।

कभी कांग्रेस का गढ़ रहा गुजरात कैसे भाजपा की जद में आ गया इसकी कहानी लम्बी है। बहरहाल नब्बे के दशक में भाजपा कांग्रेस की दलित-मुस्लिम और क्षत्रिय वोटरों की ताकत को पहचान चुकी थी। फिर चुनाव दर चुनाव कैसे भाजपा अपना परचम लहराती गई यह सबने देखा। इससे पहले गुजरात भाजपा के लिए एक आपदा थी और कांग्रेस ने अवसर को भांपते हुए लोगों को जाति और सांप्रदायिक आधार पर (कांग्रेस की पसंदीदा रणनीति) विभाजित करके संकट पैदा करने के लिए प्रॉक्सी को उकसाया। भाजपा पटेल समुदाय के वर्चस्व को भांप चुकी थी, इसका फ़ायदा भाजपा को 1995 के बाद से मिलना शुरू हुआ और लगातार 27 साल तक सत्ता में बनी रही।

2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक 4 महीने पहले जीएसटी लागू की गई। यह गुजरात के व्यापारियों के लिए एक विघटनकारी परिवर्तन था, व्यापारी वर्ग में बीजेपी के खिलाफ काफी गुस्सा था। भाजपा को भारी नुकसान होने वाला था क्योंकि विपक्ष में कांग्रेस ने 2015 से पाटीदार आन्दोलन करना शुरू कर दिया था और इसकी पटकथा लिखी युवा राजनेता हार्दिक पटेल ने। गुजरात का एक 22 वर्षीय युवक हार्दिक पटेल ने बड़े पैमाने पर पाटीदार आंदोलन का नेतृत्व किया। लोगों को लामबंद किया। कांग्रेस 2015 से अपनी पृष्ठभूमि का काम कर रही थी। पाटीदार आंदोलन और पुलिस फायरिंग की खराब हैंडलिंग, जिसके कारण कई युवाओं की मौत हो गई, ने अभियान को और तेज कर दिया जिसके कारण लोगों का भाजपा के खिलाफ गुस्सा बढ़ता गया। जिसके परिणामस्वरूप भाजपा को 99 विधानसभा सीट के साथ संतुष्ट होना पड़ा। प्रदेश में 2012 के बाद गुजरात सरकार द्वारा लिए गए कुछ असंगत निर्णय के कारण सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा। युवाओं की एक ऐसी पीढ़ी मौजूद थी जिसने अपने जीवन में भाजपा सरकार देखी वह उनसे तंग आ चुके थे वह बदलाव चाहते थे उनका मानना था कि भाजपा नेता अहंकारी हो गए थे क्योंकि उन्हें पता था कि वे (मोदी फैक्टर) जीतने जा रहे हैं। खुद का(सीएम चेहरे का) उनके पास काम गिनाने को नहीं है।

उधर जीएसटी के खिलाफ व्यापारी वर्ग का गुस्से पर काबू पाने के लिए भाजपा ने एक अभियान शुरू किया, इससे उसका चुनावी खर्च भी बढ़ा, लेकिन इसके अलावा भाजपा के पास कोई रास्ता नहीं था। चुनाव शुरू होने तक अमित शाह और मोदी की जोड़ी ने कैसे गुजरात की हार को अपने पाले में कर लिया यह सबने देखा। यह कुछ उसी तरह था जब बिहार में एनडीए ने 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ा तो चुनाव अभियान में विज्ञापन के लिए मुख्यमंत्री चेहरा नीतीश कुमार होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पोस्टर लगाए गए और निसंदेह पार्टी को मोदी फैक्टर का लाभ भी मिला।

दिल्ली और पंजाब में आप सरकार बनाने से पहले लंबे समय से अपना संगठन बना रही है। गुजरात में आप करीब एक साल से अपना संगठन बना रही है। वह निकाय चुनाव भी लड़ चुकी है और कुछ सीटों पर जीत भी हासिल करके मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर सामने आयी है। इस बार विधानसभा चुनाव के लिए केजरीवाल दौरे पर दौरा कर रहे हैं। दिसंबर 2022 में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों में, केजरीवाल जरूर कुछ सीटें हासिल कर सकते हैं लेकिन सरकार बनाना अभी उनके लिए मुमकिन नहीं है। आप ने निस्संदेह गुजरात के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए एक धमाकेदार और गंभीर प्रयास के साथ शुरुआत की है। चुनाव से 4-5 महीने पहले अपना प्रचार अभियान अच्छी तरह से शुरू कर दिया, और कांग्रेस से असंतुष्ट मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए प्रयास कर रही है। जैसा कि पंजाब 2022 में भारी जीतने के बाद आप ने कहा कि, आप, कांग्रेस के लिए स्वाभाविक और राष्ट्रीय विकल्प है। फिलहाल तो गुजरात का जनाधार भाजपा के पक्ष में जाता दिख रहा है।

(लेखक यूपी के अमरोहा स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं)

Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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