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Gujarat Election 2022: समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए बनेगी समिति, CM भूपेंद्र पटेल का फैसला
अगर, बीजेपी ऐसा करती है तो ये गुजरात चुनाव से पहले एक बड़ा सियासी दांव होगा। गौरतलब है कि, चुनाव आयोग जल्द ही गुजरात में विधानसभा चुनाव तारीखों की घोषणा कर सकता है।
Gujarat Election 2022 : गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल (Chief Minister Bhupendra Patel) ने राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला लिया है। आज यानी शनिवार (29 अक्टूबर 2022) को कैबिनेट की बैठक में सीएम भूपेंद्र पटेल ने ये फैसला लिया। समिति का गठन हाई कोर्ट के जस्टिस की अध्यक्षता में किया जाएगा।
गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी (Gujarat Home Minister Harsh Sanghavi) ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सीएम भूपेंद्र पटेल ने आज कैबिनेट बैठक में राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कमेटी बनाने का ऐतिहासिक फैसला लिया है।' समिति में शामिल किए जाने वाले लोगों के नामों की घोषणा होना बाकी है।
गुजरात में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर है। अगले कुछ दिनों में चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है। पिछले दो दशक से अधिक समय से राज्य की सत्ता पर कायम बीजेपी किसी भी सूरत में अपने इस मजबूत किले को गंवाना नहीं चाहती है। ऐसे में भगवा दल अपने कोर एजेंडे में शामिल यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के जरिए गुजरात की चुनावी वैतरणी को पार करने की योजना बना रही है। बीजेपी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य सरकार हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में एक कमेटी बनाएगी, जो समान नागरिक संहिता की संभावनाएं तलाशेगी।
उत्तराखंड के रास्ते पर गुजरात बीजेपी
देश में बीजेपी शासित गोवा ही एकमात्र राज्य है, जहां समान नागरिक संहिता लागू है। इस साल के शुरुआत में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से ऐन पहले बीजेपी ने राज्य में इसे लागू करने का ऐलान किया था। चुनाव में दोबारा जीत हासिल कर सत्ता में लौटी पुष्कर धामी सरकार ने मई में सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यों की कमेटी का गठन किया। इस समिति को छह माह के भीतर ड्राफ्ट तैयार करना था, जिसकी समय-सीमा अगले माह यानी नवंबर में पूरी होने वाली है। अब गुजरात भाजपा भी यही राह अख्तियार करती नजर आ रही है।
बीजेपी के कोर एजेंडे में है शामिल
समान नागरिक संहिता बीजेपी के प्रमुख चुनावी मुद्दों में शामिल रहा है। भाजपा ने इसे सबसे पहले साल 1989 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयार किए गए अपने घोषणापत्र में शामिल किया था। उसके बाद सत्तारूढ़ दल ने 2019 के आम चुनाव में भी ये बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में था। बीजेपी का मानना है कि जब तक समान नागरिक संहिता लागू नहीं होती, तब तक देश में लैंगिक समानता नहीं आ सकती है। बीजेपी अपने तीन प्रमुख चुनावी वादों में से दो राम जन्मभूमि पर राम मंदिर का निर्माण और जम्मू कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति को पूरा कर चुकी है। अब यूसीसी का मुद्दा शेष रह गया है।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड देश में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून की वकालत करता है, चाहे वो किसी भी धर्म, जाति, नस्ल अथवा लिंग के हों। ये कानून इनमें कोई भेदभाव नहीं करता। यदि यह लागू हो जाता है तो विवाह, तलाक, बच्चे गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों मे सभी नागरिकों पर एक जैसे कानून लागू होंगे। पिछले साल जुलाई 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले की सुनवाई करते हुए देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को जरूरी बताया था। बता दें कि अल्पसंख्यक वर्ग का एक तबका हमेशा से समान नागरिक संहिता के खिलाफ रहा है।