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गुजरात में कांग्रेस को बड़ा झटका लगना तय,पहेली बना हार्दिक का रवैया,असमंजस में फंसा नेतृत्व
Gujarat: हार्दिक पटेल पिछले कुछ दिनों से प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधते रहे हैं और इसके बहाने शीर्ष नेतृत्व को लेकर भी सवाल खड़े करते रहे हैं।
Gujarat: गुजरात में विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल का रवैया कांग्रेस के लिए अबूझ पहेली बन गया है। हार्दिक पटेल पिछले कुछ दिनों से प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधते रहे हैं और इसके बहाने शीर्ष नेतृत्व को लेकर भी सवाल खड़े करते रहे हैं। वे कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस से नाराज बताए जा रहे हैं और अब उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल का बायो बदलते हुए कांग्रेस शब्द भी हटा दिया है। हार्दिक के इस कदम के बाद उनके भावी सियासी कदम को लेकर कयासबाजी का दौर और तेज हो गया है।
गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं मगर हार्दिक का यह रवैया पार्टी की मुसीबतें बढ़ाने वाला साबित हो रहा है। भाजपा और आप ने चुनावी तैयारियों के लिए पूरी ताकत झोंक दी है जबकि कांग्रेस आंतरिक कलह और गुटबाजी को लेकर अपना घर सहेजने में ही जुटी हुई है।
माना जा रहा है कि पाटीदार समुदाय पर मजबूत पकड़ रखने वाले हार्दिक जल्द ही कांग्रेस को बड़ा झटका दे सकते हैं। हार्दिक की भाजपा के साथ नजदीकियां बढ़ने की बात भी सामने आई हैं और इसके बाद पार्टी का शीर्ष नेतृत्व हार्दिक को लेकर असमंजस में फंसा हुआ है।
हार्दिक ने दिया पार्टी छोड़ने का बड़ा संकेत
हार्दिक पटेल की ओर से सोमवार को उठाया गया कदम उनके पार्टी छोड़ने का बड़ा संकेत माना जा रहा है। उन्होंने ट्विटर से कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा और अपने पद का ब्योरा पूरी तरह हटा लिया है। प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ लगातार हमलावर रुख अपनाने वाले हार्दिक पटेल का यह कदम पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के लिए अल्टीमेटम माना जा रहा है।
हार्दिक ने कुछ दिनों पहले स्पष्ट तौर पर कहा था कि फिलहाल तो मैं कांग्रेस में ही हूं, लेकिन चीजों को और बिगड़ने से रोकने के लिए कांग्रेस हाईकमान को ठोस कदम उठाने होंगे ताकि मैं आगे भी कांग्रेस में ही बना रहूं।
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से अभी तक का हार्दिक की शिकायतों को दूर करने की कोई पहल ठोस पहल नहीं की गई है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी हार्दिक को लेकर असमंजस की स्थिति में फंसा हुआ है और उनके भावी कदम का इंतजार कर रहा है।
दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि हार्दिक अपनी शिकायतों के संबंध में कोई बातचीत नहीं करना चाहते। इसलिए मीडिया के जरिए पार्टी को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा के साथ बढ़ रहीं नज़दीकियां
हाल के दिनों में हार्दिक का यह रवैया पार्टी नेताओं के लिए अबूझ पहेली बना हुआ है। एक ओर वे प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधते हैं तो दूसरी ओर हाईकमान से कोई नाराजगी न होने की बात कहते हैं। एक ओर वे पार्टी में नए लोगों को काम करने का अवसर देने की मांग करते हैं तो दूसरी ओर भाजपा की विभिन्न मुद्दों पर तारीफ करना भी नहीं भूलते। राम मंदिर निर्माण के लिए भाजपा की तारीफ करने के साथ वे खुद को राम भक्त भी बता रहे हैं।
गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ उनका तेवर लगातार नरम बना हुआ है और उन्होंने अपने पिता की पहली पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में भाजपा के कई बड़े नेताओं को आमंत्रित भी किया था। हार्दिक की ओर से अपने ट्विटर हैंडल का बायो बदलने के बाद अब उनके भाजपा में शामिल होंगे के कयासों में और तेजी आई है। सियासी जानकारों का कहना है कि वे जल्द ही भाजपा का दामन थाम सकते हैं क्योंकि वे पाटीदार नेता नरेश पटेल को कांग्रेस में शामिल करने के साथ ही अन्य मुद्दों को लेकर कांग्रेस से काफी नाराज हैं।
नरेश पटेल का मामला अभी तक लटका
गुजरात की सत्ता पर लंबे समय से भाजपा का कब्जा है और इस बार भी पार्टी ने सत्ता पर कब्जा बनाए रखने के लिए चुनाव से पहले पूरी ताकत लगाने की तैयारी कर ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री में अमित शाह का गृह राज्य होने के कारण गुजरात में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है और पार्टी किसी भी सूरत में दोनों वरिष्ठ नेताओं की प्रतिष्ठा पर कोई आंच नहीं आने देना चाहती।
इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से भाजपा को टक्कर मिलने की संभावना जताई जा रही थी मगर अभी तक कांग्रेस अपना दुर्ग सहेजने में ही जुटी हुई है। खोडलधाम ट्रस्ट के मुखिया और पाटीदार समुदाय पर मजबूत पकड़ रखने वाले नरेश पटेल का मामला भी अभी तक नहीं सुलझ सका है।
कांग्रेस को लग सकता है चुनावी झटका
दूसरी ओर आम आदमी पार्टी खुद को भाजपा को चुनौती देने वाले दल के रूप में स्थापित करने में जुटी हुई है। आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल लगातार राज्य का दौरा करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस की राह लगातार मुश्किल होती जा रही है।
सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस की गुटबाजी पार्टी की चुनावी संभावनाओं के लिए महंगी पड़ सकती है मगर कांग्रेस का नेतृत्व अभी तक असमंजस में फंसा दिख रहा है।