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Gujarat Election 2022: गुजरात में पुरानी पेंशन योजना के मुद्दे पर घिरी BJP, कांग्रेस ने बढ़ाई मुसीबत

Gujarat Election 2022: गुजरात में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर राज्य कर्मचारी प्रदेश सरकार की घेरेबंदी में जुट गए हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Deepak Kumar
Published on: 10 May 2022 8:58 AM GMT
gujarat election 2022
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गुजरात में पुरानी पेंशन योजना के मुद्दे पर घिरी भाजपा। (Social Media)

Gujarat Election 2022: गुजरात में विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) नजदीक आने के साथ ही पुरानी पेंशन योजना (old pension scheme) की बहाली का मुद्दा एक बार फिर गूंजने लगा है। राज्य कर्मचारी इस मुद्दे को लेकर प्रदेश सरकार की घेरेबंदी में जुट गए हैं और उन्होंने चुनाव से पहले इस मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई लड़ने का मूड बना लिया है। कांग्रेस भी इस मुद्दे को लेकर खुलकर मैदान में उतर गई है। पार्टी ने राज्य कर्मचारियों से जुड़ी इस मांग का समर्थन किया है और पार्टी की ओर से सत्ता में आने पर इस योजना की बहाली की बात कही जा रही है।

गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में कांग्रेस का यह रुख भाजपा के गले की फांस बन गया है। भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस की काट खोजने की कोशिश में जुटी हुई है। पार्टी की ओर से राज्य कर्मचारियों की इस बड़ी मांग को पूरा करने का कोई वादा नहीं किया गया है। इस कारण राज्य कर्मचारियों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है।

आंदोलन की राह पर राज्य कर्मचारी

गुजरात में लंबे समय से भाजपा का ही राज है। राज्य कर्मचारियों का आरोप है कि भाजपा कर्मचारियों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के प्रति गंभीर नहीं है। राज्य कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना (State Employees Old Pension Scheme) की बहाली, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, निश्चित वेतन व्यवस्था को खत्म करने और अन्य मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। राज्य कर्मचारियों की ओर से इन मांगों को लेकर सोमवार को प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में धरना और प्रदर्शन भी किया गया था। राज्य कर्मचारियों ने मांगों को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।

राज्य कर्मचारियों का यह रुख प्रदेश की भूपेंद्र पटेल सरकार (bhupendra patel government) के लिए बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है। राज्य सरकार कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने की स्थिति में नहीं दिख रही है और इसलिए राज्य कर्मचारियों का यह रुख भाजपा के लिए बड़े सियासी नुकसान का कारण बन सकता है। भाजपा नेतृत्व इस बात को लेकर चिंतित दिख रहा है।

कांग्रेस नेता खुलकर समर्थन में उतरे

भाजपा (BJP) की सबसे बड़ी चिंता कांग्रेस के रुख को लेकर है। कांग्रेस नेताओं की ओर से राज्य कर्मचारियों की मांगों का समर्थन किया जा रहा है। पार्टी का कहना है कि राज्य सरकार को इस बाबत स्पष्ट घोषणा करनी चाहिए। कांग्रेस शासित राज्यों में पुरानी पेंशन योजना की बहाली के कारण भाजपा पर दबाव और बढ़ गया है। कांग्रेस नेता राजस्थान व छत्तीसगढ़ आदि राज्यों का उदाहरण देकर राज्य कर्मचारियों से पार्टी को मौका देने की अपील कर रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा के राज में कर्मचारियों की यह मांग कभी पूरी नहीं होगी।

कांग्रेस नेताओं ने भाजपा की कमजोर नस पकड़ ली है और इसे लेकर पार्टी नेता भाजपा सरकार (BJP Government) को घेरने में जुटे हुए हैं। चुनावी राज्य होने के कारण सियासी नुकसान की आशंका से भाजपा की चिंता बढ़ गई है। माना जा रहा है कि चुनाव के और नजदीक आने पर कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर और हमलावर रुख अख्तियार करेगी।

आंदोलन को और व्यापक बनाएंगे कर्मचारी

दरअसल, कर्मचारी नेताओं की ओर से पुरानी पेंशन योजना की बहाली के साथ ही कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम और निश्चित वेतन व्यवस्था के तहत नियुक्तियां खत्म करने की मांग भी की जा रही है। कर्मचारी नेताओं की यही मांग है कि सातवां वेतन आयोग की सिफारिशों को अविलंब लागू किया जाना चाहिए। कर्मचारी नेता सतीश पटेल का कहना है कि मांगों को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री से मुलाकात की जाएगी। यदि राज्य सरकार की ओर से हमें सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो आंदोलन को और व्यापक बनाने की रणनीति तय होगी।

उन्होंने कहा कि सोमवार को हुए धरना-प्रदर्शन में राज्य कर्मचारियों ने अपनी ताकत दिखा दी है। प्रदर्शन में विभिन्न विभागों से जुड़े एक लाख से ज्यादा कर्मचारियों ने शिरकत करके यह जता दिया है कि सरकार को उनकी मांग पूरी ही करनी होगी। सरकारी स्कूलों के शिक्षक भी इन मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ा रहे हैं।

भाजपा को हो सकता है सियासी नुकसान

सियासी जानकारों का मानना है कि सरकारी कर्मचारियों से जुड़ी ये मांगें प्रदेश सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बनती जा रही हैं क्योंकि राज्य विधानसभा चुनाव में इन कर्मचारियों की बड़ी भूमिका होगी। यदि प्रदेश सरकार राज्य कर्मचारियों को मनाने में कामयाब नहीं हुई तो बड़े सियासी नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

हाल में हुए उत्तर प्रदेश के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने पुरानी पेंशन की बहाली का वादा करके भाजपा के सामने मुसीबत खड़ी कर दी थी। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी सभाओं में यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया था। अब गुजरात में यही काम कांग्रेस कर रही है। उत्तर प्रदेश में तो भाजपा अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रही मगर गुजरात में कांग्रेस को जवाब देने में पार्टी के पसीने छूट रहे हैं।

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Deepak Kumar

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