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Gujarat Morbi Bridge Collapse: बांध फटने से 1979 में तबाह हो गया था मोरबी, फिर दोहराया गया इतिहास का काला दिन

Gujarat Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी शहर में जो सस्पेंशन ब्रिज ढहा है उसे मरम्मत के बाद बगैर फिटनेस सर्टिफिकेट के खोल दिया गया।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 31 Oct 2022 9:57 AM IST (Updated on: 31 Oct 2022 9:57 AM IST)
Gujarat Bridge Collapse
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Gujarat Bridge Collapse

Gujarat Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी शहर में जो सस्पेंशन ब्रिज ढहा (Morbi bridge collapsed) है उसे मरम्मत के बाद बगैर फिटनेस सर्टिफिकेट के खोल दिया गया। मच्छु नदी पर बने इस हैंगिंग ब्रिज का निर्माण मोरबी राजवंश के शासन वाले सर वाघजी ठाकोर ने लगभग 150 साल पहले करवाया था और इसकी लंबाई 233 मीटर है और यह 4.6 फीट चौड़ा है।

इस पुल की कुछ दिन पहले ही मरम्मत कराई गई थी। 5 दिन पहले ही इसे आम जनता के लिए फिर से खोला गया था। रिपोर्टों के मुताबिक, पुल के नवीनीकरण के लिए सरकारी टेंडर ओधवजी पटेल के स्वामित्व वाले ओरेवा ग्रुप को दिया गया था।

बांध फटने से 1979 में तबाह हो गया था मोरबी

11 अगस्त 1979 को मच्छु नदी पर बना बांध टूट गया था जिससे इस शहर में आपदा आ गई थी। मारे गए लोगों की संख्या का अनुमान 1,800 से 25,000 लोगों के बीच बताया जाता है। ये आपदा अत्यधिक बारिश और बड़े पैमाने पर बाढ़ के कारण हुई थी। जिससे चार किलोमीटर लंबे मच्छु - 2 बांध की मिट्टी की दीवारें टूट गईं। तीव्र वर्षा के बाद पानी का प्रवाह बांध के लिए डिजाइन किए गए तीन गुना था। बांध का 762 मीटर बाएं और 365 मीटर दाहिना तटबंध ढह जाने से 20 मिनट के भीतर 12 से 30 फीट ऊंचाई की बाढ़ ने बांध से 5 किमी नीचे स्थित मोरबी औद्योगिक शहर के निचले इलाकों में पानी भर दिया।

मोरबी बांध की विफलता को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सबसे खराब बांध फटने के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। इस आपदा से बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ। बाढ़ ने खेतों को नुकसान पहुंचाया, जिससे फसलों की उत्पादकता में कमी आई।

पानी आने पर सौ से अधिक लोगों ने वाजेपर राम मंदिर में शरण ली लेकिन बाद में बाढ़ ने उन्हें मंदिर में डुबो दिया। महिलाओं को खुद को बचाने के लिए अपने बच्चों को उग्र लहरों में छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और लोगों ने एक झटके में अपने प्रियजनों को खो दिया।

मच्छु नदी पर बने इस पुल की कुछ दिन पहले ही मरम्मत कराई गई थी। 5 दिन पहले ही इसे आम जनता के लिए फिर से खोला गया था। मरने वालों में महिलाओं और बच्चों की संख्या अधिक बताई जा रही है। सरकार ने इस घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हताहतों के लिए मुआवजे की घोषणा की है। पीएम मोदी ने घटना में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो लाख रुपये के मुआवजे का एलान किया है। वहीं, घायलों को 50 हजार रुपये की मदद दी जाएगी। गुजरात सरकार ने भी मृतकों के परिजनों के लिए चार-चार लाख रुपये की मदद का एलान किया है।

ऐतिहासिक पुल

मोरबी केबल ब्रिज एक ऐतिहासिक पुल था। मरम्मत और जीर्णोद्धार के बाद गुजराती नववर्ष के अवसर पर 26 अक्टूबर को इस पुल का उद्घाटन किया गया था। यह छह महीने के लिए नवीनीकरण के लिए बंद कर दिया गया था।

बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के खोला पुल: एस.वी. जाला

मोरबी नगर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.वी. जाला ने चौंकाने वाले खुलासे में कहा कि बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के पुल को जनता के लिए खोल दिया गया।

जनता के लिए बंद था पुल: ज़ाला

ज़ाला ने स्थानीय मीडिया को संबोधित करते हुए कहा: "लंबी अवधि के लिए, यह पुल जनता के लिए बंद था। सात महीने पहले, एक निजी कंपनी को नवीनीकरण और रखरखाव के लिए ठेका दिया गया था और पुल को 26 अक्टूबर को जनता के लिए उस कंपनी द्वारा फिर से खोल दिया गया था। नगर पालिका ने फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया है।

गोवा में हुआ था ऐसा हादसा

इससे पहले 14 अक्टूबर को दक्षिण गोवा में दूधसागर जलप्रपात से 40 से अधिक पर्यटकों को बचाया गया था। वहां भारी बारिश के कारण एक केबल पुल टूट गया था।



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Deepak Kumar

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