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Gujarat Morbi Bridge Collapse: मोरबी हादसा, घोर लापरवाही का नतीजा, देखें हादसे का वीडियो

Gujarat Morbi Bridge Collapse: गुजरात में मोरबी सस्पेंशन ब्रिज गिरने से मरने वालों की संख्या 175 से अधिक हो सकती है। इन सभी मौतों के लिए पुल का मेंटेनेंस फेल होना बताए जा रहे हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 31 Oct 2022 8:26 AM GMT (Updated on: 31 Oct 2022 8:39 AM GMT)
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मोरबी हादसा, घोर लापरवाही का नतीजा: Video- Newstrack

Gujarat Morbi Bridge Collapse: आशंका है कि गुजरात में मोरबी सस्पेंशन ब्रिज गिरने (Morbi Bridge Collapse) से मरने वालों की संख्या 175 से अधिक हो सकती है। इन सभी मौतों के लिए पुल की मरम्मत, मेंटेनेंस फेल होना या ऐसे ही कारण बताए जा रहे हैं। दूसरी ओर, बिना लोड टेस्ट के ब्रिज फिटनेस सर्टिफिकेट लॉन्च करने की अफवाहें हैं। नैतिकता का सवाल यह है कि अगर पांच दिन से पुल खुला है तो नगर पालिका, कलेक्टर या अन्य महकमों को क्यों नहीं पता चला? पुल पर जरूरत से से ज्यादा भीड़ जमा ही क्यों होने दी गयी?

मोरबी नगर पालिका द्वारा पिछले मार्च में पुल की मरम्मत और रखरखाव का काम ओरवा कंपनी को सौंपा गया था। छह महीने से अधिक समय के बाद पुल की मरम्मत की गई थी। सस्पेंशन ब्रिज, जिसकी मरम्मत लागत 2 करोड़ रुपये थी और दीवाली की शुरुआत में चालू किया गया था, पांच दिन बाद गिर गया।त्योहार की छुट्टियों के दौरान भीड़ अधिक होने के बावजूद, कंपनी ने पैसे इकट्ठा करने के लिए बिना किसी परवाह के पुल शुरू कर दिया। अब नगर पालिका के मुख्य

अधिकारी संदीपसिंह झाला कह रहे हैं कि पुल

फिटनेस सर्टिफिकेट के बगैर चालू हो गया। ऐसे में सवाल ये है कि अगर पांच दिन तक बिना चेकिंग के यह सिलसिला चलता रहा तो क्या नगर पालिका या कलेक्टर, यांत्रिक विभाग तक की किसी को पुल फिटनेस प्रमाण पत्र की जानकारी नहीं थी?

हादसे के वक्त पुल पर लगभग 400 से 500 लोगों के होने का अनुमान है। अगर एक व्यक्ति के औसत वजन को 60 किलो को ध्यान में रखा जाए तो अनुमान लगाया जा सकता है कि उस समय पुल पर वजन 30 हजार किलो या 30 टन था। राज्य के सड़क एवं भवन विभाग के मंत्री के अनुसार यह हादसा पुल पर 6 टन क्षमता से अधिक भीड़ जमा होने के कारण हुआ प्रतीत हो रहा है।

सूत्रों के अनुसार, यह पुल एक पुराने डिजाइन का था, जिसकी अधिकतम वजन क्षमता 100 लोगों की थी। इस पुल का प्रबंधन मोरबी नगर पालिका द्वारा किया जाता है। पुल के ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखने के लिए जिंदल कंपनी को मरम्मत का काम सौंपा गया था और नगर पालिका ने अगले 15 वर्षों के लिए ओरेवा ट्रस्ट को इस ब्रिज के रखरखाव और मरम्मत की पूरी जिम्मेदारी सौंपी थी।

पुल का इतिहास (history of the bridge)

गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में मोरबी शहर मच्छु नदी पर बना पुल यूरोपीय शैली की वास्तुकला है। इसे मोरबी राज्य के वाघजी ठाकोर द्वारा बनाया गया था। वाघजी ठाकोर को महारानी विक्टोरिया, महाराजा द्वारा नाइट कमांडर की उपाधि दी गई थी। पुल सात सौ पैंसठ फीट लंबा और साढ़े चार फीट चौड़ा है। 1887 में जब पुल का निर्माण किया गया था, तब यह जमीन से साठ फीट ऊपर था।

ये पुल सदी के अंत में एक इंजीनियरिंग चमत्कार था, जो मोरबी के शासकों की प्रगतिशील और वैज्ञानिक प्रकृति को दर्शाता है। यह उन दिनों यूरोप में उपलब्ध नवीनतम तकनीक का उपयोग करके मोरबी को एक विशिष्ट पहचान देने के लिए बनाया गया था। यह दरबारगढ़ पैलेस और लखधीरजी इंजीनियरिंग कॉलेज को जोड़ने वाली मच्छु नदी के पार 1.25 मीटर चौड़ा और 233 मीटर लंबा है।

Shashi kant gautam

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