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Bhupendra Bhai Patel: मोदी-शाह ने एक बार फिर चौंकाया, कौन हैं गुजरात के नये सीएम भूपेंद्र भाई पटेल, जानिये इनके बारे में सबकुछ

गुजरात के नए मुख्यमंत्री के तौर पर भाजपा ने घटलोडिया के विधायक भूपेंद्र रजनीकांत पटेल को चुना है। 57 वर्षीय भूपेंद्र 12वीं पास हैं।

Anshuman Tiwari
Published on: 12 Sept 2021 6:24 PM IST (Updated on: 12 Sept 2021 6:46 PM IST)
BJP has chosen Ghatlodia MLA Bhupendra Rajinikanth Patel as the new Chief Minister of Gujarat.
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भूपेंद्र भाई रजनीकान्त पटेल: फोटो- सोशल मीडिया

Gujarat New Chief Minister। गुजरात के नए मुख्यमंत्री के तौर पर भाजपा ने घटलोडिया के विधायक भूपेंद्र (Bhupendra Bhai Patel wiki) रजनीकांत पटेल को चुना है। इस चौंकाने वाले फैसले के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फैसले का पूर्वानुमान लगाने में एक बार मीडिया ही नहीं बल्कि उनकी पार्टी के सारे नेता भी ढेर हो गए। गुजरात के नए मुख्यमंत्री के रूप में मीडिया और पार्टी के नेताओं की ओर से करीब आधा दर्जन नेताओं के नाम लिए जा रहे थे मगर विधायक दल की बैठक में जब भूपेंद्र पटेल के नाम का एलान किया गया तो एकबारगी किसी को विश्वास ही नहीं हुआ। पीएम मोदी और शाह का यह फैसला हर किसी को आश्चर्यचकित करने वाला था।

भूपेंद्र पटेल के नाम के बारे में किसी ने दूर-दूर तक सोचा भी नहीं था, क्योंकि 2017 के चुनाव में वे पहली बार विधायक बने हैं। उन्हें काफी लो प्रोफाइल नेता माना जाता रहा है। वे आज तक मंत्री भी नहीं बने थे। अब सीधे गुजरात के मुख्यमंत्री बनेंगे। इसलिए जब केंद्रीय पर्यवेक्षक और नरेंद्र सिंह तोमर की ओर से भूपेंद्र पटेल के नाम का एलान किया गया तो बैठक में मौजूद भाजपा विधायक भी चौंक से गए।

बैठक में सबसे पिछली कतार में बैठे थे भूपेंद्र पटेल

गुजरात के नए मुख्यमंत्री के रूप में भूपेंद्र पटेल के नाम के एलान के बाद वायरल हुई एक तस्वीर से साफ है कि शायद भूपेंद्र पटेल को भी यह नहीं पता था कि वह अगले कुछ मिनटों में गुजरात की सबसे ताकतवर सियासी कुर्सी के मालिक बन जाएंगे। विधायक दल की बैठक में सबसे पिछली कतार में भूपेंद्र पटेल बैठे हुए थे। विधायक दल की बैठक में मौजूद विधायक आपसी चर्चा में अलग-अलग विधायकों का नाम ले रहे थे। किसी की चर्चा में भी भूपेंद्र पटेल का नाम नहीं था।

जब पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा तो बैठक में मौजूद विधायक भी एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। प्रस्ताव का समर्थन और अनुमोदन होने के बाद केंद्रीय मंत्री और दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर ने नए मुख्यमंत्री के रूप में भूपेंद्र पटेल के नाम का एलान कर दिया।

भूपेंद्र भाई रजनीकान्त पटेल: फोटो- सोशल मीडिया

2017 में पहली बार बने थे विधायक भूपेंद्र पटेल

भूपेंद्र पटेल का नाम हर किसी को क्यों चौंकाने वाला है। इसे इसी तथ्य से समझा जा सकता है कि भूपेंद्र पटेल 2017 में पहली बार विधायक का चुनाव जीते थे। मौजूदा समय में पटेल घाटलोडिया सीट से विधायक हैं। इस सीट पर पहले पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल चुनाव जीता करती थीं । मगर आनंदीबेन पटेल के सक्रिय राजनीति से अलग होने के बाद भाजपा की ओर से भूपेंद्र पटेल को इस सीट पर पहली बार उतारा गया था। वे इस सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे।

इससे पहले भूपेंद्र पटेल अहमदाबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन की राजनीति करते रहे हैं। हालांकि यह सच्चाई है कि कारपोरेशन के चेयरमैन के रूप में उनके काम को काफी वाहवाही मिली थी। कार्पोरेटर के रूप में भी उन्होंने अच्छा काम किया था। उन्हें इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी तारीफ मिली थी। भूपेंद्र पटेल को पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता रहा है।.मगर यह भी सच्चाई है कि वे हमेशा लो प्रोफाइल नेता रहे हैं। यही कारण है कि नए मुख्यमंत्री के रूप में उनकी कहीं कोई चर्चा ही नहीं थी।

57 वर्षीय भूपेंद्र 12वीं पास हैं। बता दें कि भूपेंद्र भाई रजनीकान्त पटेल ने विधानसभा चुनाव 2017 में अहमदाबाद जिले की घटलोडिया सीट पर कांग्रेस के शशिकांत वासुदेवभाई पटेल को 1 लाख 17 हजार वोटों से हराया था। भूपेंद्र भाई रजनीकान्त पटेल की यह जीत गुजरात में किसी भी सीट पर भाजपा की सबसे बड़ी जीत थी। इस सीट पर आनंदीबेन पटेल ने 2012 में जीत हासिल की थी। आनंदीबेन पटेल अभी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं।

जाने कौन हैं भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Bhai Patel Biography)

पिछले चुनाव में दिए गए विवरण के अनुसार भूपेंद्र पटेल के खिलाफ कोई अपराधिक केस नहीं है। उनकी संपत्ति 5,19,58,735 रुपये की बताई गयी है जबकि उनकी देनदारी 69,55,707 रुपये की है। उनका पेशा कंसल्टिंग इंजीनियरिंग कंपनी विहान एसोसिएट्स बताया गया है। कंपनियों के बारे में जानकारी देने वाली साईट क्रेडिटवाच के अनुसार भूपेंद्र रजनीकांत पटेल 2016 में अहमदाबाद स्थित स्मार्ट सिटी अहमदाबाद डेवलपमेंट लिमिटेड नामक प्राइवेट कंपनी में एडिशनल डायरेक्टर थे।

पार्टी कार्यकर्ता प्यार से 'दादा' कहकर बुलाते हैं: फोटो- सोशल मीडिया

भूपेंद्र पटेल को पार्टी कार्यकर्ता प्यार से 'दादा' कहकर बुलाते हैं

भूपेंद्र पटेल कदवा पाटीदार समाज के अग्रणी नेता हैं । पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के प्रति काफी वफादार माने जाते हैं। बताया जाता है कि उनकी मुख्य विशेषता मृदुभाषी और सौम्य स्वभाव है। भूपेंद्र भाई 1999-2000 तथा 2004-05 तक मेमनगर नगरपालिका के अध्यक्ष थे। उसके बाद वह 2010 से 2015 तक अहमदाबाद नगर निगम समिति के अध्यक्ष बने रहे। भूपेंद्र पटेल को उनके निर्वाचन क्षेत्र में और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच 'दादा' उपनाम से जाना जाता है।

भूपेंद्र पटेल का राजनीतिक सफर

भूपेंद्र पटेल को एक समय रूपाणी सरकार ने इस हद तक नजरअंदाज कर दिया था कि उन्हें कैबिनेट में भी शामिल नहीं किया गया था। बड़ी जीत के बावजूद कैबिनेट में जगह न दिए जाने से लोगों को काफी हैरानी हुई थी। कहा तो ये भी जाता है कि विधानसभा चुनाव में भूपेंद्र पटेल को टिकट दिए जाने को लेकर भी विवाद हुआ था।

फिर मोदी के चेहरे पर ही लड़ेगी भाजपा

गुजरात में करीब 15 महीने बाद भाजपा को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरना है। ऐसे समय में भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला काफी हैरानी भरा माना जा रहा है। भूपेंद्र पटेल को नया मुख्यमंत्री बनाए जाने के एलान से एक बात तो बिल्कुल साफ हो गई है कि भाजपा 2022 का विधानसभा चुनाव एक बार फिर पीएम मोदी के चेहरे पर ही लड़ेगी।

भूपेंद्र पटेल का अहमदाबाद से बाहर दूसरे अन्य जिलों में ज्यादा असर न होने के कारण उनमें भाजपा की नैया पार लगाने की सियासी ताकत नहीं दिखती। वे गुजरात भाजपा में कभी फ्रंटलाइन नेता नहीं रहे हैं। इस कारण अगले चुनाव में भाजपा फिर पीएम मोदी और अमित शाह पर ही पूरी तरह निर्भर रहेगी।


रुपाणी के खिलाफ नाराजगी कम करने की कोशिश

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के इस फैसले से एक बात बिल्कुल साफ हो गई है कि रूपाणी के खिलाफ दिख रही नाराजगी को खत्म करने के लिए ही राज्य में मुख्यमंत्री का चेहरा बदला गया है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मिसमैनेजमेंट को लेकर रुपाणी के खिलाफ काफी नाराजगी थी। इसे लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने भी कई बार सरकार को फटकार लगाई थी। इसके साथ ही सरकार और संगठन के बीच भी समन्वय स्थापित नहीं हो पा रहा था।

प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल ने भी इस बाबत शीर्ष नेतृत्व से चर्चा की थी। पाटिल का कहना था कि रुपाणी के मुख्यमंत्री रहने पर भाजपा अगला विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकती। सियासी जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री का चेहरा बदल कर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी के खिलाफ पैदा हुई नाराजगी को कम करने का प्रयास किया है।

पाटीदार समाज से भूपेंद्र पटेल का ताल्लुक

गुजरात के चुनाव में पाटीदार समाज अहम भूमिका निभाता रहा है। पाटीदार आंदोलन के कारण 2017 के चुनाव में भाजपा को तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस की ओर से हार्दिक पटेल लगातार पाटीदार समाज की अनदेखी को लेकर भाजपा पर हमले करते रहे हैं। भूपेंद्र पटेल पाटीदार समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नेता है। माना जा रहा है कि इसके जरिए पार्टी ने पाटीदार समाज को साधने की भी कोशिश की है। वैसे यह भी सच्चाई है कि भूपेंद्र पटेल की पाटीदार समाज पर भी मनसुख मंडाविया, पुरुषोत्तम रुपाला और नितिन पटेल जैसी पकड़ नहीं रही है मगर माना जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पाटीदार समाज से जुड़े एक नेता का चेहरा सामने रखकर उसे भुनाने में कामयाब हो सकता है।

कई बड़े नेता थे रेस में शामिल

गुजरात के चुनाव में पाटीदार समाज अहम भूमिका निभाता रहा है। पाटीदार आंदोलन के कारण 2017 के चुनाव में भाजपा को तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस की ओर से हार्दिक पटेल लगातार पाटीदार समाज की अनदेखी को लेकर भाजपा पर हमले करते रहे हैं। भूपेंद्र पटेल पाटीदार समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नेता है। माना जा रहा है कि इसके जरिए पार्टी ने पाटीदार समाज को साधने की भी कोशिश की है। वैसे यह भी सच्चाई है कि भूपेंद्र पटेल की पाटीदार समाज पर भी मनसुख मंडाविया, पुरुषोत्तम रुपाला और नितिन पटेल जैसी पकड़ नहीं रही है मगर माना जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पाटीदार समाज से जुड़े एक नेता का चेहरा सामने रखकर उसे भुनाने में कामयाब हो सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: फोटो- सोशल मीडिया

मोदी के फैसलों का पूर्वानुमान नामुमकिन

एक बात एक बार फिर साबित हो गई है कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समय की भाजपा है जिसके फैसलों का पूर्वानुमान लगा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन जैसा है। पीएम मोदी समय-समय पर मीडिया और पार्टी के लोगों को एक बात का एहसास कराते रहे हैं कि उनके फैसलों को पहले पढ़ पाना काफी मुश्किल काम है।

राष्ट्रपति पद के चुनाव के दौरान भी मीडिया की ओर से आधा दर्जन से अधिक नामों का पूर्वानुमान लगाया जा रहा था मगर पीएम मोदी ने रामनाथ कोविंद का नाम फाइनल करके हर किसी को चौंका दिया था। अभी हाल में उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी का चयन करके भी मोदी और शाह ने हर किसी को चौंका दिया था। उस समय भी मीडिया और भाजपा विधायकों के बीच कई नामों की चर्चा थी मगर आखिरकार सीएम पद पर पुष्कर सिंह धामी की ताजपोशी हुई।

Shashi kant gautam

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