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Gujarat Politics: गुजरात में इस बार कांग्रेस की बड़ी तैयारी, निष्क्रिय नेताओं से किनारा करेगी पार्टी
इस बार पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य में जीत हासिल करके बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश में जुट गई है।
Gujarat Politics: गुजरात में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों से काफी पहले कांग्रेस तैयारियों में जुट गई है। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुजरात में दम तो दिखाया था मगर पार्टी भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब नहीं हो पाई थी।
इस बार पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य में जीत हासिल करके बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश में जुट गई है। गुजरात में तीन दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन भी इसी सिलसिले में किया गया है। राहुल गांधी भी इस चिंतन शिविर को काफी महत्व दे रहे हैं और इसमें हिस्सा लेने के लिए तीन दिवसीय दौरे पर गुजरात पहुंचे हैं।
चिंतन शिविर के पहले दिन राहुल गांधी ने पार्टी के निष्क्रिय नेताओं पर जमकर निशाना साधा। उनका कहना था कि पार्टी को ऐसे नेताओं से कोई फायदा नहीं होने वाला है जो एसी कमरों में बैठते हैं और जिनके पास बातों के अलावा कुछ नहीं होता। उन्होंने पार्टी के ऐसे नेताओं को कौरवों तक की संज्ञा दे डाली। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की लिस्ट बनाई जानी चाहिए क्योंकि यही लोग बाद में चलकर भाजपा में शामिल हो जाते हैं।
पिछले चुनाव में कांग्रेस ने दी थी चुनौती
गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 182 सीटों में से 99 सीटों पर जीत हासिल की थी। राज्य में बहुमत के लिए 92 सीटों की जरूरत थी और इस तरह भाजपा ने आसानी से बहुमत हासिल कर लिया था। कांग्रेस की अगुवाई वाले मोर्चे ने 80 सीटों पर जीत हासिल की थी जिनमें 77 सीटों पर कांग्रेस को विजय मिली थी।
राज्य में 2012 के चुनाव में भाजपा को 115 और कांग्रेस को 61 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। गुजरात में लंबे समय से भाजपा का कब्जा है और कांग्रेस तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब नहीं हो सकी है। यही कारण है कि इस बार पार्टी ने काफी पहले से ही चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं ताकि पीएम मोदी के गृह राज्य में भाजपा को प्रधानी देकर बड़ा सियासी संदेश दिया जा सके।
विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा
गुजरात में आयोजित कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर में विधानसभा चुनाव को लेकर विस्तृत रणनीति पर चर्चा की जा रही है। राहुल गांधी ने भी चिंतन शिविर में हिस्सा लेने वाले पार्टी नेताओं के साथ विस्तृत मंथन किया है। उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा कि गुजरात के लोग कांग्रेस की ओर भारी उम्मीदों से देख रहे हैं।
भाजपा ने कांग्रेस से ज्यादा नुकसान गुजरात के लोगों को पहुंचाया है इसलिए गुजरात के लोग इस बार बदलाव करें के मूड में दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार गुजरात के चुनाव में पार्टी के लोगों को पूरी ताकत लगानी होगी क्योंकि गुजरात के लोग भी अब भाजपा की कार्यप्रणाली से तंग आ चुके हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा की ओर से सीबीआई, ईडी, मीडिया, गुंडे हर चीज का इस्तेमाल करके दूसरों को परेशान और प्रताड़ित किया जा रहा है, लेकिन गुजरात ने हमें सत्य की ताकत बताई है क्योंकि यह महात्मा गांधी से जुड़ा हुआ राज्य है। महात्मा गांधी के पास कुछ भी नहीं था मगर उन्होंने सत्य की ताकत पर बड़ी जीत हासिल करके पूरी दुनिया को संदेश दिया था।
पार्टी में बड़े बदलाव की तैयारी
गुजरात में कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए पार्टी में बड़े बदलाव की तैयारी है। राहुल गांधी ने कहा कि ऐसे नेताओं से पार्टी को छुटकारा पाना होगा जो पूरी तरह निष्क्रिय बने हुए हैं। हम जमीनी स्तर पर काम करने वाले नेताओं के दम पर लड़ाई लड़ेंगे और इसलिए ऐसे नेताओं की सूची बनाई जानी चाहिए जो पूरी तरह निष्क्रिय बने हुए हैं और एसी कमरों में बैठकर सिर्फ सुविधाओं का उपभोग कर रहे हैं।
ऐसे नेता ही आगे चलकर भाजपा का दामन थाम लेते हैं और पार्टी को नुकसान पहुंचाते हैं। अगर पार्टी को जमीनी स्तर पर काम करने वाले पांच क्षमता व नेता भी मिल जाए तो निश्चित रूप से पार्टी भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब होगी। गुजरात दौरे के पहले दिन राहुल गांधी ने द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन पूजन करके आशीर्वाद भी लिया।
1995 से ही सत्ता पर भाजपा काबिज
गुजरात में कांग्रेस ताकत दिखाने के लिए इसलिए भी बेकरार है क्योंकि इस राज्य में 1995 से ही सत्ता पर भाजपा काबिज है। प्रधानमंत्री मोदी के गुजरात छोड़कर केंद्र की सत्ता में जाने के बाद भी भाजपा ने 2017 के चुनाव में जीत हासिल की थी। हालांकि यह भी सच्चाई है कि 2017 का चुनाव पार्टी ने पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह की अगुवाई में ही लड़ा था।
कांग्रेस इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में गुजरात में 27 सालों से जारी भाजपा राज्य को खत्म करने के लिए कमर कस रही है। इसीलिए दूसरे राज्यों का चुनाव छोड़कर राहुल गांधी गुजरात के चिंतन शिविर में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे। इसी से समझा जा सकता है कि पार्टी इस बार के गुजरात चुनाव को कितना ज्यादा महत्व दे रही है।