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Godhra Train Case: सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा कांड के दोषी को दी जमानत, कही ये बात
Godhra Train Case: गोधरा कांड जिसने पूरे गुजरात को सांप्रदायिक दंगे की आग में झुलसा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आज उम्रकैद की सजा पाए गोधरा कांड के एक दोषी फारूक को जमानत दे दी।
Godhra Train Case: गोधरा कांड जिसने पूरे गुजरात को सांप्रदायिक दंगे (Gujarat communal riots) की आग में झुलसा दिया था, एकबार फिर खबरों में है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज उम्रकैद की सजा पाए गोधरा कांड के एक दोषी फारूक को जमानत दे दी। फारूक की अपील साल 2018 से अदालत में लंबित थी। देश की सर्वोच्च अदालत ने फारूक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा, वह 2004 से जेल में है। वो पिछले 17 साल जेल में बिता चुका है, इसलिए उसे जमानत दी जाए।
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच के समक्ष राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जमानत का पुरजोर विरोध किया। मेहता ने कहा, यह सबसे जघन्य अपराध में से एक था। लोगों को बोगी में बंद करके जिंदा जलाया गया था। सामान्य परिस्थितियों में पत्थरबाजी कम गंभीर अपराध हो सकता है, मगर यह अलग है।
फारूक का जुर्म क्या था ?
27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन (Sabarmati Express Train) के एक कोच में भीड़ ने आग लगा दी थी। फारूक को ट्रेन के जलते डिब्बे से निकलने की कोशिश कर रहे लोगों पर पथराव करने का दोषी पाया गया था। गोधरा कांड के बाद चले मुकदमों में करीब 9 साल बाद 31 लोगों को दोषी ठहराया गया था। 2011 में एसआईटी ने 11 लोगों को फांसी और 20 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। फांसी के सजा पाए दोषियों में फारूक भी था। लेकिन 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने फांसी की सजा पाए सभी 11 दोषियों की सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी थी। अगले ही साल फारूक ने देश की सर्वोच्च अदालत में जमानत की याचिका दाखिल कर दी थी।
गोधरा कांड के बाद भड़के थे दंगे
गोधरा कांड में 59 कारसेवक जो अयोध्या से तीर्थ करके लौट रहे थे, जिंदा जलकर मारे गए थे। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। दोषियों ने एक साजिश के तहत पहले ट्रेन का चेन पुल कर रोका और फिर बोगी में आग लगा दी। बोगी से कोई बाहर न निकल पाए, इसके लिए डिब्बे पर पथराव किया। इस कांड के बाद पूरे राज्य में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी, जिसमें 1 हजार से अधिक लोग मारे गए थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इन दंगों में 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे।