TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Haryana Election: बंसीलाल की विरासत के लिए भाई-बहन में कड़ा मुकाबला,तोशाम में कुनबे के बीच छिड़ी प्रतिष्ठा की जंग

Haryana Election: ऐसे में सबकी निगाहें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के कुनबे के दबदबे वाली तोशाम विधानसभा हीट पर लगी हुई है। इस सीट पर इस बार बार चचेरे भाई और बहन के बीच दिलचस्प मुकाबला हो रहा है।

Anshuman Tiwari
Published on: 15 Sept 2024 9:17 AM IST
Haryana Election ( Pic- Social- Media)
X

Haryana Election ( Pic- Social- Media)

Haryana Election: हरियाणा के विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया खत्म हो गई है। विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में नामांकन के बाद प्रत्याशियों ने जोरदार प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। हरियाणा के चुनाव में इस बार कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। ऐसे में सबकी निगाहें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के कुनबे के दबदबे वाली तोशाम विधानसभा हीट पर लगी हुई है। इस सीट पर इस बार बार चचेरे भाई और बहन के बीच दिलचस्प मुकाबला हो रहा है।


हरियाणा के भिवानी जिले की तोशाम सीट पर बंसी लाल की सियासी विरासत के लिए श्रुति चौधरी और अनिरुद्ध चौधरी के बीच प्रतिष्ठा की जंग छिड़ गई है। भाजपा और कांग्रेस के लिए भी इस सीट की लड़ाई नाक का सवाल बन गई है। तोशाम विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से बंसीलाल के परिवार का दबदबा रहा है और इस बार भी परिवार से जुड़ा कोई व्यक्ति ही इस सीट पर जीत हासिल करेगा।

बंसीलाल के कुनबे का गढ़ है तोशाम

हरियाणा की राजनीति में एक दौर में बंसीलाल का काफी असर माना जाता था। भिवानी जिले के तोशाम विधानसभा क्षेत्र को बंसीलाल के परिवार के दबदबे वाला क्षेत्र माना जाता रहा है। हरियाणा बनने के बाद इस सीट पर अभी तक 14 बार चुनाव हुए हैं और इनमें 12 बार बंसीलाल के परिवार ने इस सीट पर जीत हासिल की है।


बंसीलाल, उनके बेटे सुरेंद्र सिंह, बहू किरण चौधरी ने अतीत के चुनावों में इस सीट से जीत हासिल की है। 2005 में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में सुरेंद्र सिंह का निधन हो गया था। 2005 के उपचुनाव में किरण चौधरी ने इस सीट से विधायक का चुनाव जीता था। हरियाणा के दिग्गज नेता बंसीलाल ने इस सीट पर सात बार चुनाव लड़ा था और इनमें से 6 मौकों पर उन्होंने इस सीट पर जीत हासिल की।

बेटी की जीत के लिए मां ने लगाई ताकत

2005 में सीट पर जीत हासिल करने के बाद किरण चौधरी को लगातार मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ। अब भाजपा में शामिल होने के बाद किरण चौधरी राज्यसभा की सदस्य बन चुकी हैं। भाजपा ने इस बार उनकी बेटी श्रुति चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है। ऐसे में किरण चौधरी ने अपनी बेटी को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है।


तोशाम सीट से श्रुति चौधरी के पिता सुरेंद्र सिंह और मां किरण चौधरी तीन-तीन बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में पूर्व में सांसद रह चुकी श्रुति चौधरी के लिए यह मुकाबला प्रतिष्ठा की जंग बन गया है।भाजपा के पूर्व विधायक शशि रंजन परमार ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से टिकट काटे जाने के बाद बागी उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर नामांकन दाखिल कर दिया है। परमार की उम्मीदवारी श्रुति चौधरी की मुश्किलों को बढ़ाने वाली साबित हो रही है।

चचेरे भाई के उतरने से जंग हुई दिलचस्प

दूसरी ओर कांग्रेस ने श्रुति के चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी को चुनाव मैदान में उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। अनिरुद्ध चौधरी बंसीलाल के पोते हैं और उनके पिता रणबीर महेंद्रा बीसीसीआई के अध्यक्ष रह चुके हैं। अनिरुद्ध चौधरी ने भी बंसीलाल के परंपरागत वोटरों पर निगाहें गड़ा रखी हैं।अनिरुद्ध चौधरी पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं और ऐसे में तोशाम के वोटरों को साधना उनके लिए बड़ी अग्निपरीक्षा साबित होगा।


अनिरुद्ध चौधरी की उम्मीदवारी से तोशाम में पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के विरासत की जंग काफी तीखी हो गई है। सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई है कि आखिरकार कौन बंसीलाल का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर जीत हासिल करता है।

आप-कांग्रेस में गठबंधन न होने का बड़ा असर

हरियाणा में इस बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी की कोशिशों के बावजूद आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन नहीं हो सका। गठबंधन की बातचीत टूटने के बाद आम आदमी पार्टी ने राज्य की सभी 90 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। दोनों दलों के बीच गठबंधन न हो पाने के पीछे हरियाणा कांग्रेस के नेताओं के विरोध को बड़ा कारण माना जा रहा है।दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभान दोनों नेता आप के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं थे। अब आप के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तिहाड़ जेल से रिहाई हो चुकी है। ऐसे में आने वाले दिनों में वे आप प्रत्याशियों के प्रचार को धार देंगे।सियासी जानकारों का मानना है कि आप के अलग चुनाव लड़ने से कांग्रेस को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि केजरीवाल की पार्टी भाजपा के वोट बैंक में भी सेंध लगाने में कामयाब हो सकती है।



\
Shalini Rai

Shalini Rai

Next Story