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Haryana : करनाल लाठीचार्ज बना मुद्दा, देश में तेज होगा किसान आंदोलन
Haryana : करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।एसडीएम का यह कहना कि किसानों के सिर तोड़ दो।
करनाल लाठीचार्ज बना मुद्दा(फोटो - सोशल मीडिया)
Haryana : करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। क्योंकि लाठी चार्ज (Stick Charge) का आदेश देते हुए एसडीएम (SDM) का यह कहना कि किसानों के सिर तोड़ दो। कोई किसान उनके सामने बिना टूटे सिर का नहीं आना चाहिए। इस आंदोलन में एक किसान की कथित रूप से हार्ट अटैक (Heart Attack) से मौत को भी मुद्दा बनाया जा रहा है। हालांकि हरियाणा सरकार (Haryana Government) सख्ती को सही ठहराते हुए अपने रुख पर अड़ी है। करनाल लाठीचार्ज का विरोध देश के अन्य हिस्सों में भी शुरू हो गया है। झारखंड के किसान इस आंदोलन के साथ खड़े हैं। हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्री भी हरियाणा सरकार के समर्थन में आ गए हैं। कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सख्ती को सही ठहरा रहे हैं। जबकि किसानों के सिर तोड़ने के आदेश को किसान तालिबानी आदेश की संज्ञा देते हए विरोध पर उतरते जा रहे हैं।
हरियाणा सरकार का यह कहना है कि विरोध करिये, काले झंडे दिखाइये, प्रदर्शन करिये, धरना दीजिए । लेकिन सरकार कानून व्यवस्था को बाधित नहीं होने देगा। इस बीच करनाल में बीते दिनों हुई एक किसान महापंचायत में किसानों पर लाठीचार्ज में शामिल एसडीएम व पुलिस के खिलाफ मामला दर्ज करने के साथ ही पुलिस पिटाई से दिवंगत हुए किसान के परिवार के एक सदस्य को नौकरी, 25 लाख रूपये व घायलों को दो दो लाख रूपये बतौर मुआवज़ा देने की मांग हुई। यह भी कहा गया कि 6 सितंबर तक उनकी मांगें पूरी नहीं होने पर वहां सचिवालय का घेराव करने की धमकी दी है।
बीकेयू अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, 'एसडीएम के आदेश पर पुलिस ने किसानों पर लाठियां बरसाईं। अगर छह सितंबर तक हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम अनिश्चित काल के लिए करनाल मिनी सचिवालय का घेराव करेंगे।
किसानों की उमड़ती भीड़ (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)
भाजपा की एक बैठक के विरोध में करनाल की ओर जाते समय राजमार्ग पर यातायात बाधित करने वाले किसानों के एक समूह पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने के बाद शनिवार को लगभग 10 लोग घायल हो गए। जिसमे एक किसान की घर में अगले दिन सुबह हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।
चढूनी ने कहा कि वे केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा से एक सख्त फैसले की घोषणा करने का अनुरोध करेंगे क्योंकि वे किसानों को "बेरहमी से पीटे जाने" नहीं देंगे।