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Karnal Kisan Aandolan: किसान आंदोलन का नया गढ़ बना करनाल, किसानों के अड़ जाने से मुश्किल में फंसी हरियाणा सरकार

Karnal Kisan Aandolan: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर कई महीनों से डेरा डाले किसानों ने अब जिला सचिवालय को घेर रखा है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Monika
Published on: 9 Sep 2021 5:08 AM GMT
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किसान आंदोलन (फोटो : सोशल मीडिया )

Karnal Kisan Aandolan: करनाल (Karnal) अब किसान आंदोलन (farmers protest) का नया गढ़ बन गया है। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों (new agricultural laws) के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर कई महीनों से डेरा डाले किसानों ने अब जिला सचिवालय को घेर रखा है। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं की जाती हैं तब तक वे यहां से नहीं हटेंगे। किसान नेताओं और प्रशासनिक अफसरों के बीच बुधवार को तीन दौर की बातचीत पूरी तरह विफल रही। इसके पहले मंगलवार को भी बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल सका था। बातचीत विफल होने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने एलान कर दिया है कि किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर पहले ही डेरा डाल रखा है। अब करनाल सचिवालय पर भी किसानों का डेरा जारी रहेगा।

किसानों की मुख्य मांग लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ केस दर्ज करने और उन्हें सस्पेंड करने की है। अभी तक हरियाणा सरकार ने किसानों की इस मांग पर रजामंदी नहीं जताई है। हरियाणा सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस कदम को उठाने का मतलब सरकार की ओर से अपनी गलती मान लेना है। यही कारण है कि सरकार इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है। इस मुद्दे पर किसानों के अड़ जाने के कारण अब हरियाणा सरकार मुश्किल में फंस गई है।

किसान आंदोलन (फोटो : सोशल मीडिया )

धरना खत्म न करने पर अड़े किसान

सरकार से बातचीत विफल होने के बाद किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि सरकार की ओर से जब तक मांगें नहीं पूरी की जाएंगी तब तक किसान जिला सचिवालय नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि अफसरों को मुख्य गेट से भीतर नहीं जाने दिया जाएगा। यदि उन्हें सचिवालय के भीतर जाना है तो वे किसी दूसरे रास्ते या दीवार फाँदकर भीतर जाएं। मुख्य गेट से किसान अब नहीं हटेंगे।

किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम चढ़ूनी और योगेंद्र यादव ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि अफसरों ने बातचीत में अड़ियल रवैया अपना रखा है मगर उन्हें यह बात समझ लेनी चाहिए कि किसान भी पूरी तरह आंदोलन का मन बनाकर धरने पर बैठे हैं। किसी भी सूरत में झुकने वाले नहीं हैं।

किसानों के आंदोलन को देखते हुए करनाल में अभी तक इंटरनेट सेवा बहाल नहीं की गई है। बल्क एसएमएस सेवाओं को भी पूरी तरह सस्पेंड कर दिया गया है। करनाल से सटे हरियाणा के अन्य जिलों पानीपत, कुरुक्षेत्र, जींद और कैथल में इंटरनेट और बल्क एसएमएस की सेवाओं को बहाल कर दिया गया है।

आंदोलन को रोकते पुलिस (फोटो : सोशल मीडिया )

किसानों की लंबी लड़ाई की तैयारी

करनाल में किसानों के डेरा डाल देने से यह स्पष्ट हो गया है कि वे लंबे संघर्ष की तैयारी के साथ यहां पहुंचे हैं। किसानों के लिए पक्के टेंट की व्यवस्था अभी तक नहीं की सकी है। यही कारण है कि काफी संख्या में किसानों ने खुले आसमान के नीचे दरी बिछाकर रात बिताई। किसानों के डेरा डाल देने के बाद लघु सचिवालय पर पैरामिलिट्री फोर्स और काफी संख्या में पुलिस के जवानों को तैनात कर दिया गया है।

गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को किसानों को किसी भी सूरत में सचिवालय के भीतर न घुसने देने का आदेश दिया गया है। दूसरी ओर किसानों ने भी सचिवालय के भीतर आवाजाही पूरी तरह से ठप कर दी है। किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि वे न तो किसी को सचिवालय के भीतर जाने देंगे और न तो कोई काम होने देंगे। लघु सचिवालय में कई सरकारी विभागों के कार्यालय हैं जहां हजारों लोग रोज अपने कामकाज के सिलसिले में पहुंचते हैं मगर किसानों के डेरा डालने के बाद सरकारी कामकाज भी पूरी तरह ठप पड़ गया है।

नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन (फोटो : सोशल मीडिया )

बातचीत विफल होने से मुश्किलें बढ़ीं

बसताड़ा टोल प्लाजा पर 28 अगस्त को किसानों पर हुए लाठीचार्ज में एक किसान सुशील काजल की मौत हो गई थी। इस लाठीचार्ज के दौरान काफी संख्या में किसान घायल भी हुए थे। इस लाठीचार्ज के खिलाफ 7 सितंबर को करनाल में हुई महापंचायत के बाद अब किसानों ने आर-पार की लड़ाई लड़ने का मूड बना लिया है। लाठीचार्ज में एक किसान की मौत हो जाने के कारण किसान संगठनों में काफी ज्यादा गुस्सा दिख रहा है।

किसान संगठन एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ केस दर्ज करने और उन्हें सस्पेंड करने की मांग पर अड़े हुए हैं। दूसरी और सरकार इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है। किसान संगठनों के साथ कई दौर की बातचीत विफल हो जाने के बाद अब हरियाणा सरकार भी मुश्किल में फंस गई है। सरकार की ओर से बातचीत करने वाले अफसर अभी तक किसान नेताओं को मनाने में नाकाम रहे हैं। सरकार आयुष सिन्हा के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से बच रही है। जबकि किसान नेता अब कार्रवाई की मांग पर अड़ गए हैं। जानकारों का कहना है कि दोनों पक्षों के अड़ियल रवैये के कारण आने वाले दिनों में करनाल में किसान और प्रशासन के बीच टकराव और बढ़ सकता है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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