Cancer Causes and Treatment: कैंसर से सावधान! इस उम्र वालों में खौफनाक रफ्तार से बढ़ रही बीमारी, देखें Video

Cancer Causes and Treatment: आज बहुत कम उम्र में कैंसर के बहुत से मामले डॉक्टरों व वैज्ञानिकों के सामने आ रहे हैं। वैज्ञानिक इस पर जद्दोजहद कर रहे हैं कि इसके कारणों की पड़ताल की जाये। और उसकी तह तक पहुँचा जाये।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 10 Nov 2022 1:57 PM GMT
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Causes Cancer Treatment: कैंसर जैसी असाध्य बीमारी का नाम सबको डराता होगा। यह बीमारी वैज्ञानिकों के लिए भी बहुत परेशानी का सबब बन बैठी है। वैज्ञानिक इसे लेकर बहुत परेशान हैं कि आख़िर कैंसर धीरे- धीरे कम उम्र के लोगों की ओर तेज़ी से क्यों बढ़ रहा है। इसके पीछे कारण क्या है। रहे कैंसर पचास के बाद होने के मामले सामने आते थे।

आज बहुत कम उम्र में कैंसर के बहुत से मामले डॉक्टरों व वैज्ञानिकों सामने आ रहे हैं। वैज्ञानिक इस पर जद्दोजहद कर रहे हैं कि इसके कारणों की पड़ताल की जाये। और उसकी तह तक पहुँचा जाये। ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जाये। लेकिन कैंसर आज भी सबके लिए एक ऐसा परेशानी का सबब है कि जिसे हो जाता है, उसकी तो मौत निश्चित होती है। जिस घर में हो जाता है, उस घर के लोग आर्थिक तंगी से धीरे-धीरे दम तोड़ते नज़र आते हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा है कि चिंता की बात यह है कि कम उम्र में कैंसर होने के ट्रेंड में कमी नहीं हो रही है। यह जोखिम प्रत्येक पीढ़ी के साथ बढ़ रहा है। शोधकर्ताओं में से एक, शुजी ओगिनो कहते हैं कि - हम भविष्यवाणी करते हैं कि यह जोखिम स्तर लगातार पीढ़ियों में चढ़ता रहेगा।

शोधकर्ता पहले से ही जानते हैं कि 1940 और 1950 के दशक के बाद से, लोगों में देर से शुरू होने वाले कैंसर में वृद्धि हुई है। जिसका अर्थ है 50 वर्ष की आयु के बाद कैंसर विकसित होना।लेकिन शोधकर्ताओं की टीम यह पता लगाना चाहती थी कि क्या शुरुआती कैंसर या 50 साल से कम उम्र के लोगों में कैंसर की दर भी बढ़ रही थी?

इसका जवाब पाने के लिए की गई समीक्षा में कैंसर के 14 प्रकारों में डेटा देखा गया-स्तन, कोलोरेक्टल (सीआरसी), एंडोमेट्रियल, एसोफेजेल, एक्स्ट्राहेपेटिक, पित्त नली, पित्ताशय की थैली, सिर और गर्दन, गुर्दे, यकृत, अस्थि मज्जा, पैनक्रिया, प्रोस्टेट, पेट, और थायराइड कैंसर। इन सब पर अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं का निष्कर्ष है कि जल्दी होने वाला कैंसर एक वैश्विक महामारी का रूप ले रहा है। जो 1990 के बाद से बहुत तेज़ी से बढ़ता चला जा रहा है।

एक तर्क यह दिया जाता है कि कैंसर स्क्रीनिंग के व्यापक उपयोग ने कैंसर की बढ़ती पहचान दरों में योगदान दिया है। लेकिन शोधकर्ता टीम कहा है कि यह अपने आप में पूरी तरह सही नहीं है । क्योंकि कैंसर उन देशों में भी बढ़ रहे हैं जिनके पास स्क्रीनिंग कार्यक्रम नहीं हैं।

यह सच्चाई है कि हमारे जीवन में बहुत अधिक बदलाव आया है। हमारे खानपान में बदलाव आया है। और वह भी डिब्बा बंद चीजों के खानपान के उद्योग के विकास के साथ तो और तेज़ी से आया है। इसके अलावा, आहार, जीवन शैली, वजन, पर्यावरणीय जोखिम और माइक्रोबायोम का कॉम्बिनेशन भी हमारी जिंदगी से खेल कर रहा है।

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के महामारी विज्ञानी टोमोटका उगाई बताते हैं कि जिन 14 प्रकार के कैंसर का उन्होंने अध्ययन किया। उनमें से आठ पाचन तंत्र से संबंधित थे। हम जो भोजन खाते हैं, वह हमारे आंतों में सूक्ष्मजीवों को खिलाता है। आहार सीधे माइक्रोबायम संरचना को प्रभावित करता है। अंततः यह परिवर्तन रोग के जोखिम और परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।

अन्य जोखिम वाले कारकों में मिठास वाले पेय, टाइप 2 मधुमेह, मोटापा, गतिहीन जीवन शैली और शराब का सेवन शामिल हैं। आँकड़े बताते हैं कि 1950 के बाद से इन सब का उपयोग तेज़ी से हर परिवार और हर व्यक्ति के जीवन में बढ़ा है। यह एक डराने वाला आँकड़ा है कि वयस्कों की नींद में पिछले एक दशक में भारी बदलाव आया है। लेकिन बच्चे कम सोने लगे हैं। उनकी नींदें ज़्यादा प्रवाहित हुई हैं।

बहरहाल, यह समझने वाली बात है कि सबके जीवन में व्यापक परिवर्तन आये हैं। खान पान, जीवन शैली बदली है। फ़िलहाल कोई एक समाधान किसी के पास नहीं है। पर कैंसर जैसी असाध्य बीमारी का समाधान तो कुछ डॉक्टरों ने , कुछ संस्थाओं ने फ़र्स्ट स्टेज पर निकाल लिया है। लेकिन उसके बाद तो कोई दवा कारगर नहीं होती है। इसलिए हमें अपने खानपान पर नियंत्रण रखना चाहिए। क्योंकि कैंसर के चौदह प्रकारों में से सबसे अधिक प्रकार खानपान से जुड़ा है।

Durgesh Sharma

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