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Himachal Pradesh Election: चुनावी अखाड़े में पिछड़ रही कांग्रेस, आप की मजबूती से बढ़ीं मुश्किलें
Himachal Pradesh Election 2022: हिमाचल प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस भाजपा को चुनौती देने के मामले में लगातार पिछड़ती जा रही है।
Himachal Pradesh Election 2022: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव (assembly elections) से पहले कांग्रेस (Congress) भाजपा (BJP) को चुनौती देने के मामले में लगातार पिछड़ती जा रही है। कांग्रेस को नेतृत्व के मामले में अभी तक कोई मजबूत चेहरा नहीं मिल सका है और पार्टी में लगातार बढ़ रही गुटबाजी के कारण पंजाब की कहानी यहां भी दोहराए जाने की आशंका पैदा हो गई है।
राज्य में भाजपा अपनी सत्ता को बचाए रखने की कोशिश में जुटी हुई है जबकि पंजाब (Punjab) में मिली भारी जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की ओर से भी अपनी स्थिति को मजबूत बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे माहौल में चुनावी अखाड़े में कांग्रेस के कमजोर पहलवान साबित होने की आशंका मजबूत होती दिख रही है।
आप ने बढ़ाई सक्रियता
हाल में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी झटका लगा था। फिर भी कांग्रेस उन राज्यों में अभी तक मजबूत कोशिश करती नहीं दिख रही है जहां जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। आम आदमी पार्टी की ओर से कांग्रेस की इसी कमजोरी का फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है। आप के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) ने हिमाचल प्रदेश में सक्रियता बढ़ा दी है।
अप्रैल के पहले हफ्ते के दौरान उन्होंने मंडी में रोड शो के जरिए आप की ताकत दिखाई थी। अब वे जल्द ही कांगड़ा जिले का दौरा करने वाले हैं जहां उनकी बड़ी रैली का आयोजन किया जाना है। आम आदमी पार्टी की ओर से दूसरे दलों के असंतुष्टों के जरिए भी अपनी स्थिति मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है। दूसरे दलों के कई नेताओं के जल्द आप का दामन थामने की बात कही जा रही है।
कांग्रेस में लीडरशिप की जंग
आप की बढ़ती सक्रियता के बीच कांग्रेस में लीडरशिप का विवाद गहराया हुआ है। राज्य के दिग्गज नेता रहे पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Former Chief Minister Virbhadra Singh) के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने अपनी मजबूत दावेदारी पेश की है। दूसरी ओर कौल सिंह ठाकुर का गुट भी दावेदारी छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। दो गुटों के बीच चल रही खींचतान में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व अभी तक कोई फैसला नहीं कर सका है।
पार्टी में बढ़ रही गुटबाजी और आंतरिक कलह के कारण पार्टी की चुनावी संभावनाएं प्रभावित हो रही हैं मगर अभी तक पार्टी को मजबूत बनाने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गई है। आप की ओर से कांग्रेस की इसी कमजोरी का फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है। पार्टी भाजपा के खिलाफ मजबूत आवाज बनने की कोशिश में जुटी हुई है।
भाजपा का नेतृत्व परिवर्तन से इनकार
दूसरी ओर भाजपा उत्तर प्रदेश की तरह हिमाचल प्रदेश में भी सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के प्रयास में जुटी हुई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (Jagat Prakash Nadda) ने हिमाचल प्रदेश में पूरा जोर लगा रखा है। उन्होंने पिछले दिनों राज्य का दौरा किया था और अब वे जल्द ही एक बार फिर हिमाचल प्रदेश पहुंचने वाले हैं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है और पार्टी जयराम ठाकुर के नेतृत्व में ही चुनाव मैदान में उतरेगी।
उन्होंने कहा कि आप की ओर से नेतृत्व को लेकर लोगों को भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है। आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पिछले दिनों अनुराग ठाकुर की अगुवाई में भाजपा के चुनाव मैदान में उतरने की बात कही थी। हालांकि नड्डा ने इसे पूरी तरह अफवाह बताते हुए खारिज कर दिया है।
भाजपा को फायदा मिलने का भरोसा
वैसे आप की बढ़ती सक्रियता से भाजपा नेता खुश दिखाई दे रहे हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि भाजपा का वोटर उसके साथ डटा रहता है। ऐसे में आप भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को ही सियासी नुकसान पहुंचाएगी। भाजपा नेताओं का मानना है कि आप की मजबूती भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगी।
कांग्रेस में लीडरशिप को लेकर चल रहे संग्राम से भी भाजपा नेता खुश दिख रहे हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस में बढ़ता मतभेद चुनाव में उसकी नैया डुबो देगा। पार्टी की ओर से आने वाले दिनों में कई कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं ताकि पार्टी की चुनावी स्थिति को और मजबूत बनाया जा सके।