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HP Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश में OPS के चक्रव्यूह में फंसी भाजपा, कांग्रेस का हमलावर रुख पड़ रहा भारी

HP Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का चुनावी वादा करके भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत पैदा कर दी है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 10 Nov 2022 6:38 AM GMT
BJP trapped in the OPSs maze in Himachal Pradesh, Congresss attacking stance is getting heavy
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हिमाचल प्रदेश में OPS के चक्रव्यूह में फंसी भाजपा, कांग्रेस का हमलावर रुख पड़ रहा भारी: Photo- Social Media

HP Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janata Party) पुरानी पेंशन योजना (OPS) के चक्रव्यूह में फंसी हुई नजर आ रही है। राज्य के विधानसभा चुनाव में सरकारी कर्मचारियों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है और कांग्रेस (Congress) ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का चुनावी वादा करके भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत पैदा कर दी है। कांग्रेस अपने प्रचार अभियान के दौरान पुरानी पेंशन योजना (old pension scheme restoration issue) के मुद्दे को जोर-शोर से उठाने में जुटी हुई है। इसके साथ ही पार्टी ने घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट फ्री बिजली, महिलाओं को हर महीने 15 हजार देने और पांच लाख युवाओं को रोजगार देने का दांव भी खेला है।

इन सभी मुद्दों में पुरानी पेंशन योजना की बहाली का मुद्दा बड़ा कारगर साबित होता दिख रहा है। हालांकि भाजपा नेताओं की ओर से कांग्रेस को जवाब देने की कोशिश की जा रही है मगर सियासी जानकारों का भी मानना है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश के एक बड़े वर्ग का समर्थन हासिल हो सकता है।

सरकारी कर्मचारियों के वोट निर्णायक

हिमाचल प्रदेश में करीब दो लाख सरकारी कर्मचारी हैं। इनके अलावा करीब दो लाख सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। 55 लाख मतदाताओं वाले राज्य में सरकारी कर्मचारियों का यह आंकड़ा काफी असरकारक माना जा रहा है। कर्मचारियों के साथ उनके परिजन भी जुड़े होते हैं।

इस बार के विधानसभा चुनाव में पुरानी पेंशन योजना की बहाली का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही स्थानीय नेता भी अपनी सभाओं और जनसंपर्क अभियान के दौरान इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। कांग्रेस को पूरा भरोसा है कि पुरानी पेंशन योजना की बहाली और अपनी अन्य गारंटी के जरिए पार्टी राज्य में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन की परंपरा को बनाए रखने में कामयाब होगी।

कर्मचारियों की क्या है राय

राज्य के सरकारी कर्मचारी भी बातचीत में इस बात को स्वीकार करते हैं कि मौजूदा विधानसभा चुनाव में उनके लिए ओपीएस सबसे बड़ा मुद्दा है। उनका कहना है कि वे ही नहीं बल्कि उनके परिजन भी इसी मुद्दे को लेकर चुनाव में वोट डालेंगे।

उनका कहना है कि पुरानी पेंशन योजना में रिटायर होने वाले सरकारी कर्मचारियों को फायदा होता था जबकि नई पेंशन योजना के जरिए कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद अपनी जिंदगी को लेकर अनिश्चितता की स्थिति में है। ऐसा होने की स्थिति में भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत पैदा होती दिख रही है।

कांग्रेस ने बनाया बड़ा मुद्दा

हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान में इस साल की शुरुआत में पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया गया है। कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में सत्ता हासिल होने पर इस योजना को यहां भी बहाल करने का वादा किया है। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ओपीएस की बहाली सबसे बड़ा मुद्दा बन चुकी है। उन्होंने कहा कि भाजपा की ओर से पुरानी पेंशन योजना की अनदेखी नहीं की जा सकती। पीएम मोदी को इसे पूरे देश में लागू करना ही होगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ओपीएस लाखों लोगों के जीवन से जुड़ा महत्वपूर्ण मुद्दा है मगर भाजपा की ओर से इस सवाल से बचने की कोशिश की जा रही है। लोगों का ध्यान बांटने के लिए पार्टी की ओर से दूसरे मुद्दे उठाए जा रहे हैं जबकि इन मुद्दों से आम जनता का कोई लेना-देना ही नहीं है। कांग्रेस पार्टी हिमाचल के सरकारी कर्मचारियों के इस उम्मीद को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

भाजपा की जवाब देने की कोशिश

दूसरी ओर भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी ओर से किए जा रहे विकास कार्यों के दम पर मतदाताओं का समर्थन पाने का भरोसा है। पीएम मोदी हिमाचल प्रदेश में काफी लोकप्रिय हैं और इसलिए पार्टी राज्य की सत्ता पर कब्जा बनाए रखने का सपना देख रही है। पुरानी पेंशन योजना के मुद्दे पर कांग्रेस को जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह योजना हिमाचल प्रदेश में जिस समय खत्म की गई,उस समय कांग्रेस की ही सरकार थी।

उन्होंने सवाल उठाया कि उसके बाद राज्य में दो बार कांग्रेस की सरकार बनने पर ओपीएस को बहाल क्यों नहीं किया गया। भाजपा की ओर से कांग्रेस को जवाब देने की कोशिश भले ही की गई हो मगर यह सच्चाई है कि हिमाचल प्रदेश के चुनाव में यह मुद्दा गरमाया हुआ है। सियासी जानकारों का भी मानना है कि इस मुद्दे पर भाजपा चक्रव्यूह में फंसी हुई है और कांग्रेस का हमलावर रुख पार्टी पर भारी पड़ता दिख रहा है।

Prashant Dixit

Prashant Dixit

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