×

हिमाचल का एक ऐसा मेला, जिसमें लोग मारते हैं एक-दूसरे को पत्थर, विस्तार से पढ़ें

देवभूमि हिमाचल का पत्थर मेले के आयोजन में हजारों लोग शामिल होते हैं। बड़ी बात है कि पत्थर की चोट से जैसे ही किसी व्यक्ति का खून निकलता है, मेला वहीं पर संपन्न मान लिया जाता है।

Deepak Kumar
Written By Deepak KumarPublished By Network
Published on: 8 Dec 2021 10:27 PM IST
हिमाचल का एक ऐसा मेला, जिसमें लोग मारते हैं एक-दूसरे को पत्थर, विस्तार से पढ़ें
X

 धामी कस्बे का पत्थर बाज मेला। 

Stone Festival Of Himachal Pradesh: भारत का खूबसूरत राज्य हिमाचल प्रदेश। हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। हिमाचल के हर कोने, हर जगह, कण-कण में देवी-देवताओं का बास है। ऐसे ही हिमाचल के रीति-रिवाज व यहां के मेले बाकि मेलों से अलग है। इन मेलों को देखने के लिए देश व दुनिया भर के लोग इन्हें देखने के लिए आते हैं।

वहीं, आज हम आपको हिमाचल के जिला शिमला से 25 किलोमीटर दूर स्थित धामी कस्बे के एक ऐसे मेले के बारे में बताने वाले है, जहां इस मेले को लोग एक-दूसरे को पत्थर मारकर मनाते हैं। आपको बता दें कि ये मेला दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। इस पत्थर मेले के हजारों लोग शामिल होते हैं।

ये है मान्यता

मान्यता है कि सैकड़ों साल पहले धामी रियासत में स्थित मां भीमाकाली के मंदिर में मानव बलि दी जाती थी। धामी रियासत के राजा राणा की रानी इस मानव बलि के खिलाफ थी। बलि प्रथा पर रोक लगाने के लिए रानी मंदिर के साथ लगते चबूतरे यानि चौरे पर सती हो गई थी, जिसके बाद क्षेत्र में इस परंपरा ने जन्म लिया। तब से इस मेले में मानव बलि की जगह ये पत्थर मेला मना कर मेला पूर्ण किया जाता है।

2 टोलियों में बंटकर मारते हैं एक-दूसरे को पत्थर

इस मेले में हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। इस मेले में लोग 2 टोलियों में बंट जाते हैं और एक- दूसरे को पत्थर मारने का खेल खेलते हैं। वहीं, अगर किसी को पत्थर लगने से खून निकलता है तो लोग इस पर खुश होते हैं। माना जाता है कि जिस किसी व्यक्ति को पत्थर लगने के कारण खून निकलता है, उसका खून मां भीमाकाली को भेंज किया जाता है और मेला पूर्ण हो जाता है। मेले के दिन स्थानीय प्रशासन की तरफ से एंबुलेंस व मेडिकल टीम का बंदोबस्त भी होता है।

आपको बता दें कि देवभूमि हिमाचल ऐसे कई रहस्य, रीति-रिवाज, अनोखे मेले और पर्यटक स्थल हैं, जिनको लेकर अपनी - अपनी प्रथाएं, मान्यताएं है।

दोस्तों देश और दुनिया की बरों को तेजी से जानने के लिए बने रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Deepak Kumar

Deepak Kumar

Next Story