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भारत का एक ऐसा गांव: वहां के लोग खुद को मानते हैं सिकंदर के वंशज, जानिए कहां है ये गांव

Malana Village Special: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में एक ऐसा गांव है, जहां के लोग भारत के संविधान को न मानकर अपनी हजारों साल पुरानी परंपरा को मानते हैं। इस गांव के लोग खुद को सिकंदर के वंशज मानते है, लेकिन एक खास बात ये भी है कि इस गांव में दुनिया सबसे पुराना लोकतंत्र भी है।

Deepak Kumar
Written By Deepak KumarPublished By Network
Published on: 6 Dec 2021 4:58 PM IST
malana village special
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गांव मलाणा। 

Malana Village Special: भारत में कई तरह के रीति-रिवाज है, जो विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाता है। वहीं, भारत का एक राज्य हिमाचल प्रदेश जो अपनी संस्कृति, वेशभूषा के साथ रिति-रिवाज दुनिया से अलग है। वहीं हिमाचल की प्राकृतिक पूरी दुनिया में एक अलह पहचान रखता है, लेकिन देवभूमि में ऐसी कई प्रथाएं हैं जो हिमाचल की सभी से अलह और अद्भूत बनाती है। ऐसे में भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में एक गांव ऐसा है जो खुद का सिकंदर के वंशज मानते है, लेकिन एक खास बात ये भी है कि इस गांव में दुनिया सबसे पुराना लोकतंत्र भी है।


हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू ये गांव

दरअसल, ये गांव और नहीं बल्कि मलाणा है, जो सैलानियों के बीच खूब मशहूर है। ये गांव हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में स्थित है। हिमालय की चोटियों के बीच बसा गांव अपने आप में प्राकृतिक सौन्दर्य का एक अजूबा है। जैसे प्राकृतिक ने खुद इस गांव को बसाया हो। ये गांव गहरी खाइयों और बर्फीले पहाड़ों से घिरा है। जुलाई 2017के अनुसार 4700 लोगों की आबादी वाला गांव, यहां दूर-दूर से सैलानी घूमने के लिए आते हैं। वहीं, इस गांव में कुछ ऐसी प्रथाएं और अनसुलझे सवाल हैं। उनमें से एक यह है कि यहां के लोग खुद को यूनान के मशहूर राजा सिकंदर महान का वंशज मानते हैं।


सिकंदर के समय की कई चीजें

इस गांव से सिकंदर के समय की कई चीजें मिली हैं। कहा जाता है कि सिकंदर के समय की एक तलवार भी इसी गांव के मंदिर में रखी हुई है। ये लोग कनाशी नाम की भाषा बोलते हैं, जो बेहद ही रहस्यमय है, लेकिन यहां के लोग इस तलवार को काफी पवित्र मानते हैं। वहीं, इस शोध में पता चला है कि ये जो मलाणा के लोग बोलते हैं वे सिर्फ भाषा यहां छोड़कर और कहीं नहीं बोली जाती।


मलाणा गांव में नहीं माना जाता है भारत का संविधान

वहीं, इस गांव में दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र भी है। इस मलाणा गांव में भारत का संविधान नहीं माना जाता। आपके लिए इस बात पर जल्दी यकीन कर पाना मुश्किल है, लेकिन यही हकीकत है। ऐसी ही एक मान्यता कुल्लू जिला के मलाणा गांव में प्रचलित है। इस गांव में भारत के संविधान को न मानकर अपनी हजारों साल पुरानी परंपरा को मानते हैं। प्राचीन काल में इस गांव में कुछ नियम बनाए गए और बाद में इन नियमों को संसदीय प्रणाली में बदल दिया गया। मलाणा गांव में अपनी बनाया गया कानून चलता हैं, जिसमें किसी सरकार या अघिकारी की भी दखलअंदाजी नहीं होती है।


देवनीति के दौरान होते हैं फैसला

सदन में फैसले देवनीति यानी देवता जमलू ऋषि किसी मामले में अपना अंतिम फैसला आखिरी सुनाते हैं, जिसे सबको मामना होता है। वहीं, मलाणा गांव की चरस भी काफी प्रसिद्ध है। इस गांव में और रिवाज कह लोया कुछ और। इस गांव में बाहरी लोगों के कुछ भी छूने पर पाबंदी है। अगर कोई इस नियम का पालन नहीं करता है, तो इसके लिए उनकी जुर्माना भी लगाया जाता है। इस पाबंदी के लिए बकायदा नोटिस लगाया गया है।

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