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Shyam Saran Negi: आजाद भारत के पहले वोटर ने सुनाई थी दास्तां, ..दिलचस्प है पहली वोटिंग का किस्सा
Shyam Saran Negi: देश के पहले वोटर श्याम सरन नेगी का हिमाचल के किन्नौर में निधन हो गया। वो 106 वर्ष के थे। पीएम मोदी ने अपनी चुनावी रैली में मंच से उन्हें नमन किया।
Shyam Saran Negi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल के चुनावी समर में जब कदम रखा तो अपनी पहली चुनावी सभा में उन्होंने श्याम सरन नेगी (Shyam Saran Negi) का नाम लिया। पीएम ने पहली बार वोट करने वाले युवा वोटरों से श्याम सरन नेगी को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि देने की अपील की। क्या आपको पता है कि श्याम सरन नेगी कौन थे, जिनकी चर्चा पीएम मोदी ने की?
बता दें कि श्याम सरन नेगी आजाद भारत के पहले वोटर थे। आजादी के बाद जब 1952 में चुनाव हुए तो मास्टर श्याम सरन नेगी ने पहला वोट डाला था। 106 साल की उम्र में शनिवार (05 नवंबर 2022) सुबह उनका देहांत हो गया। नेगी हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के कल्पा के निवासी थे। बता दें, श्याम नेगी ने दो दिन पहले ही पोस्टल बैलेट के जरिए हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 के लिए वोट डाला था। अपने जीवन के 106 वर्षों में उन्होंने 34 बार वोट डाले।
दिलचस्प है पहले मतदान की कहानी
भारत की आजादी के बाद देश में पहली बार 1952 में चुनाव हुए। देशवासियों ने बड़ी संख्या में इस चुनाव में शिरकत की। लेकिन, क्या आपको पता है देश का एक ऐसा राज्य भी था जहां मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर 6 महीने पहले ही चुनाव करा दिए गए थे। श्याम सरन नेगी वही शख्स हैं, जिसने आजादी के बाद हुए चुनावों में सबसे पहले मतदान किया। नेगी ने 25 अक्टूबर 1951 के आम चुनावों में अपना पहला वोट डाला। तब श्याम सरन नेगी स्कूल में टीचर पद पर कार्यरत थे। उनकी चुनावी ड्यूटी लगाई गई थी। इस वजह से वो मतदान करने सुबह 7 बजे किन्नौर के कल्पा प्राथमिक स्कूल में बने मतदान केंद्र पहुंच गए। श्याम सरन नेगी वहां पहुंचकर मतदान करने वाले पहले व्यक्ति थे। बाद में उन्हें बताया गया कि इलाके में कहीं भी सबसे पहले वोट डालने वाले वो ही हैं। अब तक 34 बार मतदान करने वाले नेगी अब हमारे बीच नहीं रहे। लेकिन, दुनिया से विदा लेने से पहले उन्होंने हिमाचल में होने वाले चुनाव के लिए भी मतदान किया।
जानें कौन थे श्याम शरण नेगी?
श्याम सरन नेगी स्कूल से रिटायर्ड टीचर थे। सरकारी रिकॉर्ड की मानें तो उनका जन्म जन्म 01 जुलाई 1917 को हुआ था। नेगी ने जब पहली बार मतदान किया था तब उनकी उम्र 33 वर्ष थी। खास बात ये रही कि, तब से लेकर मरने से पहले तक उन्होंने कभी भी अपना वोट बेकार नहीं किया। किन्नौर जिले के कल्पा कस्बा निवासी श्याम शरण स्कूल टीचर के पद से 51 साल पहले रिटायर हुए थे।
गुलामी क्या होती है? लोगों को नहीं पता था
श्याम सरन नेगी ने 102 साल की उम्र में एक इंटरव्यू दिया था। मगर, ताज्जुब की बात है कि उम्र के इस पड़ाव पर भी उनकी याद्दाश्त बिलकुल दुरुस्त थी। इस बातचीत में उन्होंने अपनी पहले मतदान की रोचक कहानी सुनाई थी। नेगी ने बताया था कि, 'उस वक्त अधिकतर लोग अशिक्षित थे। लोगों को ये भी नहीं पता था कि गुलामी क्या होती है। अंग्रेजों ने उन सभी विभागों पर कब्जा कर लिया था जहां से कमाई हो सकती थी। अंग्रेजों की यातना की कई कहानियां सुनने को मिलती है, लेकिन श्याम सरन नेगी ने बताया था कि उन्हें ऐसी किसी पीड़ा से नहीं गुजरना पड़ा।
'पटेल बहुत हिम्मती थे'
श्याम सरन नेगी ने उस ऑडिओ क्लिप में कहा था कि, 'कांग्रेस पार्टी ने देश को आजाद कराया था। देश की स्वतंत्रता में महात्मा गांधी, भगत सिंह और सरदार वल्लभ भाई पटेल का अहम योगदान था। सभी ने मिलकर देश को आजाद कराया। नेगी कहते हैं, सबसे अच्छा काम किया था सरदार वल्लभ भाई पटेल ने। वो बहुत हिम्मतवाले थे। पटेल ने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया था।'
पूरा देश तितर-बितर था
श्याम सरन नेगी ने आगे बताया था कि, 'उस वक्त देश के हालात कितने बिगड़े हुए थे। स्कूल का कोई नामोनिशान नहीं था। लोग यहां वहां भाग रहे थे। लेकिन, सरदार पटेल ने बहादुर दिखाई। तब हमारा देश अलग-अलग रियासतों में बंटा था। राजा मनमानी कर रहे थे। अगर, पटेल न होते तो हम एक नहीं हो पाते। सरन कहते हैं, अंग्रेज ने फूट डालकर शासन किया। लेकिन, हम एक हो गए। मुझे पूरा विश्वास था कि अब गुलामी की जंजीरें टूट चुकी हैं। हम आजाद हो गए।'