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जीवन मंत्र : नहाने के पानी का ये उपाय दूर करता है दरिद्रता
नहाने से स्वास्थ्य लाभ और पवित्रता मिलती है। सभी प्रकार के पूजन कर्म आदि नहाने के बाद ही किए जाते हैं, इस कारण स्नान का काफी अधिक महत्व है। पुराने समय में सभी ऋ षि-मुनि नदी में नहाते समय सूर्य को जल अर्पित करते थे और मंत्रों का जप करते थे। इस प्रकार के उपायों से अक्षय पुण्य मिलता है और पाप नष्ट होते हैं।
ज्योतिष में नहाते समय करने के लिए एक उपाय बताया गया है। इस उपाय को सही विधि से हर रोज किया जाए तो निकट भविष्य में सकारात्मक फल प्राप्त हो सकते हैं।
प्रतिदिन नहाने से पहले बाल्टी में पानी भरें और इसके बाद अपनी तर्जनी उंगली से पानी पर त्रिभुज का चिह्न बनाएं।
त्रिभुज बनाने के बाद एक अक्षर का बीज मंत्र 'ह्रीं उसी चिह्न के बीच वाले स्थान पर लिखें। साथ ही, अपने इष्ट देवी-देवता से परेशानियों दूर करने की प्रार्थना करें।
शास्त्रों में दिन के सभी आवश्यक कार्यों के लिए अलग-अलग मंत्र बताए गए हैं। नहाते समय भी हमें मंत्र जप करना चाहिए। स्नान करते समय किसी मंत्र का पाठ किया जा सकता है या कीर्तन या भजन या भगवान का नाम लिया जा सकता है। ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
मंत्र: 'गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
यदि कोई व्यक्ति किसी नदी में स्नान करता है तो उसे पानी पर ऊँ लिखकर पानी में तुरंत डुबकी मार लेना चाहिए। ऐसा करने से नदी स्नान का पूर्ण पुण्य प्राप्त होता है। इसके अलावा आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा भी समाप्त हो जाती है। इस उपाय से ग्रह दोष भी शांत होते हैं। यदि आपके ऊपर किसी की बुरी नजर हैतो वह भी उतर जाती है।