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Delhi Service Bill: दिल्ली सेवा बिल को राष्ट्रपति मुर्मू ने दी मंजूरी, अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा है कानून
Delhi Service Bill: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली सेवा विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ अब यह कानून बन गया है। संसद के दोनों सदनों से भारी विरोध के बीच सरकार ने इसे पारित करवाकर राष्ट्रपति के पास भेजा था।
Delhi Service Bill: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली सेवा विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ अब यह कानून बन गया है। संसद के दोनों सदनों से भारी विरोध के बीच सरकार ने इसे पारित करवाकर राष्ट्रपति के पास भेजा था। यह विधेयक राष्ट्रीय राजधानी में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा है। जिसको लेकर सालों से दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच खींचतान चल रही थी।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक में पहुंचा, जहां केजरीवाल सरकार को बड़ी राहत मिली। लेकिन केंद्र ने ये राहत ज्यादा दिनों तक टिकने नहीं दी और एक अध्यादेश लाकर कोर्ट के फैसले को पलट दिया। अध्यादेश को कानून का शक्ल देने के लिए जरूरी था कि सरकार इसे संसद के दोनों सदनों से छह माह में पारित कराए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संसद में खासकर राज्यसभा में इस बिल को लटकाने के लिए विपक्षी दलों के बीच मुहिम भी छेड़ी।
संसद के उच्च सदन में सरकार के पास अपना बहुमत न होने के कारण उन्हें ऐसी उम्मीद थी कि बिल को पारित होने से रोक लिया जा सकेगा। लेकिन सरकार ने बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस जैसी बड़ी रीजनल पार्टियों की मदद से आम आदमी पार्टी के उस मंसूबे को पूरा नहीं होने दिया। इस बिल को लोकसभा में 3 अगस्त को पारित किया गया। उसके बाद 7 अगस्त को राज्यसभा से भी ये पारित हो गया।
दिल्ली सरकार जाएगी फिर सुप्रीम कोर्ट
राष्ट्रीय राजधानी में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर देश की सर्वोच्च अदालत में केंद्र को हराने वाली दिल्ली सरकार एकबार फिर सुप्रीम कोर्ट का रूख करेगी। उनकी ओर से पहले केंद्र के अध्यादेश को चुनौती दी गई थी। अब संशोधित कानून को चुनौती देने की तैयारी की जा रही है।
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दिल्ली सेवा बिल में क्या है ?
इस बिल में राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण स्थापित करने का प्रस्ताव दिया गया है। जो दिल्ली सरकार में सेवारत दिल्ली व अंडमान व निकोबार आइलैंड सिविल सर्विसेज के सभी ग्रुप-ए अधिकारियों (आईएएस) के ट्रांसफर पोस्टिंग की सिफारिश करेगा। दिल्ली सीएम इस प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष होंगे। मुख्यमंत्री के अलावा दिल्ली के मुख्य सचिव, प्रधान गृह सचिव भी इसमें बतौर सदस्य शामिल होंगे।
अधिकारियों के तबादले से जुड़े सारे फैसले प्राधिकरण में बहुमत के आधार पर लिए जाएंगे। दिल्ली के उपराज्यपाल प्राधिकरण के सुझावों के मुताबिक ही निर्णय लेंगे। हालांकि, प्राधिकरण से मिले सुझावों के बावजूद एलजी (उपराज्यपाल) संबंधित अधिकारियों से जुड़े दस्तावेज मंगा सकते हैं और अगर किसी प्रकार का मतभेद होता है तो उपराज्यपाल का निर्णय ही अंतिम माना जाएगा।
राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण दिल्ली के उपराज्यपाल को ट्रांसफर-पोस्टिंग और विजिलेंस जैसे मामलों पर सलाह देगी। प्राधिकरण ही उस प्रक्रिया को भी तय करेगी, जिसमें किसी अधिकारी को दंडित करने, सस्पेंड करने या उनके खिलाफ विभागीय जांच बिठाई जानी हो। दंड के निर्धारण के लिए भी प्राधिकरण रिकमंडेशन देगी। ऐसी कोई भी रिकमंडेशन मिलने पर एलजी ही उचित आदेश पारित करेंगे।
केजरीवाल ने बताया था लोकतंत्र के लिए काला दिन
आम आदमी पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस समेत तमाम अन्य विपक्षी पार्टियों ने सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए दिल्ली सेवा बिल का विरोध किया था। विपक्ष ने इसे संघीय ढांचे को कमजोर करने की कोशिश करार दिया था। राज्यसभा में बिल के समर्थन में 131 और विरोध में 102 वोट पड़े थे। दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया था। उन्होंने कहा था कि ये विधेयक दिल्ली की चुनी हुई सरकार को काम नहीं करने देगा।