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भारत के 22 राजनयिकों ने लिखा खुला पत्र, कनाडा के PM ट्रूडो पर साधा निशाना

भारतीय राजदूतों ने अपने पत्र में कनाडाई पीएम की टिप्पणी को गैर-जरूरी बताया है। इसमें ये भी कहा गया है कि डब्ल्यूटीओ में कनाडा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर भारत के रुख का आलोचक रहा है।

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Published on: 14 Dec 2020 5:32 PM IST
भारत के 22 राजनयिकों ने लिखा खुला पत्र, कनाडा के PM ट्रूडो पर साधा निशाना
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गुरु नानक देव की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिन ट्रूडो ने भारत में हो रहे किसान आंदोलन की खबरों को लेकर चिंता जाहिर की थी।

भारत में चल रहे किसान आन्दोलन पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की टिप्पणी करने के बाद से ये मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है।

अभी हाल ही में नाराजगी जताते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा में कोविड -19 पर चर्चा करने को लेकर बुलाई गई बैठक में जाने से इनकार कर दिया था।

इसी कड़ी में आज भारतीय राजदूतों के समूह ने किसान आंदोलन पर कनाडा के रुख को वोट बैंक राजनीति बताते हुए एक खुला पत्र लिखा है।

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farmer protest किसान आन्दोलन (फोटो: सोशल मीडिया)

कनाडा में उच्चायुक्त रहे विष्णु प्रकाश भी शामिल

जिस पर 22 पूर्व राजनयिकों के हस्ताक्षर हैं। इनमें कनाडा में उच्चायुक्त रहे विष्णु प्रकाश भी शामिल हैं। भारत के पूर्व राजनयिकों ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की किसान आंदोलन पर की गई टिप्पणी को गैर-जरूरी, जमीनी हकीकत से दूर और भड़काऊ करार दिया है।

बता दें कि पिछले सप्ताह, गुरु नानक देव की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिन ट्रूडो ने भारत में हो रहे किसान आंदोलन की खबरों को लेकर चिंता जाहिर की थी। उनके इस बयान पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी।

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farmer किसान आन्दोलन (फोटो: सोशल मीडिया)

कनाडा के प्रधानमंत्री की टिप्पणी गैरजरूरी

भारतीय राजदूतों ने अपने पत्र में कनाडाई पीएम की टिप्पणी को गैर-जरूरी बताया है। इसमें ये भी कहा गया है कि डब्ल्यूटीओ में कनाडा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर भारत के रुख का आलोचक रहा है।

जबकि किसान आंदोलन को लेकर समर्थन दे रहा है।ऐसे व्यवहार से अंतरराष्ट्रीय मंच पर कनाडा की छवि को धक्का लगेगा।

भारत के पूर्व राजनयिकों ने लिखा है कि भारत कनाडा से अच्छे रिश्ते चाहता है लेकिन यह एकतरफा नहीं हो सकता।भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों के खिलाफ कदमों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस बारे में निर्णय कनाडा के लोगों को ही करना होगा।

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